इट्स टाइम फॉर एक्शन थीम पर मनाया जायेगा हेपेटाइटिस दिवस

ैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल के दौरान जितने भी तरह के रोग हुए हैं.उन सभी से कहीं ज़्यादा गंभीर हेपेटाइटिस बी संक्रमण को माना जाता है. क्योंकि यह बीमारी समय से टीकाकरण नहीं कराने व लोगों को इसके संबंध में जानकारी का नहीं होना माना गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 27, 2024 10:29 PM

छपरा

. वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल के दौरान जितने भी तरह के रोग हुए हैं.उन सभी से कहीं ज़्यादा गंभीर हेपेटाइटिस बी संक्रमण को माना जाता है. क्योंकि यह बीमारी समय से टीकाकरण नहीं कराने व लोगों को इसके संबंध में जानकारी का नहीं होना माना गया है. सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि वैश्विक स्तर पर लोगों के बीच जागरूकता लाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस बी दिवस मनाया जाता है.इसका टीका जन्म के समय ही नियमित रूप से टीकाकरण केंद्रों पर नवजात शिशुओं को लगाए जाते हैं। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग, सहयोगी संस्थाओं व कई सामाजिक स्तर पर कार्य करने वाली गैर सरकारी संस्थानों द्वारा भी इसको लेकर समय- समय पर बैनर, पोस्टर या अन्य गतिविधियों के द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाता है. ताकि इस बीमारी के संबंध में सभी को जानकारी मिल सके. विश्व स्तर पर मनाए जाने वाले “हेपेटाइटिस बी ” दिवस का इस बार थीम “इट्स टाइम फॉर एक्शन ” यानी अब कार्रवाई का समय है. हेपेटाइटिस वायरस के कारण होने वाला एक तरह का संक्रमण है जो सबसे पहले ह्रदय को प्रभावित करता है. उसके बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है.जिस कारण लिवर सिरोसिस, लिवर कैंसर एवं ह्रदय आघात का खतरा बढ़ जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो पूरे विश्व में प्रतिवर्ष लगभग नौ लाख से अधिक लोगों की मौत हेपेटाइटिस “बी ” संक्रमण से होती हैं.जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ चंदेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि हेपेटाइटिस ए का वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति और दूषित पानी या भोजन के सेवन से फैलता है. वहीं मतली, उल्टी, दस्त, निम्न- श्रेणी का बुखार और लिवर एरिया में दर्द कुछ ऐसे लक्षण हैं, जिन पर ध्यान देना जरूरी होता है.तो हेपेटाइटिस बी वायरस संक्रमित खून, वीर्य और शरीर के अन्य तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है. हालांकि जन्म के दौरान भी संक्रमित मां से उसके बच्चे में वायरस के ट्रांसमिशन की संभावना अधिक होती है. हेपेटाइटिस बी वायरस का लक्षण मिलने से पहले छह महीने तक शरीर में निष्क्रिय रह सकता है. इसलिए अत्यधिक थकान, भूख न लगना, पीलिया, लिवर एरिया में दर्द, मतली और उल्टी जैसे लक्षणों से सावधान रहना और जल्द से जल्द हेपेटाइटिस का जांच कराना अनिवार्य होता है.

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