छपरा ; लॉकडाउन की विषम परिस्थिति के बीच रोज नयी-नयी तस्वीरें सामने आ रही हैं. कोरोना के खिलाफ यह जंग सब अपने तरीके से लड़ रहे हैं. शहर के राजेंद्र कॉलेज मोड़ स्थित जान टोला में रहने वाला 12 वर्षीय भोला भी रोजाना भुख और गरीबी के साथ कोरोना फाइटर की भांति मजबूती से जंग लड़ रहा है. इस किशोर के कंधे पर मां और छोटे भाई के उम्मीदों का बोझ है. इसके माथे से पिता का साया बहुत पहले ही हट गया. मां निर्मला देवी के पास कोई रोजगार नहीं है. घर मे छोटा भाई राजवीर भी है.
रोजाना की जरूरतें कैसे पूरी होंगी यह सवाल लिए भोला सुबह सात बजे से ही ठेला लेकर सब्जी बेचने निकल पड़ता है. आलू, प्याज, भिंडी, बैंगन, पालक, मूली आदि हरी सब्जियों का ठेला लेकर गुदरी, काशी बाजार, रेलवे कॉलोनी व भगवान बाजार इलाके में बेचता हैं. ठेला चलाते समय पांव पूरी तरह पैडल तक भी नहीं पहुंचते, लेकिन इससे भोला के हौसले व इरादों पर कोई फर्क नहीं पड़ता.
जब कभी सब्जियां ज्यादा होती हैं तो मां भी ठेले के साथ निकल पड़ती है. इसकी मां ने बताया कि राशन कार्ड नहीं बना है. इस कारण कोई राहत भी नहीं मिल पा रही है. सब्जी बेचकर जो कमाई होती है उसी से घर चलता है. यह मासूम सब्जी बेचने के बाद घर जाकर पढ़ाई भी करता है. उसे उम्मीद है कि एक दिन परिस्थितियां सामान्य होंगी और वह अपनी मां और छोटे भाई के हर सपने को पूरा करेगा. फिलहाल इसके सामने रोजी-रोटी की चिंता खड़ी है.