Chhapra News : नगरा की नजमा खातून 18 साल से कर रही हैं छठ महापर्व

Chhapra News : महापर्व की आस्था ऐसी है कि जाति और मजहब की दीवार आड़े नहीं आती. एक गांव का मुस्लिम परिवार 18 वर्षों से पूरी आस्था और शिद्दत के साथ छठ व्रत कर रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 5, 2024 9:18 PM

नगरा. महापर्व की आस्था ऐसी है कि जाति और मजहब की दीवार आड़े नहीं आती. एक गांव का मुस्लिम परिवार 18 वर्षों से पूरी आस्था और शिद्दत के साथ छठ व्रत कर रहा है. नगरा प्रखंड के सीमावर्ती क्षेत्र के नरहरपुर गांव की निवासी नजमा खातून पिछले 18 वर्षों से छठ पर्व मना रही हैं. मुस्लिम समाज से होने के बावजूद उनके छठी मैया के प्रति अटूट श्रद्धा ने एक नयी मिसाल कायम की है. नजमा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मढ़ौरा में आशा के पद के रूप में कार्यरत है. नजमा खातून का कहना है कि जब तक वह जीवित रहेंगी, इस पर्व को पूरी श्रद्धा से निभाती रहेंगी. पहली बार इस पर्व का संकल्प अपनी पारिवारिक सुख-समृद्धि के लिए लिया था. वह बताती हैं कि छठ पर्व में सूर्य देव की पूजा होती है. जो मुझे सुकून और शक्ति देता है. मैं इसे पूरे विश्वास और श्रद्धा से निभाती हूं. इस पहल के चलते नजमा गांव और आसपास के क्षेत्र में सम्मानित दृष्टि से देखी जाती हैं.

छठी मैया से गहरा लगाव, पूरी होती है हर कामना

प्रभात खबर से विशेष बातचीत में नजमा खातून ने बताया कि छठी मैया में मेरी पूरी आस्था है. मैं उनसे जो भी कामना करती हूं, वह पूरी हो जाती है. नजमा छठ पर्व के पहले दिन नहाय-खाय के लिए गंगा घाट पर जाकर गंगा स्नान करती हैं और वहां से जल लेकर आती हैं. इसी जल का उपयोग वे छठ महापर्व के प्रसाद को तैयार करने में करती हैं. उनके अनुसार इस परंपरा का पालन करते हुए उन्हें आत्मिक शांति मिलती है. छठ पर्व के खरना के दिन नजमा खातून आम की लकड़ी के जलावन का उपयोग कर प्रसाद बनाती हैं. प्रसाद तैयार करते समय वे घर की पूरी सफाई का ध्यान रखती हैं और इसमें उनकी बेटियां भी मदद करती हैं.

पारिवारिक सहयोग समाज के लिए बना उदाहरण

नजमा खातून के पांच पुत्र और दो पुत्रियां हैं. जो उनके इस संकल्प में पूरा सहयोग देते हैं. पति खेती करते हैं. उनका सहयोग भी मिलता है. उनके परिवार के साथ-साथ गांव के लोग भी उनके इस निर्णय का समर्थन करते हैं और उनकी धार्मिक आस्था का सम्मान करते हैं. नरहरपुर गांव के लोगों के अनुसार, नजमा का छठ पर्व मनाना समाज में एकता और भाईचारे का प्रतीक बन गया है.उनके पड़ोसी बताते हैं कि नजमा के इस संकल्प ने धार्मिक सहिष्णुता और सौहार्द्र का संदेश दिया है.

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