छपरा. बीते कुछ सालों में शहर के बाजारों में कारोबार में कमी आयी है. वहीं इस वर्ष लग्न के दौरान भी शहर के प्रमुख बाजारों में काफी कम व्यवसाय हुआ. स्थानीय व्यवसायियों का कहना है कि गत वर्ष की तुलना में कारोबार 40 से 50 फीसदी कम हुआ. खासकर शहर की कपड़ा मंडी, किराना मंडी, सब्जी व फल मंडी में कारोबार काफी प्रभावित हुआ है. शहर के प्रमुख व्यवसायी श्याम बिहारी अग्रवाल ने बताया कि पहले लग्न के समय ग्रामीण क्षेत्र से बड़ी संख्या में खरीदार शहर के बाजार में आते थे. लेकिन ग्रामीण हाट बाजार अब समृद्ध हो गये हैं. ज्यादातर लोग लोकल बाजारों से ही खरीदारी कर ले रहे हैं. वहीं ऑनलाइन खरीदारी के बढ़ते प्रचलन ने भी शहर के कारोबार को प्रभावित किया है. व्यवसायियों के लिए आफत बना डबल डेकर निर्माण कार्य : शहर के मौना व सरकारी बाजार के व्यवसायी मोहन कुमार, दीपक कुमार गुप्ता, भरत प्रसाद, कृष्णा साह, मुरारी सिंह आदि ने बताया कि जब से शहर में डबल डेकर निर्माण कार्य शुरू हुआ है तब से व्यावसायिक गतिविधियां कम हो गयी हैं. डबल डेकर निर्माण की रफ्तार काफी धीमी है. व्यावसायिक इलाकों में हो रहे निर्माण के दौरान कई जगह पाइलिंग की गयी. कई बार तो आवागमन अवरुद्ध कर दिया गया. जिस कारण दूरदराज से आने वाले खरीदारों की कमी हो गयी. इसके अलावा शहर के प्रमुख बाजारों में ज्यादातर समय जल जमाव की समस्या बनी रहती है. अतिक्रमण के कारण भी लोग यहां नहीं आ पाते. नमामि गंगे प्रोजेक्ट तथा नल जल योजना के तहत शहर के प्रमुख बाजारों में सड़कों को तोड़ दिया गया. जिसका मेंटेनेंस नहीं हुआ. जिसका असर भी कारोबार पर देखा जा रहा है.
पटना व मुजफ्फरपुर के बाजारों का रूख कर रहे लोग
जिले के ज्यादातर लोग पर्व त्योहार तथा लग्न के समय खरीदारी के लिए पटना, मुजफ्फरपुर व सीवान के बाजारों का रुख कर रहे हैं. एकमा, लहलादपुर, जनता बाजार आदि क्षेत्र के लोग सीवान के बाजार में चले जाते हैं. वहां आवागमन का माध्यम भी बेहतर है. दिघवारा, सोनपुर, शीतलपुर, दरियापुर आदि क्षेत्र के लोग हाजीपुर या पटना के बाजार चले जाते हैं. चुकी दिघवारा व सोनपुर के इलाके से पटना जाना सहज है. जबकि छपरा आने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा परसा, गड़खा, भेल्दी, अमनौर आदि क्षेत्र के लोग मुजफ्फरपुर के बाजारों का रुख कर रहे हैं.
शहर के बाजार नहीं हुए सुविधा संपन्न
बीते एक दशक में शहर के बाजारों का स्वरूप जरूर बदला. लेकिन यहां सुविधाएं आज भी नदारद हैं. दुकान अब शोरूम में तब्दील हो रहे हैं. लेकिन स्थानीय बाजारों में पेयजल, यूरिनल, शौचालय आदि बुनियादी जरूरतें उपलब्ध नहीं हो सकी हैं. वहीं पार्किंग एक बड़ी समस्या है. बाहर से आने वाले खरीदारों को अपनी गाड़ी लगाने के लिए जगह नहीं मिलती. कई बार सड़क किनारे गाड़ी खड़ी करने के बाद उनका चालान कट जाता है. ऐसे में छपरा से 20 से 25 किलोमीटर दूर ग्रामीण इलाकों के लोग यहां आने से कतरा रहे हैं.
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