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म्यूटेशन कराने में छूट रहा पसीना, छपरा छोड़ने का मूड में कई व्यवसायी

लोगों का अपना मकान होने का सपना नहीं हो पा रहा है पूरा, अधिकारी बना रहे बहाना, कारण बना विभिन्न योजनाओं और प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन का म्यूटेशन नहीं करना

छपरा. छपरा नगर निगम के लोग नगर प्रशासन के रवैया से परेशान है. परेशानी का सबसे बड़ा कारण है जिन्होंने जमीन लिया है या फिर उनका अपना पैतृक जमीन है. उसका नये सिरे से म्यूटेशन का नहीं होना. इतना ही नहीं नगर निगम के अधिकारियों के द्वारा घर मकान या प्रोजेक्ट के लिए नक्शा पास संबंधित दिये गये आवेदन को स्वीकार ही नहीं किया जा रहा है. आवेदकों को यह कह कर लौटा दिया जा रहा है कि आपने मकान भवन या प्रोजेक्ट के लिए जो जमीन ली है. वह टोपोलैंड वाली है. उसका रसीद और जमाबंदी करा कर लाइए फिर नक्शा पास होगा. ऐसे में अपनी गाढ़ी कमाई से जमीन खरीदने वाले आम और खास लोगों की परेशानी बढ़ गयी है और वे बेचैन है.

नहीं बना पा रहे हैं आशियाना

सबसे बड़ी बात यह है कि जिन गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों ने थोड़ी जमीन ली है. वह घर नहीं बना पा रहे हैं और आशियाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं. उनकी जिंदगी की कमाई फंसी हुई है. घर नहीं होने की वजह से आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. घर में किसी प्रकार का शुभ कार्य भी संपन्न नहीं करा पा रहे हैं. कई सपने उनके चूर हो रहे हैं.

उद्योग और विभिन्न प्रोजेक्ट भी फंसे

जिन्होंने विभिन्न प्रोजेक्ट, मॉल, सिनेमा हॉल समेत अन्य योजनाओं के लिए जमीन ली है. उनके करोड़ों रुपये फंसे हुए हैं और अब छपरा छोड़ने का मूड बना रहे हैं. ऐसे में छपरा शहर का विकास कैसे होगा. एक तरफ सरकार रोजगार का अवसर पैदा करने का दावा कर रही है. निवेश के लिए निवेशकों को विभिन्न प्रकार का लालच दे रही है तो दूसरी तरफ उनके ही मातहत अधिकारी उनकी सोच पर पानी फेर रहे हैं. नगर निगम के इस रवैया से उद्योगपति और व्यवसाय भी परेशान है. जबकि नगर निगम के अधिकारी अपने जिद पर अड़े हुए हैं.

आंकड़ों मे स्थिति

नगर निगम के कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार हर माह 50 से 60 आवेदन नक्शा पास कराने से संबंधित आते हैं, लेकिन आवेदक को बैरंग लौटा दिया जाता है. वैसे कई आवेदकों का यह आरोप है कि कुछ गेम कुर्सी के नीचे से खेला जाता है और पैरवीदारो का काम हो जा रहा है जितने भी आवेदन लौटाया जा रहे हैं यह सभी अनसर्वे लैंड से संबंधित है. वही सामान्य सर्वेड लैंड के आवेदन 5 से 10 हर माह आते हैं. उन्हें भी बेवजह परेशान किया जाता है. अनसर्वे लैंड के नाम पर आम लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है. जबकि तोपो लैंड पर बने मकान और जमीन का टैक्स वसूला जा रहा है.

सामान्य रूप से हो रही रजिस्ट्री

छपरा रजिस्ट्री विभाग के रजिस्टार गोपेश चौधरी का कहना है कि विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि टोपोलैंड जमीन से संबंधित अपने आदेश को वापस कर लिया है. समान रूप से जमीन की रजिस्ट्री हो रही है. ऐसे में नगर निगम को नक्शा पास करने में कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं करना चाहिए. नक्शा पास नहीं करने संबंधित कोई आदेश है तो उसे दिखाया जाये. इस बात की पुष्टि खुद अधिकारियों ने कई बार की है. उन्होंने कहा है कि नगर निगम को आम लोगों की परेशानियों को समझना चाहिए और इसमें बाधक नहीं बनना चाहिए.

क्या कहता है नगर निगम

ऐसी कोई बात नहीं है. नियमानुसार सारे काम हो रहे हैं. कुछ मामलों में नगर आयुक्त का ही आदेश है कि टोपोलैंड से जुड़े जमीन से संबंधित नक्शा पर अभी कोई कारवाई नहीं करनी है. नगर विकास विभाग से आदेश आने के बाद ही नक्शा पास होगा. यदि नक्शा पास कराना है तो रसीद और जमाबंदी संबंधित कागजात लेकर आये. — अभय कुमार, कनीय अभियंता, नगर निगम

क्या कहते हैं लोग

1. मुझे यह कह कर लौटा दिया गया कि आपका रजिस्ट्री जमीन टोप्लैंड से संबंधित है. उसका नक्शा पास नहीं हो सकता.– सुरेंद्र नारायण सिंह, दौलतगंज, छपरा

2. जमीन पर घर बनवाने के लिए नक्शा आदेश लेने आता हूं. लेकिन इस पर कोई विचार नहीं किया जाता. हर बार लौटा दिया जाता है.– संजय राय, श्यामचक, छपरा

3. ऐसे ही आम लोगों को परेशान किया गया तो मामला गंभीर हो सकता है. क्योंकि शाम से लेकर खास तक का पैसा फंसा है.– अमरेंद्र कुमार सिंह, साहेबगंज

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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