कमजोर मानसून ने किसानों की बढ़ाई परेशानी, अब सुखाड़ के आसार

कमजोर मानसून ने सारण के किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. कम बारिश के चलते धान की रोपनी प्रभावित हो रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 19, 2024 10:10 PM
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छपरा. कमजोर मानसून ने सारण के किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. कम बारिश के चलते धान की रोपनी प्रभावित हो रही है. इधर तीन-चार दिनों से पानी नहीं हो रही है. हालांकि खेत में नमी होने के बाद बहुत से किसान पंप सेट चलाकर रोपाई कर रहे हैं. वर्तमान समय में धान रोपनी 21 प्रतिशत तक बढ़ा है. कृषि विभाग की ओर से धान रोपनी को लेकर निर्धारित लक्ष्य के 21 प्रतिशत तक धान रोपनी हो चुकी है. यानि निर्धारित लक्ष्य 97 हजार हेक्टेयर की जगह 20 हजार हेक्टेयर भूमि में धान रोपनी हो चुकी है. इसमें बिचडा, जीरो टिलेज व सीधे बुआई से धान की बुआई शामिल है. आमतौर पर मानसून की मेहरबानी होने से किसानों को औसतन धान रोपनी में प्रति एकड़ 500 से 600 रुपये खर्च आता था. जबकि बारिश नहीं होने से प्रति एकड़ दो हजार 600 से तीन हजार प्रति एकड़ खर्च आ रहा है. जिससे किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. खेत में नमी बनी रहे, इसको लेकर मजबूरन पटवन भी करना पड़ता है. किसान सुदर्शन राय का कहना है कि सरकार को कम से कम डीजल अनुदान की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि किसानों को धान की रोपनी में सहयोग मिले. किसान सुशील महतो का कहना है कि यूरिया के लिए भी मारामारी चल रही है. किसान अरविंद राय कहते हैं कि निजी नलकूप से सिंचाई पर भी किसान को राहत रहती है. लेकिन जिन किसानों के पास सरकारी, निजी नलकूप, नहर आदि से सिंचाई की सुविधा नहीं है. उन्हें एक एकड़ में धान लगाने के लिए लगभग ढ़ाई हजार से तीन हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. धान की रोपाई के बाद भी भीषण गर्मी के चलते दूसरे तीसरे दिन पानी चलाना पड़ रहा है.

सामान्य से 25 फीसदी अधिक बारिश, फिर भी सुखाड़

कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 12 जुलाई तक सारण में 150 मिलीमीटर बारिश हुई है. जबकी नॉर्मल बारिश 125 मिलीमीटर होने का अनुमान था, ऐसे में लगभग 25 फ़ीसदी अधिक बारिश जुलाई महीने के 12 तारीख तक हो चुकी है. पूरे जुलाई माह में नॉर्मल बारिश लगभग 318 मिली मीटर होती है. लेकिन पिछले चार दिनों से बारिश नहीं हो रही है और यही स्थिति रही तो सुखार जैसी स्थिति उत्पन्न हो जायेगी, फिर किसानों पर दोहरी मार पड़ेगी.

किसानों ने धान के इन बीजों का किया है प्रयोग,

कम अवधि की प्रजाति सहभागी, सबौर दीप, हर्षित, अभिषेक, सीओ 51, स्वर्ण श्रेया, राजेंद्र भगवती, राजेंद्र कस्तूरी व प्रभात मध्यम अवधि के प्रजाति : डीआरआर 42, 44, संभा सब-1, एमटीयू 1001, बीपीटी 5204, राजेंद्र श्वेता, सबौर अर्धजल आदि

लंबी अवधि के प्रभेद

लंबी अवधि के प्रजातियों में एमटीयू 7029, राजेंद्र मंसूरी 1 व 2, स्वर्णा सब-1 व राजश्री शामिल है

क्या कहते हैं कृषि पदाधिकारी

बारिश नहीं हुई तो किसानों की परेशानी बढ़ेगी. क्योंकि जिन्होंने रोपनी शुरू कर दी है अब उनके खेतों में पानी की जरूरत है. बारिश नहीं होगी तो स्रोतों का सहारा लेना पड़ेगा. लेकिन इससे बेहतर ढंग से खेती नहीं हो पायेगी. लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बारिश जरूरी है.

श्याम बिहारी सिंह

जिला कृषि पदाधिकारी, सारण

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