दीपक कुमार श्रीवास्तव
लड़कियों को अक्सर आपने अपनी माँ के भोजन पकाने, घर की साफ सफाई करने, बर्तन साफ करते या फिर कपड़ा धोते देखा होगा. लेकिन, अब समय बदल गया है लड़कियां अब किसी भी क्षेत्र मे लड़को से कम नही है. साधन सम्पन्न घर की लड़कियां मेडिकल, इंजीनियरिंग, आईएएस, आईपीएस जैसे पदो पर चयनति होकर अपनी प्रतिभा का हुनर दिखा रही है. वही ग्रामीण क्षेत्रों मे भी लड़कियों मे प्रतिभा की कोई कमी नही है. बस उस प्रतिभा को निखारने की जरुरत है. ऐसे ही एक प्रतिभा इन दिनों वैशाली प्रखंड के मदरना मे दिख रही है. जहां तीन सगी बहने अपने पिता के परंपरागत कामों मे दिन रात हाथ बंटा रही है.
मदरना निवासी रमेश पंडित वर्षो से मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं. उनके इस काम में अब उनकी तीन बेटियां भी हाथ बंटा रही हैं. पिता के साथ मूर्ति बनाते- बनाते गीतांजली ,संजना और स्वीटी अब इस कला में महारथ हासिल कर लिया है. बीए की पढ़ाई करने वाली इन तीन बहनों के हाथ के बने मूर्ति की बढ़ी डिमांड है. इनका कहना है पढ़ाई से जो समय बचता है उसमें हम लोग यह काम करते हैं. वे कहती हैं कि हमारे पिता के पास आय का और कोई स्त्रोत नहीं है. इस कारण हम तीनों बहनों को पढ़ाई से जब भी मौका मिलता है उनकी हाथ बंटा दिया करते हैं. ताकि हमारा घर परिवार और हमारी पढ़ाई लिखाई भी चलती रहे.
रमेश पंडित की बेटी गीतांजली बीए प्रथम वर्ष हिस्ट्री ऑनर्स की छात्रा है, संजना इंटर की छात्रा है और स्वीटी आठवी की छात्रा है. फिलहाल ये तीनों पढ़ाई के साथ साथ समय निकालकर अपने पिता द्वारा बनाई जा रही मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने में लगी हुई हैं. गीतांजली सरकार से गुहार लगाती है कि अगर हमें थोड़ा आर्थिक मदद मिल जाए और उच्च स्तरीय कोई प्रशिक्षण मिले तो मेरा तो विकास होगा ही इसके साथ ही साथ इस क्षेत्र में रोजगार के भीअवसर खुल जायेंगे.