छपरा. सारण समाहरणालय के नजदीक खनुआ नाले पर जिन दुकानों को नाला के जीर्णोद्धार व नवनिर्माण के लिए तोड़ दिया गया था उन दुकानों से विस्थापित दुकानदारों ने नगर निगम के मेयर और नगर आयुक्त को आवेदन देकर पुनर्वासित करने की मांग की है. विस्थापित दुकानदारों का कहना है कि महज एक सप्ताह के अंतराल पर दुकान खाली करने का नोटिस देकर बगैर पुनर्वासित किये दुकानों को तोड़ दिया गया, जिससे ग्राहकों के पास बकाया रुपया भी डूब गया. ज्यादातर विस्थापित दुकानदार बैंकों से कर्ज लेकर व्यवसाय कर रहे थे जिनका ब्याज भी बढ़ता जा रहा है. विस्थापित दुकानदारों पर बैंक का कर्ज है. परिवार का भरण-पोषण और बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है. विस्थापित दुकानदारों का कहना है कि बैंक का कर्ज चुकाने और परिवार का भरण-पोषण करने को लेकर मानसिक शांति भंग हो रही है. दुकानदारों ने चेतावनी दी है कि अगर नगर निगम प्रशासन और जिला प्रशासन जल्द पुनर्वासित नहीं करता है, तो बाध्य होकर सामूहिक आत्मदाह करने को विवश होंगे.
क्या है पूरा मामला
दुकान तोड़े जाने के बाद विस्थापित दुकानदारों ने लगभग छह माह पूर्व नगर निगम और जिलाधिकारी को पुनर्वासन से संबंधित आवेदन दिये थे. इसके बाद नगर निगम प्रशासन द्वारा समाहरणालय से सटे नवनिर्मित खनुआ नाले के पास खाली जमीन पर वाहनों के लिए नीचे पार्किंग और उसके ऊपर दुकान बनाने का प्रस्ताव डीएम को भेजा गया था. इसको जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा सुरक्षा कारणों का हवाला देकर खारिज कर दिया गया. इसके कारण विस्थापित दुकानदार विस्थापन की जिंदगी जीने विवश हैं. प्रतिनिधिमंडल में मुख्य रूप से अमित कुमार, देवेंद्र श्रीवास्तव, विजय कुमार, मायाशंकर सिंह, आशीष रंजन वर्मा, मनोज सिंह, बेबी महजबी, अंशु कुमार, चंदन कुमा, कुणाल कुमार, रंजीत कुमार सिंह, प्रमोद कुमार शर्मा, सेतु संकल्प समेत कई दुकानदार शामिल थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है