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एक पखवारे से नहीं हुई बारिश, खेतों में पड़ने लगी दरारें

मॉनसून के यूटर्न लेने के बाद मौसम के तल्ख तेवर को देख किसान एक बार फिर अपने को बेवस और लाचार महसूस कर रहे है.

बनियापुर. मॉनसून के यूटर्न लेने के बाद मौसम के तल्ख तेवर को देख किसान एक बार फिर अपने को बेवस और लाचार महसूस कर रहे है. विगत एक पखवाड़े से चिलचिलाती धूप की वजह से सावन के महीने में ज्येष्ठ-बैशाख सा नजारा देख किसानों का सब्र जवाब देने लगा है. काफी हिम्मत जुटाकर खर्च की परवाह किये बगैर साधन संपन्न किसानों ने कड़ी मेहनत के बल पर पम्पिंग सेट चलाकर जैसे-तैसे धान की रोपाई तो कर ली. मगर अब खेतो में पानी के अभाव में दरारें पड़ने लगी है. जो किसानों के लिये परेशानी का सबब बना हुआ है. अब तक औसत से काफी कम वारिस होने से किसानो के माथे पर चिंता की लकीर खिंच गयी है. अवध कुमार, संतोष राय, मनोरंजन कुमार, सुदामा ओझा, महेश राम सहित दर्जनों किसानों का कहना है कि एक ओर बारिश नहीं होने से धान के पौधे सूखने लगे है. वही दूसरी ओर मक्के के पौधे भी पीले पड़नें लगे है.

बारिश के अभाव में अबतक 70 प्रतिशत किसानों ने नही की धान की रोपनी

किसानो की माने तो अबतक महज 30-35 प्रतिशत किसानों ने ही धान की रोपाई की है. जबकि शेष किसान प्रतिकूल मौसम को देख बिचड़ा ही नही डाले. वही जिन किसानों ने बिचड़ा डाला है,वे भी बिचड़ा का सिंचाई करते-करते थक गये. ज्यादातर किसानों का कहना है कि उनका बिचड़ा तेज धूप की वजह से सुख गया है. वही जिन किसानों ने कड़ी मशक्कत के बाद बिचड़ा को तैयार किया है. वे भी चिलचिलाती धूप और खेतों में उड़ती धूल को देख धान की बुआई करने की हिम्मत नही जुटा पा रहे है. ब्योबृद्ध और अनुभवी किसान मदन सिंह ने बताया कि विगत एक दशक में इस तरह की स्थिति उतपन्न नही हुई थी. आषाढ़ और सावन महीना सूखे में गुजर गया. जिससे धान और मक्के की रोपनी बुरी तरह से प्रभावित हुई है. मौसम की स्थिति को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है की देर से की गई धान और मक्के की बुआई से किसानों को आशा के अनुरूप लाभ नही मिल सकेगा. वही मौषम का हाल अगर इसी तरह बना रहा तो आगामी फसल के लिये भी किसानों के समक्ष परेशानी उतपन्न होंगी.

पम्पिंग सेट से पटवन करने में बढ़ रही है,लागत खर्च

कुछ साधन संपन्न किसानो को छोड़ दे तो,लघु एवं सीमांत किसानो और बटाई पर खेती करने वाले किसानों को पम्पिंग सेट चला धान के पौधों की लगातार सिंचाई करने में आर्थिक रूप से मुश्किलों का सामना करना पर रहा है. दो सौ रुपये प्रति घंटे की दर से पंपिंग सेट चालक पानी चला रहे है. ऐसे में आसमानी पानी नहीं होने से 08-10 दिनों के अंतराल पर पौधों की सिंचाई करनी पड़ रही है. जिससे किसानो को अतिरिक्त राशि का वहन करना पड़ रहा है. वही सिंचाई विभाग द्वारा कई जगहों पर किसानों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से नहरों की सफाई तो की गयी मगर समय पर पानी नहीं आने से किसानों को नहर के पानी का लाभ नहीं मिल सका. प्रखंड मुख्यालय के समीप स्थित कन्हौली संग्राम नहर में अब तक पानी नहीं आने से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर रहा है. जिससे किसानों में रोष व्याप्त है. वही प्रखंड अंतर्गत एक दर्जन से अधिक राजकीय नलकूप है. मगर ज्यादातर नलकूप बेकार पड़े है. किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा किसानों को राहत पहुंचाने के लिये डीजल अनुदान देने की घोषणा की गयी है. विभागीय निर्देशानुसार प्रति एकड़ सिंचाई के लिये किसानों को सात सौ पचास रुपये की राशि निर्धारित की गयी है. मगर डीजल अनुदान भुगतान की जटिल प्रक्रिया होने के कारण ज्यादातर किसानों को योजना का लाभ नही मिल पाता है.

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