सारण व महाराजगंज में महागठबंधन व एनडीए के दलीय उम्मीदवार भीतर घात से परेशान
दोनों गठबंधनों में साथ घूमने वाले नेताओं के कथनी व करनी को लेकर मतदाताओं में चर्चा, सारण में मतदान में 10 दिन तो महाराजगंज में 15 दिन शेष
छपरा (सदर). आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सारण संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में 20 मई को तथा महाराजगंज संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में 25 मई को होने वाले चुनाव में उम्मीदवार अपनी जीत के लिए जीतोड़ प्रयास कर रहे है. परंतु, दोनों गठबंधन के प्रत्याशी भीतरघात से जुझ रहे है. कहने के लिए दोनों गठबंधन में घटक दल के नेता कार्यक्रमों में शामिल तो हो जा रहे है. परंतु, चुनाव के पुराने खुन्नस को साधने के साथ-साथ गठबंधन के बीच टिकट नहीं मिलने की खटास के बीच कई राजनेता व समर्थक वोट मांगने से ज्यादा अधिकृत उम्मीदवारों के वोट बिगाड़ने में लगे है. दोनों गठबंधनों के शामिल दलों के कुछ नेता अब जब मतदान की तिथि में 10 से 15 दिन शेष रह गये है. बावजूद मतदाताओं से अपने गठबंधन या पार्टी के लिए वोट मांगने में दिलचस्पी नहीं दिखाते. दोनों संसदीय क्षेत्र में कई राजनेता जो कभी वर्तमान उम्मीदवारों के विरोध में चुनाव लड़े थे तथा उन्हें हार का सामना करना पड़ा था तथा हारने के बाद या तो उन्हें पुन: लड़ने का मौका नहीं मिला या उन्होंने पार्टी बदल ली. ऐसी स्थिति में ये सभी उम्मीदवार भी दलीय उम्मीदवारों को फायदा पहुंचाने के बदले वोट बिगाड़ने में लगे है. दोनों संसदीय क्षेत्रों में मतदाताओं के बीच जाने का उम्मीदवारों का सिलसिला चरम पर है. यहीं नहीं कार्यक्रम व मिटिंग के दौरान कार्यकर्ता कुर्ता, पैजामा, या कुर्ता-धोती के क्रीच को टाइट कर भाषण देते है परंतु उनके क्षेत्र में करनी एवं कथनी में अंतर होने की चर्चा मतदाताओं में भी है. दोनों गठबंधनों में कुछ नेता ऐसे है जो अधिकृत उम्मीदवारों से अपनी पुरानी अदावत भी साधने से बाज नहीं आ रहे है. जिससे अधिकृत उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़े. हालांकि दोनों गठबंधनों के नेतृत्व द्वारा हिदायते दी जा रही है. अब देखना है कि कितना फायदा ये समर्थक नेता पहुंचा पाते है. गत चुनाव में विरोधी रहे नेताओं के साथ मिलने का कितना होगा उम्मीदवारों को फायदा महाराजगंज संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के टिकट पर दो-दो बार चुनाव लड़ने वाले डॉ महाचंद्र प्रसाद सिंह अब बीजेपी के उम्मीदवार के साथ आ गये है. वहीं जदयू के टिकट पर 2014 में चुनाव लड़ने वाले पूर्व विधायक मनोरंजन सिंह उर्फ धुमल सिंह भी एनडीए समर्थन में है. इसी प्रकार विगत दो चुनावों 14 तथा 19 में एनडीए उम्मीदवार जनार्दन सिंह सीग्रीवाल से पराजित होने वाले राजद के 2019 के प्रत्याशी रंधीर सिंह जिनके पिता को भी 2014 में एनडीए प्रत्याशी के रूप में सांसद सीग्रीवाल ने पराजित किया था उनके एनडीए के साथ जाने का कितना असर उम्मीदवार की जीत हार पर होगा यह तो समय बतायेगा. इसी प्रकार महारागंज क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी को चुनाव जिताने में महागठबंधन के कई नेता लगे है. परंतु महाराजगंज क्षेत्र के एक कांग्रेसी विधायक लंबे समय से क्षेत्र से ही गायब है. इसी तरह से सारण संसदीय क्षेत्र में गत 2019 के लोकसभा चुनाव में सांसद राजीव प्रताप रूडी ने डेढ़ लाख मतों से पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा राय के पुत्र, लालू व राबड़ी के समधि व बिहार सरकार के पूर्व मंत्री चंद्रिका राय को हराया था. यहीं नहीं राजनीतिक दाव पेच के बीच चंद्रिका राय को 2020 के विधानसभा चुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा था. अब चंद्रिका राय राजीव प्रताप रूडी के साथ है. अब देखना है कि इसका कितना फायदा रूडी को मिलता है. इसी प्रकार 2020 में एमएलए के टिकट मिलने से वंचित शत्रुधन तिवारी चुनावी समर में कूदने के साथ-साथ रूडी के वोटों में सेंध लगा रहे है. यहीं नहीं महागठबंधन की सारण की उम्मीदवार रोहिणी आचार्य जो पहली बार सारण में चुनाव लड़ रही है. उन्हें अपने संबंधी व माता, पिता के समधी चंद्रिका राय के विरोध में रहने के साथ-साथ अपने लोगों को उनके विरोध में तैयार करने का असर भी चुनाव में दिखेगा.
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