छात्र-छात्राएं हो रहे थे बीमार, सभी स्कूल बंद
सारण जिले में एक पखवारे से लगातार बढ़ रहे तापमान व हीट वेब की सूचना देने के साथ-साथ आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा आम लोगों से दोपहर में घर से नहीं निकलने की अपील की जा रही है. वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार 30 मई से आठ जून तक सभी स्कूलों को बंद रखने का आदेश जारी किया है.
सारण जिले में एक पखवारे से लगातार बढ़ रहे तापमान व हीट वेब की सूचना देने के साथ-साथ आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा आम लोगों से दोपहर में घर से नहीं निकलने की अपील की जा रही है. वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार 30 मई से आठ जून तक सभी स्कूलों को बंद रखने का आदेश जारी किया है. विद्यालयों में छुट्टी का समय दोपहर 12 बजे निर्धारित किया गया था, जबकि शिक्षकों के लिए यह समय दोपहर बाद 1.30 बजे था. ऐसी स्थिति में सरकारी विद्यालयों में आनेवाले बच्चे स्कूल के दौरान व छुट्टी के दौरान या घर जाने के दौरान लगातार बीमार हो रहे थे. कमोबेश यही स्थिति शिक्षकों की भी है. परंतु, गृष्म ऋतु के परवान पर रहने के बीच विभाग के फरमान के सामने बच्चे, अभिभावक व शिक्षक अपने को असहाय महसूस कर रहे थे. हालांकि सभी निजी विद्यालयों में गर्मी की छुट्टी घोषित हो गयी है. जिले का तापमान अधिकतम 43 डिग्री तक जाने तथा पूरे दिन तेज धूप के कारण 26 मई को जहां मशरक प्रखंड के कवलपुरा स्थित कस्तूरबा गांधी विद्यालय की 20 छात्राएं बेहोश हो गयीं, जिन्हें सदर अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. इसी प्रकार 28 मई को बनियापुर प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय शेखपुरा की तीसरी कक्षा का छात्र बेहोश हो गया. शिक्षकों द्वारा चिकित्सक के पास ले जाकर इलाज कराया गया. वहीं गड़खा प्रखंड में पदस्थापित शिक्षिका कविता विद्यालय जाने के दौरान बेहोश हो गयी. ऐसी सूचनाएं अमनौर, गड़खा, मढ़ौरा, तरैया आदि प्रखंडों से भी लगातार आ रही हैं. इसकी वजह सुबह छह बजे से कक्षाओं का संचालन शुरू करने से शिक्षकों के साथ-साथ छात्र-छात्राओं को भी सुबह पांच से 5.30 बजे विद्यालय के लिए घर से निकलना पड़ता है. ऐसी स्थिति में वे या तो बिना कुछ खाये घर से निकलते हैं या जलपान की खानापूर्ति कर. शिक्षा विभाग के सभी दावों के बावजूद 25 से 30 फीसदी विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के बैठने के लिए बनाये गये कक्ष या तो पर्याप्त नहीं हैं. यदि कक्षाएं भी तो गर्म हवा के थपेड़ों से बचने के लिए उपयुक्त खिड़कियां नहीं हैं. वहीं कमरों में पंखे की भी व्यवस्था पर्याप्त नहीं हैं, जिससे छात्र-छात्राएं पढ़ाई के दौरान भीषण गर्मी से अपने को असहज महसूस कर रहे हैं. कुछ विद्यालयों में तो कमरों में खिड़की नहीं होने तथा गर्म तेज हवा के कारण छात्र-छात्राओं को पढ़ाई कर पाना मुश्किल होता है.
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