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सारण में महज चार हार्वेस्टर कार्यरत, सभी चालक स्थानीय

छपरा (सदर) : सारण जिले में गेहूं की कटनी पूरी तरह से दैनिक मजदूरों पर आश्रित है. इसकी वजह खेतों के छोटे-छोटे टूकड़े होना भी है. सारण जिले में जिला कृषि पदाधिकारी जयराम पाल की माने तो छह हार्वेस्टर है. जिनमें चार हार्वेस्टर ही कार्यरत हैं. दो खराब पड़े हैं. परंतु इसको चलाने के लिए […]

छपरा (सदर) : सारण जिले में गेहूं की कटनी पूरी तरह से दैनिक मजदूरों पर आश्रित है. इसकी वजह खेतों के छोटे-छोटे टूकड़े होना भी है. सारण जिले में जिला कृषि पदाधिकारी जयराम पाल की माने तो छह हार्वेस्टर है. जिनमें चार हार्वेस्टर ही कार्यरत हैं. दो खराब पड़े हैं. परंतु इसको चलाने के लिए राज्य के बाहर से कोई भी चालक नहीं बुलाया गया है. स्थानीय चालकों के माध्यम से ही गेहूं की कटनी की जा रही है. इसके अलावे जिले में लगभग डेढ़ सौ रिपर बाइंडर के माध्यम से गेहूं की कटनी हो रही है. डीएओ का यह भी कहना है कि चूंकि हार्वेस्टर से कटनी में गेहूं का पूरा डंठल खेत में ही रह जाता है. जबकि रीपर बाइंडर या मजदूर के माध्यम से कटनी करने पर गेहूं के डंठल का भुस्सा भी किसानों के लिए बेहतर आय देता है.

सरकार के द्वारा हार्वेस्टर के माध्यम से फसल कटनी के बाद डंठल को जलाये जाने पर कानूनी तौर से रोक लगायी गयी है. ऐसी स्थिति में किसानों का रूझान खेतों के छोटे टुकड़े तथा डंठल को खेत में नहीं जलाये जाने के कारण हार्वेस्टर की ओर कम है. उन्होंने कहा कि जिले में फसल कटनी एवं दौनी का कार्य सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए चल रहा है. हालांकि लॉकडाउन की स्थिति में कटनी एवं दौनी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की समस्या तथा कोरोना के संक्रमण के भय से मजदूर कटनी तथा दौनी के प्रति रूचि नहीं ले रहे हैं. जिससे गेहूं की कटनी रफ्तार नहीं पकड़ पाने से किसान परेशान हैं.

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