छपरा. सारण में इ शिक्षा कोष पोर्टल पर स्कूली बच्चों की अपलोडिंग की प्रक्रिया काफी धीमी है. लगभग 11 लाख में से पांच लाख बच्चों का ही पोर्टल पर एंट्री हो पायी है. ऐसे में विभाग की परेशानी बढ़ती दिख रही है. हर दिन राज्य मुख्यालय के द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से रिपोर्ट ली जा रही है और कार्य प्रगति इतनी धीमी है की हर दिन जिले के अधिकारियों को फटकार सहनी पड़ रही है. प्राइवेट के साथ-साथ सरकारी भी लापरवाह : डाटा अपलोडिंग में लापरवाही केवल प्राइवेट स्कूल संचालक ही नहीं कर रहे हैं. सरकारी स्तर से भी लापरवाही हो रही है. शायद यही कारण है कि 7.77 लाख छात्रों के अपलोडिंग की जिम्मेवारी सरकारी स्कूलों को थी. लेकिन अभी तक चार लाख 20000 बच्चों की एंट्री ही हो पायी है. बात करें प्राइवेट स्कूलों का तो सारण में 572 प्राइवेट रजिस्टर्ड स्कूल है, जबकि बिना रजिस्ट्रेशन वाले भी छह सौ के लगभग स्कूल है. ऐसे में इन स्कूलों में तीन लाख से अधिक बच्चे अध्यनरत हैं और मात्र छह हजार बच्चों का एंट्री हो पाया है. शिक्षा विभाग लापरवाह स्कूल के संचालकों और हेड मास्टरों के खिलाफ कारवाई करने की तैयारी कर रहा है. क्यों की जा रही है अपलोडिंग : सरकार सरकारी स्कूलों में कई कल्याणकारी योजनाओं का संचालन करती है. यह विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति से जुड़ा होता है. बच्चे उपस्थित होंगे, तभी उन्हें इन योजनाओं का लाभ मिल सकता है. इसमें मद्याह्न भोजन, साइकिल योजना समेत कई योजनाएं शामिल हैं. कई बार बच्चों की गलत उपस्थिति दिखाकर सरकारी पैसे के दुरुपयोग की शिकायतें बराबर मिलती रहती हैं. कई जगहों से यह शिकायत भी आयी कि कम बच्चों के आने के बाद भी विद्यालय में बच्चों की अधिक उपस्थिति दिखाकर भोजन बनाया गया. जांच में यह सब कागज पर होने की बात सामने आयी है. ऐसे में बच्चों की उपस्थिति पर नजर रखा जाना आवश्यक है. उधर शिक्षक यदि विद्यालय नहीं आये तो पढ़ाई कैसे होगी. पठन-पाठन की व्यवस्था पुख्ता ढंग से तभी संचालित हो सकती है, जब उनकी उपस्थिति हो. ऐसे में उनकी उपस्थिति की भी मॉनिटरिंग आवश्यक है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है