अतिक्रमण से जलनिकासी बाधित होने का खतरा
छपरा शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक अतिक्रमण हटाने के लिए समय पर बैठक कर कनीय पदाधिकारियों को जहां आदेशित किया जाता है, वहीं अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई भी की जाती है, परंतु अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद है.
एक ओर जिला प्रशासन द्वारा छपरा शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक अतिक्रमण हटाने के लिए समय पर बैठक कर कनीय पदाधिकारियों को जहां आदेशित किया जाता है, वहीं अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई भी की जाती है, परंतु अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद है. प्रशासन के सारे मानदंड व कानूनी प्रावधान को ताक पर रखकर अतिक्रमणकारियों द्वारा गली एवं ग्रामीण सड़कों की कौन कहे एनएच एवं एनएचएआइ के किनारे जलनिकासी के लिए पूर्व से चिन्हित सरकारी नाले को मिट्टी भरकर या पक्का निर्माण कर अतिक्रमण कर लिया जा रहा है. जिससे एक ओर दुर्घटना की आशंका रहती है, तो दूसरी ओर इन नालों को भरकर बंद कर देने से बरसात के दौरान जल निकासी की व्यवस्था बाधित होने की आशंका बढ़ते जा रही है. परंतु स्थानीय पदाधिकारी इन अतिक्रमणकारियों की गतिविधियों पर रोक लगाने की जरूरत नहीं समझते. छपरा नगर निगम क्षेत्र के विभिन्न मुहल्लों की कौन कहें छपरा से मशरक जाने वाली, छपरा से मढ़ौरा होकर पानापुर जाने वाली एसएच की सड़क, छपरा से रेवा होते मुजफ्फरपुर जाने वाली एनएचएआइ की सड़क के अलावा छपरा, बनियापुर, मलमलिया होते महमदपुर जाने वाली तथा छपरा से सीवान जाने वाली एनएच की सड़कें शामिल हैं. इन मार्गों में अतिक्रमणकारियों द्वारा अपना पक्का मकान बनाने के दौरान 25 से 30 फुट चौड़े नाले को मिट्टी से भरकर तथा पक्का स्टक्चर बनाकर अतिक्रमित कर दिया जाता है, जिससे बरसात के दिन में इस नाले से होकर जल निकासी हो नहीं सकती है. परंतु, गड़खा, मकेर, परसा, अमनौर, नगरा, सदर, इसुआपुर, बनियापुर आदि प्रखंडों से होकर गुजरने वाली इन सड़कों के किनारे अवस्थित नालों पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ मिट्टी भरने एवं स्थायी ढाचा बनाने का कार्य शुरू करने के दौरान ही रोक नहीं लगायी जाती, जिससे बाद में प्रशासन के लिए अतिक्रमण हटाना एक बड़ी समस्या हो जाती है.
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