छपरा. शहर के अलग-अलग यात्री पड़ावों पर शाम छह बजे के बाद ग्रामीण इलाकों में जाने के लिए लोगों को सवारी वाहन नहीं मिलती है. जिस कारण दैनिक यात्रियों खासकर कार्यालय व अन्य कामकाज से शहर आये लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है. विदित हो कि शहर में कई सरकारी कार्यालयों में कामकाज के सिलसिले में बड़ी संख्या में लोग रोजाना आते है. इनमें से अधिकतर लोग सुबह के शिफ्ट में छपरा कचहरी, समाहरणालय, बैंक, एसडीओ कार्यालय, डीटीओ कार्यालय आदि में काम के लिए पहुंचते है. कई बार काम में देर होने के कारण लोगों को शाम तक रूकना पड़ता है. शाम होते ही इन लोगों में घर वापस जाने की जल्दबाजी देखी जाती है. बस स्टैंड में शाम में वाहन नहीं होने से एकमा, दाउदपुर, मशरक, बनियापुर, इसुआपुर, तरैया, लहलादपुर, पानापुर, मकेर आदि क्षेत्रों में जाने वाले लोगों को कई बार मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. छपरा के तीन प्रमुख बस स्टैंड पर शाम छह व सात बजे के बीच अक्सर लोगों को अपने गंतव्य तक जाने के लिए वाहनों का इंतजार करते देखा जाता है. वाहन नहीं मिलने की स्थिति में लोग किसी निजी गाड़ी के ड्राइवर को रोक कर लिफ्ट मांगते है.
ग्रामीण इलाकों के लिए कम है डेली सर्विस की बसें
रोड ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में विगत कुछ सालों में ग्रामीण इलाकों में जाने वाली डेली सर्विस की बसों की संख्या घटी है. वहीं शहर से 15 से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव के लोग अपने निजी वाहनों से आवागमन करते है. छपरा के एक निजी बस संचालक ने बताया कि छपरा से गांव में जाने के लिए शाम में सवारी कम है. ऐसे में कई रूटों में बस नहीं चलायी जाती है. अब ज्यादातर लोग अपने निजी वाहनों से ही छपरा आ रहे है. जिससे बस में यात्रियों की संख्या घटी है.शाम छह बजे के बाद कई महत्वपूर्ण रुट में नहीं है बस
सिर्फ सारण जिला के प्रखंडों में ही नहीं बल्कि जिले से सटे सीवान, गोपालगंज, हाजीपुर, मुजफ्पुरपुर व आरा जाने के लिए शाम सात बजे के बाद यात्रियों को मशक्कत करनी पड़ती है. कई ऐसे लोग है, जो छपरा के सरकारी व निजी कार्यालयों में सीमावर्ती जिलों से काम के लिए आते है. ऑफिस का कार्य निबटाने के बाद निर्धारित समय पर मौजूद बस से वापस भी चले जाते है.कई बार गाड़ी को रिर्जव करा कर जाना पड़ता है घर
कई बार गांव से आये लोगों को शाम में घर जाने के लिए ऑटो या इ-रिक्शा रिवर्ज करना पड़ता है. वहीं सदर अस्पताल में इलाज के लिए भी आये मरीजों व परिजनों को शाम छह बजे के बाद सुदूर ग्रामीण इलाकों में जाने के लिए निजी वाहनों को बुक कराना पड़ता है. छपरा से 15 किलोमीटर दूर जलालपुर, कोपा, नगरा, डोरीगंज, गड़खा आदि जगहों पर शाम छह बजे के बाद रिजर्व में जाने के लिए ऑटो व इ-रिक्शा चालक 700 से 1000 रुपये किराये की डिमांड करते है. वहीं कई बार कर्मचारियों को ऑफिस में देर हो जाती है. जिसके बाद उन्हें घर जाने के लिए काफी कठिनाई उठानी पड़ती है. कई बार तो लोग बस छूट जाने के कारण रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर रात गुजारते है. वहीं कहीं बार छपरा के अपने सहकर्मियों के घर पर या किसी रिश्तेदार के यहां ठहरने की मजबूरी हो जाती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है