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रख-रखाव के अभाव में बदहाली का दंश झेल रहा दिग्घी पोखर

दिघवारा नगर पंचायत में रेलवे लाइन के उत्तर में स्थित विशाल दिग्घी पोखर अपने अंचल में गौरवशाली अतीत को समेटे हुए हैं और यह पोखर सारण जिले के उत्कृष्ट पोखरों में गिना जाता है. रख-रखाव के अभाव में यह पोखर दिन प्रतिदिन जीर्ण-शीर्ण हो रहा है.

दिघवारा. दिघवारा नगर पंचायत में रेलवे लाइन के उत्तर में स्थित विशाल दिग्घी पोखर अपने अंचल में गौरवशाली अतीत को समेटे हुए हैं और यह पोखर सारण जिले के उत्कृष्ट पोखरों में गिना जाता है. रख-रखाव के अभाव में यह पोखर दिन प्रतिदिन जीर्ण-शीर्ण हो रहा है. क्षेत्र के बुजुर्गों की मानें तो यह पोखर राजा दक्ष कालीन है. हालांकि इसके कोई लिखित प्रमाण नहीं मिले हैं. कहा जाता है कि मां अंबिका मंदिर से इस पोखर तक एक नाली बनी हुई थी जो सीधे इस पोखर में आकर मिलता था. इस बात की प्रमाणिकता इस बात से भी समझी जा सकती है कि जब वर्ष 2020 में इस पोखर के जीर्णोद्धार का काम शुरू हुआ तो खुदाई के समय पतले-पतले आकार के अलग-अलग तरह के ईंटों का मिलना और फिर उसी तरह के नालीनुमा स्त्रोत का मिलना कहीं न कहीं बुजुर्गों की उस बात की सच्चाई को साबित करता नजर आया था. 17 नंबर रेलवे ढाला से लेकर झझिया डगर तक रेलवे लाइन के उत्तर में फैला यह पोखर आकार के हिसाब से सारण जिले के उत्कृष्ट पोखरों में एक माना जाता है. बुजुर्गों की मानें तो तकरीबन 52 बीघे की जमीन में इस पोखर का फैलाव है. फोरलेन निर्माण से पूर्व मटिहान, अदमापुर और कमालपुर तक की भूमि की होती थी सिंचाई बुजुर्गों की मानें तो फोरलेन के निर्माण कार्य पूर्ण होने से पहले इसी पोखर के पानी से आसपास के कई किलोमीटर के कई एकड़ भूमि की सिंचाई होती थी और दिघवारा प्रखंड के अलावे दरियापुर प्रखंड के मटिहान, अदमापुर और कमालपुर तक के किसान इस पोखर से सिंचाई के लिए पानी अपनी खेतों तक ले जाते थे, लेकिन फोरलेन होने के बाद अब बने हुए फोरलेन के दक्षिण क्षेत्र में भी खेती की जमीन पर सिंचाई के लिए इस पोखर के पानी का इस्तेमाल किया जाता है. इस बार भीषण गर्मी के बीच यह पोखर भी पूरी तरह सूख गया है. पोखर के क्षेत्र को डेवलप कर बनाया जा सकता है आकर्षक व मनोरंजन केंद्र नगर पंचायत क्षेत्र में पार्क व मनोरंजन के केंद्रों का अभाव है ऐसी स्थिति में पोखर के चारों ओर जो बांध बना हुआ है उस बांध को बेहतर तरीके से डेवलप कर इसे आने वाले समय में नगर के लोगों के लिए मॉर्निंग और इवनिंग वॉक का केंद्र बनाया जा सकता है. यहां पार्क भी बनाया जा सकता है. साथ ही लोग खाली समय में भी इस जगह पर आकर सुकून के पल बिता सकते हैं. पोखर में पानी रहने पर वोटिंग आदि की भी व्यवस्था की जा सकती है, जो नगरवासियों के लिए मनोरंजन का बेहतर जरिया बन सकता है. दो करोड़ 33 लाख की राशि से इस पोखर का हुआ था जीर्णोधार इस पोखर का लघु संसाधन विभाग द्वारा जल जीवन हरियाली अभियान के तहत जीर्णोधार की स्वीकृति वित्तीय वर्ष 2019-20 में मिली थी और पोखर के जीर्णोद्धार पर दो करोड़ 33 लाख 21 हजार 900 रुपए की राशि खर्च हुई. पोखर के जीर्णोधार का काम 17 मार्च 2020 को शुरू हुआ था, जो 15 जून 2020 को पूरा किया गया था. लोगों की सुनें मैं अपने बचपन से ही इस पोखर को इस अवस्था में देख रहा हूं. यह किसानों की खेती की सिंचाई के लिए बेहतर माध्यम बनता है. इसे नगर पंचायत द्वारा बेहतर केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है. सरकार शरण, बस स्टैंड इस पोखर के राजा दक्षकालीन होने की जानकारी हम लोगों को बुजुर्गों द्वारा दिया गया था. पिछले दिनों जब यहां खुदाई हो रही थी तब विशेष तरीके के भारी मात्रा में ईंटों के मिलने से बुजुर्गों की बातों के प्रमाणित होने की पुष्टि हुई थी. सुरेश गाईं, राइपट्टी एनएच बनने से पहले इस पोखर में जब पानी रहता था तो यह मेरे क्षेत्र के किसानों की सिंचाई का एक बेहतर माध्यम बनता था और किसानों को इसका खूब लाभ मिलता था. अगर मौजूदा समय में इसे बेहतर तरीके से विकसित किया जाये तो यह नगर वासियों के मनोरंजन का भी बेहतर केंद्र बन सकता है. अखिलेश सिंह, सज्जनपुर मटिहान दिग्घी का पोखर दिघवारा के लोगों के लिए किसी धरोहर से कम नहीं है. अगर इस पोखर को योजनाबद्ध तरीके से विकसित किया गया तो इसे वोटिंग और टहलने के क्षेत्र में विकसित किया जा सकता है. नगर के अधिकारियों को अपनी दूरदर्शी सोच दिखानी होगी. अशोक सुमन, पूर्व वार्ड पार्षद

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