Sonepur Mela: लाइसेंस मिलते ही थिएटरों की रंगीन शाम से गुलजार हुआ सोनपुर मेला, उमड़ने लगी युवाओं की भीड़

Sonepur Mela: सोनपुर मेले में थिएटरों को खेल-तमाशे के लिए लाइसेंस मिलते ही युवाओं की भीड़ उमड़ने लगी है. पहले यहां शास्त्रीय संगीत के शो होते थे, लेकिन अब स्टेज पर सिर्फ महिलाओं का समूह ही डांस करता है.

By Anand Shekhar | November 20, 2024 6:11 PM

Sonepur Mela: विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला एक बार फिर से गुलजार हो गया है. खेल-तमाशे का लाइसेंस मिलने के बाद यहां के छह प्रमुख थिएटर आकर्षण का केंद्र बन गए हैं. यहां युवाओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. आधुनिक संगीत और जगमगाती रोशनी के बीच मेले की ये रंगीन शाम लोगों को अपनी ओर खींच रही हैं. यहां महिलाओं का डांस देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है.

जेपी सेतु बनने के बाद थिएटरों में बढ़ी भीड़

सोनपुर मेले के थिएटरों की अपनी एक अलग ही दुनिया है. पटना और सोनपुर के बीच जेपी सेतु बनने के बाद थिएटर प्रेमियों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है. शाम ढलते ही थिएटरों की रौनक बढ़ जाती है. दिन में जहां मेले के विभिन्न हिस्सों में सांस्कृतिक विविधता देखने को मिलती है, वहीं रात का माहौल थिएटर के रंगारंग कार्यक्रमों से सराबोर हो जाता है.

थिएटर में कभी गजल और लोकगीतों की होती थी प्रस्तुति

यह मेला न केवल अपने इतिहास के लिए प्रसिद्ध है बल्कि यहां के थियेटर भी इसे खास बनाते हैं. समाजसेवी लाल बाबू पटेल बताते हैं कि 1970 के दशक से पहले सोनपुर मेले के थियेटर गजल, लोकगीत, शास्त्रीय और अर्ध शास्त्रीय संगीत के लिए मशहूर थे. गुलाब बाई, नीलम संध्या और मूनलाइट जैसे थिएटरों में बेहतरीन कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते थे. गुलाब बाई के ‘नदी नारे न जाओ श्याम पैया’ और ‘सैंया रूठ गए मैं मनाती रही’ जैसे गीतों को सुनकर दर्शक भावुक हो जाते थे.

आधी रात तक चलता रहता है कार्यक्रम

थिएटर के मंच पर लोकगीत और गजलों की प्रस्तुति अब इतिहास बन चुकी है. आधुनिक थियेटरों में पश्चिमी गानों पर डांस ही आकर्षण होते हैं. एक समय में 50 से अधिक डांसरों का ग्रुप मंच पर डांस करता है और रिकॉर्डेड गाने पर प्रस्तुति जारी रहती है. कार्यक्रम रात 12 बजे तक चलता है, जिसमें दर्शकों को आकर्षित करने के लिए बीच-बीच में प्रेसेंटर घोषणाएं करते हैं.

तेज धुन पर थिरकती हैं डांसर्स

थिएटरों में अब न तो शास्त्रीय और अर्ध शास्त्रीय संगीत की परंपरा बची है और न ही कोई वास्तविक नाट्य प्रस्तुति. कला और संगीत का स्तर यहां काफी गिर चुका है, लेकिन इसके बावजूद दर्शकों की भीड़ देर रात तक लगी रहती है. तेज धुनों पर नाचती लड़कियां दर्शकों को मदहोश करने की पूरी कोशिश करती हैं. मौसम में ठंड कम होने की वजह से इस साल थिएटरों में भीड़ ज्यादा रहने की संभावना है.

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