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भादो के पहले रविवार को मांझरकुंड पर उमड़े सैलानी

शहर के दक्षिणी-पूर्वी छोर पर कैमूर पहाड़ी से गिरने वाले जलप्रपात मांझरकुंड में पिकनिक मनाने की परंपरा के तहत रविवार को सैलानियों का पूरे दिन वहां जमावड़ा लगा रहा. मौका था भादो माह के पहले रविवार का.

सासाराम ग्रामीण. शहर के दक्षिणी-पूर्वी छोर पर कैमूर पहाड़ी से गिरने वाले जलप्रपात मांझरकुंड में पिकनिक मनाने की परंपरा के तहत रविवार को सैलानियों का पूरे दिन वहां जमावड़ा लगा रहा. मौका था भादो माह के पहले रविवार का. जिले के विभिन्न हिस्सों के अलावा दूर-दराज व अन्य प्रांतों के लोग भी कैमूर की वादी में प्राकृतिक सौंदर्य के बीच पिकनिक मनाने का लुत्फ उठाने यहां पहुंचे. सुबह से ही लोग खाने-पीने के रेडीमेड सामान के अलावा स्थल पर ही चिकन समेत लजीज व्यंजन बनाने की अन्य सामग्री लेकर पहुंचने लगे थे. मिनी गैस सिलिंडर समेत अन्य सामान लिये पैदल व वाहनों पर काफी संख्या में सैलानियों ने ताराचंडी से मांझरकुंड तक का पहाड़ी रास्ता तय किया.

मांझरकुंड मेले को लेकर खूब बिका मुर्गा-मीट

मांझर कुंड में पिकनिक मनाने वालों की संख्या अधिक होने के कारण मीट-मुर्गा की दुकानों पर जमकर खरीदारी हुई. बाजार में डिमांड अधिक होने की संभावना को देखते हुए व्यवसायियों ने कच्चा माल झारखंड से लेकर पश्चिम बंगाल तक से मंगवाया था. पिकनिक के मद्देनजर कई लोग तो एक दिन पहले ही बाजार से प्याज से लेकर मसाला व मीट-मुर्गा की खरीदारी कर चुके थे. वहीं, कई लोग इसकी रविवार की अहले सुबह से ही खरीदारी में जुट गये. सुबह में सबसे अधिक भीड़ मीट-मुर्गा की दुकानों पर ही देखने को मिली. कैमूर की वादियों में खाने-पीने के साथ-साथ झरना में नहाने का आनंद भी पूरे दिन लेते रहे. धूप व बारिश से बचने के लिए टेंट तक भी लगाये गये थे. हाल में हुई पर्याप्त बारिश के कारण झरने का प्रवाह भी पूरे रौ में था. मांझर कुंड के अलावा धुआंकुंड, सीताकुंड, हनुमान धारा, भूतहिया झरने में भी पिकनिक मनाने वालों की भीड़ देखी गयी

मांझरकुंड पर पूर्व में जाती थी गुरुग्रंथ साहिब की शोभायात्रा

पूर्व में हर वर्ष भादो के पहले रविवार को मांझरकुंड पर गुरुग्रंथ साहिब की शोभायात्रा ले जाने की परंपरा थी. सिख समुदाय के लोगों का जलसा तीन दिनों तक चलता था. इस जलसे में उनके विभिन्न प्रांतों व दूर दराज के शहरों में रहने वाले परिजन के अलावा रिश्तेदार भी परिवार के साथ शरीक होते थे, लेकिन, दो दशक पूर्व से यह परंपरा खत्म हो गयी.

सुरक्षा का भी दिखा प्रबंध

मांझरकुंड में सैलानियों के जमावड़े के मद्देनजर ताराचंडी से लेकर कुंड के रास्ते में सुरक्षा की मुकम्मल व्यवस्था की गयी थी. दरिगांव व धौडाढ़ थाने की पुलिस के साथ-साथ वन विभाग के वनरक्षी को भी तैनात किया गया था. मेले के दौरान पूर्व में अक्सर मांझरकुंड में स्नान करते समय हादसे होते रहते हैं, जिसे देखते हुए पुलिस इस बार सतर्क दिखी.

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