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पेंडिंग कार्यों के निबटारे के लिए महीनों से भटक रहे हैं छात्र

जेपीयू में सिंगल विंडो सिस्टम नहीं होने से छात्रों को हो रही परेशानी, अंकपत्र में गड़बड़ी के सुधार अन्य कार्यों के लिए हर दिन विवि का चक्कर लगा रहे छात्र-छात्राएं

छपरा. जयप्रकाश विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में अपने पेंडिंग कार्यों के निबटारे के लिए सैकड़ों छात्र-छात्राएं महीनों से भटक रहे हैं. विश्वविद्यालय में किसी भी कामकाज के निबटारे के लिए सिंगल विंडो प्रणाली शुरू नहीं की गयी है. ऐसे में छात्रों को जानकारी के अभाव में भटकना पड़ता है. कई छात्र-छात्राओं ने अंक पत्र में हुई गड़बड़ी के सुधार के लिए पांच से छह माह पूर्व ही आवेदन दिया था. लेकिन अब तक अंक पत्र में सुधार नहीं किया गया है. ऐसे सैकड़ों छात्र-छात्राएं हैं. जिनमें मूल प्रमाण पत्र में त्रुटि हुई है. वहीं कई छात्रों के प्रोविजनल सर्टिफिकेट तथा अन्य एकेडमिक कागजातों मंर विश्वविद्यालय द्वारा ही गड़बड़ी की गयी है. ऐसे छात्र-छात्राएं समय पर सुधार नहीं होने से काफी परेशान हैं. टाइम फ्रेम में काम नहीं होने से आये दिन छात्रों का आक्रोश बढ़ रहा है. कई बार तो छात्र व विश्वविद्यालय के कर्मियों तथा पदाधिकारियों के बीच तनाव की स्थिति भी बन जाती है.

छात्र संगठन लगातार कर रहे हैं मांग

छात्र जदयू के विश्वविद्यालय अध्यक्ष प्रशांत बजरंगी ने कुछ दिन पूर्व ही कुलपति प्रो. प्रमेन्द्र कुमार वाजपेयी से मुलाकात कर विश्वविद्यालय में सिंगल विंडो सिस्टम लागू करने की मांग की थी. वहीं जितने भी छात्रों के आवेदन पेंडिंग हैं. उसका अविलंब निबटारा सुनिश्चित कराने की मांग भी रखी थी. छात्र जदयू का एक प्रतिनिधिमंडल इस विषय में जल्द ही उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों से भी मिलने वाला है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विभाग संगठन मंत्री पुरुषोत्तम कुमार ने बताया कि उनके संगठन द्वारा भी कुलपति से सिंगल विंडो सिस्टम लागू करने तथा छात्रों के पेंडिंग कामकाज के निबटारे के लिए टाइम फ्रेम निर्धारित करने की मांग की गयी है.

एक साल पहले दिया आवेदन, अबतक नहीं हुआ निबटारा

शहर के राजेंद्र महाविद्यालय के छात्र प्रदीप कुमार जायसवाल ने गत वर्ष मई माह में अपने अंक पत्र में हुई गड़बड़ी के सुधार के लिए आवेदन दिया था. वह पिछले एक साल से 10 से अधिक बार विश्वविद्यालय का चक्कर लगा चुके हैं. हर बार उन्हें एक नया बहाना देकर लौटा दिया जाता है. पिछले महीने ही एचआर कॉलेज आमनौर के मुकेश कुमार ने प्रमाण पत्र में हुई प्रिंटिंग मिस्टेक के सुधार के लिए आवेदन दिया था. लेकिन उन्हें समय पर सुधार कर नया प्रमाण पत्र रिलीज नहीं किया गया. अब उन्हें किसी दूसरे संस्थान में अपना प्रमाण पत्र सबमिट करना है. लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किये जाने के कारण उन्हें परेशानी उठानी पड़ रही है. गोपालगंज की छात्रा आरती रानी ने बताया कि उनके प्रोविजनल सर्टिफिकेट में उनके नाम में मिस प्रिंटिंग है. लेकिन सुधार के लिए पिछले तीन माह से विश्वविद्यालय का चक्कर लगा रही हैं.

आइटी सेल के पास नहीं हैं संसाधन

विश्वविद्यालय पिछले वर्ष नवंबर माह तक अंक पत्र, प्रोविजनल सर्टिफिकेट, डिग्री, एडमिट कार्ड आदि से जुड़े सभी कार्य यूएमआइएस एजेंसी से कराता था. एजेंसी के पास भी कर्मियों की कमी थी. वहीं बार-बार एजेंसी भुगतान के विवाद का हवाला देकर काम को रोक देती थी. जिस कारण पहले से ही हजारों आवेदन पेंडिंग में है. वहीं अब विश्वविद्यालय अपने आंतरिक स्रोत के माध्यम से पेंडिंग आवेदनों का निबटारा करा रहा है. लेकिन आइटी सेल के पास भी संसाधनों का अभाव है.

विश्वविद्यालय के पास प्रिंटिंग को लेकर अपना इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है. जिस कारण त्रुटियों में सुधार कर नया डॉक्यूमेंट रिलीज करने में काफी कठिनाई आ रही है. इसका असर परीक्षा व नामांकन में भी देखने को मिल रहा है.

क्या कहते हैं पीआरओ

प्राथमिकता के आधार पर आवेदनों का निबटारा किया जा रहा है. विश्वविद्यालय अपने आंतरिक संसाधनों के माध्यम से अंक पत्र में हुई गड़बड़ियों में सुधार, प्रमाण पत्र रिलीज करने तथा अन्य जरूरी कार्यों को पूरा करा रहा है. विवि जल्द ही अपना इंफ्रास्ट्रक्चर बनायेगा. जिसके बाद पेंडिंग कार्यों के निबटाने में आसानी होगी. – प्रो हरिश्चंद्र, पीआरओ, जेपीयू

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