बिहार के छपरा जिला स्थित मढ़ौरा बाजार से तीन किलोमीटर की दूरी पर शिल्हौरी में भगवान शिलानाथ की मंदिर है़. शिव पुराण और राम चरित्र मानस के बाल प्रसंग के अनुसार एक महत्वपूर्ण स्थान है. मान्यता है कि यहां महर्षि नारद का मोहभंग हुआ था. यहां महाशिवरात्रि के दिन अभिषेक करने के लिए काफी भीड़ लगती है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिलानाथ का अभिषेक करने से विवाह दोष दूर हो जाते है.
शिवपुराण के अनुसार महर्षि नारद को अपनी तपस्या पर अहंकार हो गया था. उनके अभिमान को तोड़ने के लिए, भगवान विष्णु के भ्रम से बसे शहर में राजा शिलानिधि की बेटी विश्वमोहिनी का एक स्वयंवर बनाया गया था. विश्वमोहिनी की हस्तरेखा के अनुसार इनका वर तीनों लोकों का स्वामी होगा. देवर्षि नारद अपनी सुंदरता और तीनों लोकों के स्वामी होने के तथ्य से विचलित थे. उन्होंने इसमें शामिल होने का मन बना लिया. विष्णु से हरि रूप यानी भगवान के आकर्षक चेहरे की मांग की गई थी. इसके बाद वे स्वयंवर में शामिल होने चले गए. लेकिन वहां उनका तिरस्कार किया गया. फिर उसने कुएं में देखा.
बंदर की तरह अपना चेहरा देखकर वह क्रोधित हो गया. दूसरी ओर, लक्ष्मी और विष्णु को दूल्हा मिलते ही विश्वमोहिनी को गुस्सा आ गया. उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि त्रेता युग में पत्नी के वियोग में भटकने पर केवल वानर ही आपकी सहायता करेंगे. देवताओं द्वारा सत्य की सूचना मिलने पर उनका मोहभंग हो गया और वे शांत हो गए. जिस कुआं में महर्षि नारद ने अपना मुंह देखा था. वह कुंआ मंदिर के मुख्य दरवाजे के पास है़ कुआं से जल निकालकर भगवान शिलानाथ पर अभिषेक करने से विवाह में होने वाली दोष दूर हो जाते है.
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