saran news : चोरों ने ट्रेन में सिगरेट से फैलाया नशीला धुआं और लूट लिया लाखों रुपये का सामान
saran news : चेन्नई से आ रही गंगा कावेरी एक्सप्रेस में दिया घटना को अंजाम, प्रयागराज के आसपास छपरा आ रहे परिवार का सामान उड़ाया, दहशत फैलाने के लिए ट्रेन के कोच में छोड़ा सांप, पीड़िता की नौ दिसंबर को छपरा में है शादी, जीआरपी में दर्ज करायी प्राथमिकी
छपरा. चेन्नई से छपरा आ रही गंगा कावेरी एक्सप्रेस ट्रेन के ए टू कोच से लाखों रुपये का सामान नाटकीय ढंग से चोरी कर ली गयी. इस संदर्भ में पीड़ित भगवान बाजार थाना क्षेत्र के भगवान बाजार निवासी वर्णिता कश्यप ने जीआरपी थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी है. उन्होंने बताया कि नौ दिसंबर को मेरी शादी थी, जिसकी तैयारी को लेकर हम लोग चेन्नई से छपरा आ रहे थे. इसी क्रम में प्रयागराज व बनारस के बीच ए-टू कोच में सिगरेट से नशीला धुआं हवा में फैला दिया गया, जिससे यात्रियों की आंखों में जलन शुरू हो गयी. इसके बाद फायर सेफ्टी अलार्म बज उठा और अफरातफरी का माहौल कायम हो गया. लगभग तीन घंटे तक फायर सेफ्टी डिवाइस बजता रहा और हाइ वोल्टेज ड्रामा कोच में चलता रहा. लेकिन कोई भी पुलिस या सुरक्षाकर्मी उन लोगों की मदद के लिए वहां नहीं पहुंचा. अंततः उन लोगों ने इसकी सूचना फोन कर कंट्रोल को दी. कंट्रोल से भी उन लोगों को संतोषजनक सहायता मुहैया नहीं हो पायी. जब इसकी जानकारी कोच अटेंडेंट जहानाबाद के रहने वाले जितेंद्र कुमार को हुई, तो उन्होंने पाया कि कोच के अंदर एक सांप है. अटेंडेंट द्वारा उक्त सांप को मार दिया गया. इस घटना के दौरान कोच की लाइट भी काट दी गयी थी. जब ट्रेन बनारस पहुंची, तो उन लोगों ने देखा कि कोच के नीचे जेवरात व कपड़ों से भरा दो सूटकेस गायब है. वहीं एक सूटकेस को दूसरे कोच में ले जाकर चोरों द्वारा फेंक दिया गया था. घटना से ऐसा प्रतीत होता है कि चोरों द्वारा ही साजिश के तहत घटना को अंजाम दिया गया है. ट्रेनों में सुरक्षा की खुली पोल, तमाम दावे फेल : जानकारी के अनुसार ट्रेनों में सुरक्षित यात्रा को लेकर रेल प्रशासन व सुरक्षा कर्मी तमाम दावे करते हैं, लेकिन इस घटना के बाद ट्रेनों में आरपीएफ और जीआरपी द्वारा सुरक्षा के तमाम दावे फेल साबित हो गये. इस संदर्भ में पूछे जाने पर रेलवे के अधिकारी ने बताया कि कई ऐसी ट्रेनें हैं, जिनमें आरपीएफ की स्कॉर्ट ड्यूटी नहीं लगायी जाती है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आरक्षित कोच से ज्यादा सुरक्षित वातानुकूलित कोच को समझने वाले यह जान गये कि वातानुकूलित कोच भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं रह गया है. वहीं, पीड़ित ने बताया कि हम लोग लगभग तीन घंटे तक सहायता के लिए रेलवे के तमाम नंबरों पर संपर्क साधने की कोशिश करते रहे, लेकिन कहीं से भी कोई सहायता मुहैया नहीं हो पायी. बनारस स्टेशन पर जितनी देर ट्रेन खड़ी थी, उतनी देर तक वे लोग सुरक्षा को लेकर भटकते नजर आये.
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