saran news . छपरा के दियारा क्षेत्र अभी भी शराब माफियाओं के लिए बने हुए हैं सेफ जोन

सोनपुर, डोरीगंज, नयागांव, दलिया रहीमपुर पंचायत के सभी घर व झोपड़ियों में बिकती है शराबबालू में गड्ढा खोद तैयार की जाती है शराब, पुलिस के आने से पहले मिल जाती है सूचना

By Prabhat Khabar News Desk | October 23, 2024 10:33 PM

छपरा . सारण में शराब दिखती कहीं नहीं है, लेकिन बिकती हर जगह है. इसके सबसे सेफ जोन जिले के सोनपुर, नयागांव, दिघवारा, डोरीगंज रिविलगंज के अलावे जिले के अन्य प्रखंडों के दियारा क्षेत्र या चंवर वाले इलाके हैं. इन इलाकों के विभिन्न गांवों में अवैध शराब का धंधा एक बार फिर जोर पकड़ने लगा है.

कच्ची शराब बनाने के लिए बदनाम अड्डों पर पुरुषों की जगह महिलाओं ने कमान संभाल ली है. इस वजह से कई बार छापेमारी पर पुलिस महिलाओं पर सख्ती करने में असहज हो जाती है. हालात यह है कारखानों के अंदाज में कच्ची शराब के अड्डे संचालित होने लगे हैं. एजेंटों के माध्यम से कच्ची शराब की सप्लाइ गांव और शहर के विभिन्न इलाकों में की जा रही है. पुलिस की नींद तब खुलती है जब किसी जिले में अवैध की वजह से कोई अनहोनी हो जाती है.

अपरोक्ष रूप से बड़े लोग भी धंधे में शामिल

यह धंधा बड़ा मुनाफा देने वाला है. जो जानकारी हाथ लगी है उसके अनुसार एक 18 लीटर के गैलन को धंधेबाज 500 में खरीदते हैं और नशेड़ीयों के बीच 4500 में बेचते हैं, यानी सीधे-सीधे नौ गुना फायदा. इस धंधे में मोटा फायदा होने की वजह से जिले के कई प्रभावशाली लोग भी इससे जुड़े हैं. बेरोजगार युवक और युवतियां बने कैरियरधंधेबाज अपने धंधे में बेरोजगार युवाओं का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. ये युवा ही इनके लिए कैरियर बनकर शराब की होम डिलीवरी करते हैं. होम डिलीवरी करने के लिए चोरी की बाइक का इस्तेमाल भी धड़ल्ले से हो रहा है. इनमें अधिकतर छात्र या वैसे युवा होते हैं, जो कुछ कमाई के चक्कर में इनकी गिरफ्त में आ जाते हैं. अगर ये पकड़ लिए गए तो छूटकर आने के बाद बड़े धंधेबाज के लोग उन्हें डरा-धमका कर फिर से इस दलदल में धकेल देते हैं.

सारण में बच्चे और महिलाओं द्वारा कैरियर का काम करने का मामला संज्ञान में आया है. विभिन्न इलाकों से अब तक करीब चार दर्जन से अधिक धंधेबाज इस सिलसिले में पकड़े जा चुके हैं. धंधेबाज आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे को टारगेट करते हैं. पहले छोटे-मोट लालच देकर ये बच्चों से थोड़ी दूरी तक शराब की ढुलाई करवाते हैं. फिर बच्चे को मोबाइल फोन थमा होम डिलीवरी के काम में लगा देते हैं.

क्या कहते हैं पदाधिकारी

हर बार छापेमारी की जाती है. कानूनी कार्रवाई भी होती है. अभी ऐसी कोई सूचना नहीं है कि रिबेलगंज प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में दारू बन रहा है या बिक रहा है. बाढ़ के समय कार्रवाई नहीं हो रही थी. अब एक बार फिर कार्रवाई शुरू हो जाएगी.

केशव कुमार झा, उत्पाद अधीक्षक, सारण

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version