Saran Flood: बाढ़ के डर से ग्रामीणों की रात की नींद हराम, घरों में नहीं सो रहे लोग

Siwan Flood: बाढ़ के पानी में फंसे कई लोगों तक भोजन का एक भी पैकेट नहीं पहुंचा है जिससे राहत कार्यों की पोल खुल कर सामने आ रही है. दियारा क्षेत्र के कई ऐसे गांव हैं जहां अभी तक खाद्य पदार्थ या राहत नहीं पहुंची है.

By Paritosh Shahi | September 23, 2024 8:43 PM

Saran Flood, छपरा. सारण में आयी बाढ़ का पानी कम तो हो गया है, लेकिन अब लोग अपने आशियाने को देखकर बिलख रहे हैं. लोगों का कहना है कि बड़ी मेहनत से उन्होंने घर बनाया था, लेकिन बाढ़ से उनका घर जमींदोज हो गया है. जिले में करीब 300 से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं. हालांकि प्रशासन का दावा है कि सर्वे करवाकर पीड़ितो को मदद दी जायेगी. फिर से उनका आशियाना खड़ा हो जायेगा. इस बीच पीड़ित परिवार पानी कम होने के बाद अपने बिखरे सामान को फिर से संजोने लगे हैं. हालांकि डर अब भी है कि कहीं फिर से बाढ़ ना आ जाये. ग्रामीणों की रात की नींद हराम है. बाढ़ नियंत्रण विभाग कह रहा है कि अब डरने की जरूरत नहीं है.

बाढ़ की तबाही अब देखने को मिल रही

बाढ़ ने रिबिलगंज, सदर, डोरीगंज, दिघवारा, सोनपुर क्षेत्र के गांवों में तबाही मचायी है. पानी कम होने के बाद तबाही अब देखने को मिल रही है. हालात यह थे कि 99 से अधिक गांवों में पानी आ गया था. प्रशासन की ओर से बनाये गये राहत शिविरों में लोगों ने शरण ली थी. हालांकि अब पानी तो कम हो रहा है, लेकिन पानी सहम जाने से अब तक जिले में करीब 300 से अधिक घर पूरी तरह से गिर चुके हैं, जिससे लोग अब उन्हें दोबारा बनाने में जुट गये हैं. लोगों का कहना है कि बाढ़ ने उनके उनके घरों को नहीं उनके अरमानों को उजाड़ दिया है.

घरों में सदस्यों के हिसाब से कम पड़ रहे हैं राहत के पैकेट

बाढ़ के पानी में फंसे कई लोगों तक भोजन का एक भी पैकेट नहीं पहुंचा है जिससे राहत कार्यों की पोल खुल कर सामने आ रही है. दियारा क्षेत्र के कई ऐसे गांव हैं जहां अभी तक खाद्य पदार्थ या राहत नहीं पहुंची है. छपरा शहर के आसपास नदी किनारे रहने वाले लोग भोजन के पैकेट नहीं मिलने से परेशान तो हैं ही, दुखी भी हैं. जान टोला के बबलू बिन ने पानी से घिरे अपने घर की दहलीज पर बैठे-बैठे अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहा कि घर में बच्चों सहित कुल पांच सदस्य हैं, लेकिन पहले दिन से लेकर आज तक पांचवें दिन बीत जाने के बाद भी एक भी पैकेट नहीं मिल सका है. घर में भोजन-पानी का जो थोड़ा बहुत सामान पहले से रखा हुआ था, वह भी खत्म हो गया है. शंकर चौधरी का कहना है कि उनके घर में छोटे-बड़े और महिलाओं सहित कुल आठ सदस्य हैं, लेकिन पैकेट सिर्फ चार-पांच ही मिल रहे हैं.

पक्का घाट दौलतगंज के पास में ही रहने वाले कलावती देवी का कहना है कि उनके सात सदस्यों के परिवार में भी सदस्यों की संख्या के सापेक्ष आधे को भी खाद्य पदार्थ नहीं उपलब्ध हो पा रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि कई इलाकों में बना बनाया खाना तो मिल रहा है, लेकिन हम लोगों को केवल चूड़ा-गुड मिल रहीा है जिससे आधा पेट भूखा रहना पड़ रहा है. पीने के साफ पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है जिससे प्यास बुझाने के लिए मजबूरन बच्चों व परिवार के सभी लोगों को प्रदूषित पानी पीना पड़ रहा है.

कई इलाकों में अभी भी ठप है आवागमन

जिले की बाढ़ प्रभावित कई पंचायतों में पांचवें दिन भी हालात में ज्यादा बदलाव नजर नहीं आ रहा है. पिछले चौबीस घंटे में करीब तीन फुट पानी उतरा जरूर है, लेकिन पहले दिन की तरह ही पांचवें दिन भी इन मुहल्लों के करीब-करीब सभी रास्तों के अलावा घरों की दहलीज तक पानी हिलोरे मार रहा है जिससे अब भी बच्चों से लेकर बड़े-बूढे और महिलाएं घरों के अंदर कैद नजर आ रहे हैं. तेज धूप निकलने से चारों ओर भरे पानी के चलते तीव्र उमस में कीट, पतंगे और मच्छरों का सामना लोगों को करना पड़ रहा है.

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तेजी से घट रहा जल स्तर

नदियों का जल स्तर काफी तेजी से घटने लगा है. बाढ़ नियंत्रण विभाग के अनुसार गांधी घाट के पास गंगा नदी के जल स्तर में कमी हो रही है. यहां 48.60 मीटर के जल स्तर को खतरे के निशान माना गया है और फिलहाल 23 सितंबर को शाम 5:00 तक 49.53 मीटर जल स्तर है. बात करें घाघरा यानी सरजू नदी की तो इसके जल स्तर में भी तेजी से कमी हो रही है. घाघरा छपरा के जल स्तर के खतरे का निशान 53.68मीटर है अभी 51.16 मीटर तक पहुंच गया है. दो दिन पहले 53.44 था, शाम में और घटा है. वहीं सिसवन में 57.04 खतरे का निशान है और 56.09 तक जल स्तर पहुंच गया है. बात करें गंडक हाजीपुर की तो इसका खतरे का निशान 50 .32 है वर्तमान स्थिति 49.30मीटर है. इसी तरह गंडक रीवा का खतरे का निशान 54.41 है वर्तमान स्थिति 52.36 मी है. बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारियों के अनुसार पांच दिनों के अंदर लगभग 4 फीट से नीचे जलस्तर चला गया है इस तरह तेजी से पानी घट रहा है.

कुछ यूं घटा जल स्तर

नदी का नाम, खतरे का निशान, वर्तमान स्थिति

गंगा नदी, गांधी घाट 48.60 49.53

गंडक हाजीपुर 50.32 49.30

गंडक रेवा 54.41 52.36

घाघरा सिसवन 57.04 56.09

घाघरा छपरा 53.68 51.16

यहां से भी छोड़ा गया पानी

-गंडक बैराज से- 59700 क्यूसेक

-नहर में चला गया- 22500 क्यूसेक

-नेपाल ने छोड़ा- 68854 क्यूसेक

अभी तक की स्थिति

-प्रभावित अंचल- 06

-प्रभावित पंचायत- 23

-प्रभावित आबादी- 83429

-निष्क्रमित आबादी- 1350

-नाव का परिचालन-99

-बोट एंबुलेंस परिचालन- 02

-सामुदायिक भोजन स्थल- 04

-खाना खिलाया गया- 2305

-शिविर बनाए गये- 0000

-शिविर में रहने वाले- 0000

-बाढ़ से मरने वाले- 04

-चुरा गुड वितरण- 4708

-पॉलिथीन वितरण- 9232

क्या बोले अधिकारी

बाढ़ नियंत्रण विभाग के कार्यपालक अभियंता संजय कुमार ने बताया कि नदियों के जल स्तर में 4 से 5 फुट की कमी आयी है. ऐसे में अब जल स्तर बढ़ने की संभावना पूरी तरह से नहीं है. ग्रामीणों को डरने की जरूरत नहीं है. स्थिति सामान्य हो रही है.

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