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दो दर्जन युवा कोरोना संक्रमण के बीच पेश कर रहे हैं मानवता की मिसाल

दिघवारा : यही पशु प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे… मैथिलीशरण गुप्त की यह पंक्ति मनुष्यता के वास्तविक अर्थ को परिभाषित करती है और इन्हीं पंक्तियों को आदर्श मान दिघवारा के दो दर्जन युवा इन दिनों कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच समाज के जरूरतमंदों […]

दिघवारा : यही पशु प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे… मैथिलीशरण गुप्त की यह पंक्ति मनुष्यता के वास्तविक अर्थ को परिभाषित करती है और इन्हीं पंक्तियों को आदर्श मान दिघवारा के दो दर्जन युवा इन दिनों कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच समाज के जरूरतमंदों को विपत्ति के समय में सहयोग कर मानवता की मिसाल पेश करते हुए समाज के लिए अनुकरणीय बन रहे हैं. जी हां, आगामी 14 अप्रैल तक लॉकडाउन की स्थिति बनी है. ऐसे में रोजगारों का अवसर छिन जाने से असहाय हुए अत्यंत गरीब परिवार के लोगों तक ऐसे युवा खाने की सामग्री पहुंचाकर उन लोगों की मदद कर रहे हैं. इन युवाओं का लक्ष्य है कि किसी भी गरीब परिवार को संकट की स्थिति का सामना न करना पड़े और न ही भूख के कारण किसी की मौत ही हो.

लोगों तक पहुंचाते हैं जरूरत का सामान लॉकडाउन के बाद जब दैनिक मजदूर व कमजोर आर्थिक परिवारों के लोगों के समक्ष भोजन का संकट उत्पन्न हुआ तो इस दर्द को आमी के कर्मवारीपट्टी निवासी व कंप्यूटर संस्था संचालक अमितेश सिंह ने बखूबी महसूस किया. फिर उन्होंने अपने दोस्तों, परिचितों और विद्यार्थियों के साथ जरूरतमंद लोगों तक मदद पहुंचाने की ठानी. इस काम में रेलवे में कार्यरत मीरपुर भुआल निवासी अतुल श्रीवास्तव व विजय स्वर्णकार ने हर संभव सहयोग दिया. इन लोगों ने वैसे लोगों से संपर्क किया जो वर्तमान समय में विभिन्न नौकरियों में कार्यरत हैं या फिर अच्छा व्यापार कर रहे हैं. इस दल में आमी, बरुआ, हराजी, फकुली व झौवा समेत नगर पंचायत दिघवारा के कई वार्डों के युवा स्वेच्छा से शामिल होकर तन्मयता से लोगों को सहयोग देने में जुटे हैं और हर दिन यह दल जरूरतमंद इलाकों में पहुंचकर उन लोगों की मदद करने में जुटा है, जिसकी आम लोगों द्वारा मुक्त कंठ से प्रशंसा हो रही है.

विपरीत परिस्थिति में भी हिम्मत नहीं हार रहे हैं युवा बकौल अमितेश टीम में दो दर्जन युवा अपना हर संभव सहयोग दे रहे हैं. अतुल व विजय के जिम्मे लोगों से सहयोग की राशि इकट्ठा करने की जिम्मेदारी है तो रोहित सिंह, कुमुद तिवारी, नितेश सिंह, राहुल सिंह, बबलू मिश्रा व निलेश दीक्षित जैसे युवा प्राप्त राशि से जरूरत के सामानों की खरीद कर उसे निश्चित स्थान तक पहुंचाते हैं जहां सोशल डिस्टैंसेस का पालन करते हुए इन सामानों को अभिषेक कंस्कार, उदय तिवारी, मनजीत सिंह, अमित सिंह, निखिल, विशाल, छोटू, सुमित, विवेक व शुभम आदि युवाओं द्वारा इसे पैक किया जाता है.

बाद में सभी युवा इन सभी पैक सामानों को अकिलपुर, नयागांव, दिघवारा, सीतलपुर, आमी, मानुपुर, बस्तीजलाल, हराजी आदि जगह पर ले जाकर जरूरतमंद लोगों के बीच बांटते हैं. सामानों को खरीद कर लाने और जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने में युवाओं को कई तरीकों की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. फिर भी ये लोग हिम्मत नहीं हारते हैं. इसके अलावा काम में लगे युवाओं के माता-पिता व अभिभावक संक्रमण के भय से अपने बच्चों को बचाने हेतु इन लोगों को ऐसे काम से पीछे हटने की बात भी करते हैं. मगर युवाओं के अंदर के सेवा भाव का जोश अभिभावकों के आदेश पर भारी पड़ता है.

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