छपरा. इस साल स्नातक सत्र 2024-28 में नामांकन के लिए चार बार मेधा सूची जारी की गयी. वहीं दो बार स्पॉट एडमिशन का विकल्प दिया गया है. एक बार छात्रों को विषय बदलकर नामांकन का अवसर भी मिला. इसके बावजूद भी नामांकन प्रक्रिया क्लोज होने के उपरांत कई प्रमुख विषयों में काफी अधिक संख्या में सीट खाली रह गयी. खासकर विज्ञान संकाय के प्रमुख विषयों में इस साल छात्र-छात्राओं ने नामांकन की रुचि नहीं दिखायी. विश्वविद्यालय से मिली जानकारी के अनुसार सारण जिले के विभिन्न कॉलेजों में बॉटनी के अंतर्गत कुल 1048 सीटों में से आठ सौ सीट रिक्त रह गयी.
केमिस्ट्री में भी 1448 सीटों पर महज 10 फीसदी सीट पर ही दाखिला हुआ. इस विषय में 1398 सीट रिक्त रह गयी. वहीं गणित में भी 1712 सीटों में से 1570 सीट खाली रह गयी. गणित में महज 10 फीसदी छात्रों ने दाखिला लिया. भौतिकी में 1296 में से 878 सीट रिक्त रह गयी. जूलॉजी जैसे विषय जिसमें हर साल नामांकन की प्रतिस्पर्धा रहती थी. उसमें भी 1480 सीटों में से 765 सीटों पर दाखिला नहीं हुआ. कला संकाय के भी कई प्रमुख विषयों में बहुत कम नामांकन हुआ. भोजपुरी में कुल 64 सीट उपलब्ध है. जिस पर महज चार छात्रों ने ही दाखिला लिया. सोशलॉजी में कुल 196 सीट में से 126 सीट खाली रह गयी. दर्शनशास्त्र में भी कुल 640 सीटों में से महज 20 फीसदी छात्रों ने ही दाखिला लिया. इसमें भी 438 सीट खाली रह गयी. एलएसडब्ल्यू में भी 16 में से 16 सीटों पर दाखिला नहीं हुआ. संगीत में 80 में से 41 सीट खाली रह गयी. वहीं ग्रामीण अर्थशास्त्र में भी 16 में से महज तीन छात्र-छात्राओं ने ही दाखिला कराया. इसमें भी 13 सीट खाली रह गयी. कला के अंतर्गत हिंदी, भूगोल, इतिहास, राजनीति विज्ञान व होम साइंस में सर्वाधिक छात्र-छात्राओं ने नामांकन कराया. इतिहास में कुल 2656 सीटों पर करीब 85 फीसदी नामांकन हुआ. इसमें सिर्फ 350 सीट ही खाली रह गयी. वहीं राजनीति विज्ञान में भी 2336 सीटों में से महज 570 सीट ही खाली रही. यहां भी 80 फीसदी से अधिक दाखिला हुआ. मनोविज्ञान में 1608 में महज 572 सीट ही खाली रही. जबकि हिंदी में इस बार नामांकन की प्रतिस्पर्धा रही. हिंदी में नामांकन प्रक्रिया क्लोज होने के उपरांत महज 108 सीट बची रह गयी. भूगोल में भी 592 में से सिर्फ 130 सीट खाली रही.वोकेशनल विषय शुरू करने की मांग
विश्वविद्यालय के कई प्रमुख छात्र संगठनों ने स्नातक में वोकेशनल विषयों को शुरू करने की मांग की है. शोध छात्र संगठन आरएसए के विश्वविद्यालय संयोजक उज्जवल कुमार सिंह ने कहा कि वोकेशनल विषय नहीं होने के कारण कई छात्र-छात्राएं ट्रेडिशनल विषयों में दाखिला कराने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. छात्र करियर ओरिएंटेड विषयों की तरफ रूख कर रहे हैं. वहीं वैसे छात्र-छात्राएं जिन्हें स्नातक के बाद आगे की पढ़ाई का स्कोप नहीं दिखता. अधिकतर वैसे ही छात्र जयप्रकाश विश्वविद्यालय में नामांकन कर रहे हैं. क्योंकि यहां सत्र काफी पीछे चल रहा है. जिस कारण प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र-छात्राएं यहां से स्नातक करने में रुचि नहीं दिखाते.
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