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बिहार सरकार को 935 एनेस्थेसिया डॉक्टरों की है जरूरत, जानिये हर माह कितना मिलेगा मानदेय

कोरोना महामारी में आइसीयू बेड को मानकों के अनुसार संचालित करने के लिए एनेस्थेसिया के डॉक्टरों को राज्य सरकार ने नौकरी का खुला ऑफर दिया है. सरकार का कहना है कि एनेस्थेसिया के डॉक्टर अगर सरकारी अस्पतालों में सेवाएं देना चाहते हैं, तो वे स्वास्थ्य विभाग में आवेदन करें. उनकाे हर माह डेढ़ लाख रुपये मानदेय दिया जायेगा.

पटना. कोरोना महामारी में आइसीयू बेड को मानकों के अनुसार संचालित करने के लिए एनेस्थेसिया के डॉक्टरों को राज्य सरकार ने नौकरी का खुला ऑफर दिया है. सरकार का कहना है कि एनेस्थेसिया के डॉक्टर अगर सरकारी अस्पतालों में सेवाएं देना चाहते हैं, तो वे स्वास्थ्य विभाग में आवेदन करें. उनकाे हर माह डेढ़ लाख रुपये मानदेय दिया जायेगा.

अभी सरकार को 935 एनेस्थेसिया डॉक्टरों की आवश्यकता है. इसको लेकर तकनीकी चयन आयोग ने विज्ञापन भी जारी किया गया. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि सरकार को एनेस्थेसिया के डॉक्टरों की आवश्यकता है.

अगर एनेस्थेसिया में डिग्री लेनेवाले डॉक्टर सरकारी सेवा में आना चाहते हैं, तो उनकी नियुक्ति की जायेगी. विभाग ऐसे डॉक्टरों को खुला ऑफर दे रही है. उन्होंने बताया कि आइसीयू में स्थापित किये गये वेंटिलेटर और वाइपैप जैसे मेडिकल उपकरणों के माध्यम से मरीजों के इलाज के लिए एनेस्थेसिया के डॉक्टरों का होना आवश्यक है.

सरकार आइसीयू तैयार कर सकती है, वेंटिलेटर और दवा की खरीद कर सकती है, पर इसके लिए ऐसे डाॅक्टरों का होना आवश्यक है. उन्होंने बताया कि पिछले साल ही पीएम केयर फंड से कुल 959 वेंटिलेटर बिहार को मिले थे. इनमें अधिकतर वेंटिलेटर मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को भेज दिये गये हैं. शेष वेंटिलेटर को जिलों के सदर अस्पतालों में भेजा गया है.

इसी प्रकार से 1209 वाइपैप मशीनें मिलीं, जो वेंटिलेटर के पूर्व प्रयोग की जाती हैं. इनमें से भी 1125 मशीनों को डीटीएचसी को भेजा गया है. अगर कुछ मशीनों का उपयोग नहीं हो रहा है, तो इसके पीछे एनेस्थेटिस्ट की कमी है.

2146 आइसीयू बेड स्थापित किये गये

कोरोना के दौरान राज्य में कुल 2146 आइसीयू बेड स्थापित किये गये हैं. इनमें जिला कोविड हेल्थ सेंटर में 95, डेडिडेकेटेड कोविड हॉस्पिटल में 520 और प्राइवेट में 1549 आइसीयू बेड हैं.

Posted by Ashish Jha

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