सारण की बेटियों का जलवा, गांव से निकलकर पहुंची मिस्र और इटली तक, जीते मेडल
सारण जिले के एक गांव की बेटियां अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किक बॉक्सिंग, बॉक्सिंग, ताइक्वांडों व वुशु जैसे खेलों में परचम लहरा रही हैं.
प्रभात किरण हिमांशु
कभी गांव की पगडंडियों पर चहलकदमी करने वाली सामान्य परिवार की बेटियां आज देश-दुनिया में अपनी प्रतिभा की बदौलत चमक बिखेर रही हैं. सारण जिले के दिघवारा प्रखंड की बेटियां बॉक्सिंग, किक बॉक्सिंग, ताइक्वांडो व वुशु जैसे खेल में हर साल एक नयी उपलब्धि हासिल कर न सिर्फ जिले का नाम रौशन कर रही हैं. बल्कि गांव की अन्य लड़कियों के लिए भी आज ये एक मिसाल बन चुकी हैं.
प्रखंड की प्रियंका, वर्षा, प्रिया, पल्लवी जैसी कई लड़कियों ने पहली बार 2008 में दिघवारा के रामजंगल सिंह कॉलेज में छोटे स्तर पर शुरू किये गये बॉक्सिंग ट्रेनिंग कैंप में हिस्सा लिया. बाद में इसी कॉलेज में गांव की प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एक ट्रेनिंग क्लब बनाया गया.
क्रिकेट जैसे लोकप्रिय खेल की चकाचौंध को देख शुरुआत के कुछ सालों में लड़कों का आकर्षण इन खेलों के प्रति कम रहा. हालांकि ट्रेनिंग क्लब शुरू होने के दो तीन माह बाद ही करीब 22 लड़कियां ट्रेनिंग लेने लगीं. आज नियमित रूप से करीब 40 लड़कियां इन खेलों की ट्रेनिंग ले रही हैं. वहीं अब लड़कों के लिये भी अलग से ट्रेनिंग की व्यवस्था शुरू कर दी गयी है. इन प्रतिभाओं में से कई ऐसे भी है जो गांव से निकलकर मिस्र के ताहिरा व इटली में हुए इवेंट में भी हिस्सा ले चुके है.
प्रियंका, वर्षा, पल्लवी व प्रिया को मिल चुका है खेल सम्मान
किक बॉक्सिंग, बॉक्सिंग, ताइक्वांडों व वुशु की ट्रेनिंग लेकर कई लड़कियों ने बड़े इवेंट में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. पिछले साल मिश्र के ताहिरा में हुए किक बॉक्सिंग के विश्व चैंपियनशिप में दिघवारा की पल्ल्वी को गोल्ड मेडल मिला था. वहीं ज्योति ने सिल्वर मेडल हासिल किया था. वहीं 2016 में इटली में हुए किक बॉक्सिंग इवेंट में प्रियंका को ब्रॉज मेडल मिला था. 2016 में ही पहली बार दिघवारा का यह ट्रेनिंग कैंप सुर्खियों में आया था. इसके बाद से अबतक प्रियंका, वर्षा, पल्लवी व प्रिया को बिहार सरकार ने खेल सम्मान से भी नवाजा है. वहीं कैंप के दो लड़के अमन व बाबूल भी खेल सम्मान प्राप्त कर चुके है.
सिर्फ खेल ही नहीं अब कैरियर भी संवार रही है लड़कियां
शुरूआती दौर में जब गांव की इन बेटियों में बॉक्सिंग व किक बॉक्सिंग जैसे खेल को चुना तब कई लोगों ने मजाक उड़ाया था. प्रियंका व पल्लवी बताती है कि लोगों ने इतना तक कहा था कि लड़कियों के बाजुओं में इतना दम नहीं की वह रिंग में उतर सके. लड़कियों ने खेल में आगे बढ़ने के लिए काफी संघर्ष किया. कई लड़कियां आज इन खेलों के माध्यम से ही अपना कैरियर संवार रही है.
दीप शिखा ने इसी कैंप से ट्रेनिंग लेकर वर्ष 2014 ने राजस्थान व 2015 में उड़िसा में आयोजित नेशनल प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता. जिसके बाद वह खेल कोटे से पटना सचिवालय में कार्यरत है. वर्षा रानी, पल्लवी व प्रियंका आज राज्य के दूसरे जिलों में भी जाकर ट्रेनिंग कैंप आयोजित करती है.
मौका मिले तो ओलंपिक में भी मेडल ला सकती है बेटियां
रामजंगल सिंह कॉलेज के सचिव अशोक कुमार सिंह ने बताया कि कॉलेज में इस तरह की ट्रेनिंग कम संसाधनों के साथ की जाती है. यदि राज्य स्तर पर यहां की प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने का अवसर दिया जाये तो बड़ी प्रतिस्पर्द्धाओं में आने वाले मेडल में सारण का भी नाम अंकित हो सकता है. इस समय तीन ट्रेनर धीरजकांत, आलोक व रौशन के माध्यम से ग्रामीण प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है.