निजात दिलाने वाले ही खुद जल जमाव में डूबे
हर महीने करीब डेढ़ करोड़ सफाई पर खर्च करने वाला छपरा नगर निगम थोड़ी सी बारिश में ही खुद डूब गया और शहर वासियों को भी डूबा दिया.
छपरा. हर महीने करीब डेढ़ करोड़ सफाई पर खर्च करने वाला छपरा नगर निगम थोड़ी सी बारिश में ही खुद डूब गया और शहर वासियों को भी डूबा दिया. लोग पूछ रहे हैं की महापौर और नगर आयुक्त साहब कहां है आपकी तैयारी. करोड़ों रुपये सफाई पर खर्च हुए हैं या फिर कागजी खानापूर्ति हुई है. लोगों ने नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए अब हिसाब मांगने की तैयारी शुरू कर दी है. बताया तो यह भी जा रहा है कि निगम के लगभग सभी वार्डों के पार्षद भी गलत कार्य शैली के विरोध में बिगुल फूंकने के मूड में होते जा रहे हैं. यदि ऐसा होता है तो नगर निगम की राजनीतिक माहौल गरमा जायेगी. खुद डूबा निगम, शहर को भी डुबोया जिसके कंधे पर पूरे निगम क्षेत्र के 45 वार्ड की साफ सफाई की जिम्मेवारी है. मंगलवार को वही खुद छपरा नगर निगम कार्यालय बरसात के पानी में डूबा दिखा. किस नजारे को आम शहर वासी अपने मोबाइल में कैद कर रहे थे और तंज भी कस रहे थे की जो अपने को नहीं बचा सका वह शहर वासियों को क्या बचाएगा. कलेक्ट्रेट भी डूबता उतराता दिखा सबसे बड़ी बात है की नगर निगम खुद तो डुबा अपने आसपास के बड़े अधिकारियों के कार्यालय को भी डूबने से नहीं रोक पाया. अपर समाहर्ता कार्यालय के अलावा जिलाधिकारी, पंचायती राज शाखा, जनसंपर्क कार्यालय परिषद समेत लगभग सभी कार्यालय के परिसर जल जमाव में डूबे दिखे. अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक जल जमाव की वजह से परेशान दिखे. सड़क बने झील नगर निगम की साफ सफाई का सबसे शानदार नमूना बारिश के बाद शहर की सड़कों पर देखने को मिली. शहर की लगभग सभी प्रमुख सड़क एक से दो फीट पानी में डूबा हुआ पाया गया. बाइक सवार और छोटे वाहन इसमें फंसे देखें गये. जो जहां था वहीं पर अपने आप को सरेंडर कर चुका था. पानी घटने का इंतजार देखा जा रहा था लेकिन दो घंटे बाद भी स्थिति जस की तस रही. नगर पालिका चौक से लेकर थाना चौक, थाना चौक से लेकर पूरा डाक बंगला रोड, भगवान बाजार थाना रोड, मोना चौक से लेकर दलदली बाजार, मोना मिश्रा टोली धनुक्तोली रोड, गुदरी बाजार से टक्कर रोड समेत लगभग सभी सदके जल जमाव से ग्रसित दिखाई दी. हर महीने करोड़ों रुपए खर्च, फिर ऐसी स्थिति क्यों छपरा नगर निगम साफ सफाई और नाला सफाई समेत स्वच्छता के सभी योजनाओं पर हर महीने डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक का खर्च करता है फिर भी शहर की स्थिति नहीं सुधर रही है. जल जमाव की समस्या शहर के लिए कोढ बन चुकी है. आखिर में जो रुपया खर्च होता है वह धरातल पर क्यों नहीं दिखता. नगर वासियों का कहना है कि रुपए जो खर्च किए जाते हैं वह कागज पर अधिक होते हैं और रियलिटी कुछ और होती है. संसाधन एक नजर में -हर माह डेढ़ करोड़ से अधिक होते हैं खर्च -सफाई एजेंसी के 650 कर्मी -सफाई के लिए संसाधन 75 -नगर निगम के कर्मी 55 -नगर निगम के उपकरण 350 क्या कहते हैंअधिकारी साफ सफाई के मामले में नगर निगम ने आशा से अधिक तरक्की की है. इसका उदाहरण है की बारिश के कुछ मिनट के बाद ही सड़कों पर पानी नहीं दिखता. पहले घंटो पानी जमा रहता था, इसका मतलब साफ है कि पानी आसानी से निकल रहा है. कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है. सुमित कुमार नगर आयुक्त, छपरा नगर निगम
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