Sarkari Naukri : बिहार में पीएचडी योग्यताधारी ही बनेंगे असिस्टेंट प्रोफेसर, अब नेट नहीं रहेगा जरूरी
असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए अब नेट-जेआरएफ का महत्व आने वाले दिनों में नहीं रह जायेगा. 1 जुलाई 2021 से असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए सिर्फ और सिर्फ पीएचडी की डिग्री अनिवार्य करने की बात हो रही है.
अमित कुमार, पटना. असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए अब नेट-जेआरएफ का महत्व आने वाले दिनों में नहीं रह जायेगा. 1 जुलाई 2021 से असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए सिर्फ और सिर्फ पीएचडी की डिग्री अनिवार्य करने की बात हो रही है.
पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रकाश जावेड़कर के द्वारा बकायदा इसको लेकर विज्ञप्ति जारी कर घोषणा की गयी थी. अगर उक्त निर्णय को यूजीसी इस वर्ष अधिसूचित करती है तो 1 जुलाई 2021 से पुरानी व्यवस्था समाप्त हो जायेगी. हालांकि इस पर पुन: विचार कर कोई निर्णय केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय व यूजीसी ले सकती है.
इधर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब पीएचडी अर्हता तकनीकी संस्थानों के असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए अनिवार्य है, अर्थात अगर नेट या जेआरएफ हैं तो भी पीएचडी होना जरूरी होगा, अन्यथा आवेदन ही नहीं कर पायेंगे.
इस आलोक में भी एमएचआरडी के द्वारा यह निर्णय होना लगभग तय माना जा रहा है. जानकार बताते हैं कि नेट-जेआरएफ उत्तीर्ण अभ्यर्थी पीएचडी के लिए योग्य होंगे. जेआरएफ अभ्यर्थियों को प्राथमिकता मिलेगी.
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राज्य सरकार में अभी तक दोनों अर्हता मान्य
राज्य सरकार के द्वारा अब तक जो वेकेंसी आयी है उसमें नेट-जेआरएफ को भी अर्हता में रखा गया है लेकिन उन्हें काफी कम वेटेज दिया गया है. यहां भी पीएचडी को ही प्राथमिकता दी गयी है. पीएचडी को 30 प्वॉइंट तो वहीं नेट को 5 तथा जेआरएफ को सिर्फ 7 प्वॉइंट दिया गया है.
अर्हता हटायी नहीं गयी है लेकिन उनकी बहाली तभी होगी जब उक्त पोस्ट के लिए किसी पीएचडी धारक का दावा नहीं होगा. जानकार बताते हैं कि आगे जो भी वेकेंसी राज्य सरकार के द्वारा भी अगर आती है तो उसमें भी नेट-जेआरएफ अर्हता नहीं रहेगी. सिर्फ पीएचडी डिग्री, एकेडमिक रिकार्ड्स व साक्षात्कार ही नियुक्ति का एक मात्र आधार होगा.
क्या कहते हैं जानकार
पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो गिरीश कुमार चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जो अर्हता रखी गयी है उसके अनुसार पीएचडी योग्यताधारी ही असिस्टेंट प्रोफेसर बनेंगे. नेट-जेआरएफ छात्रों को कम वेटेज दिया गया है. दोनों अर्हता हो तो अधिक वेटेज है. सुप्रीम कोर्ट का निर्णय स्वागत योग्य है.
इधर बिहार प्रदेश पीएचडी धारक संघ के अध्यक्ष डॉ अनिल कुमार ने कहा कि नेट-जेआरएफ की अर्हता रखे जाने का सबसे अधिक प्रभाव शोध कार्य पर पड़ रहा था. अधिकतर छात्र नेट-जेआरएफ पर अधिक जोर दे रहे थे वहीं शोध कार्य से विमुख हो रहे थे. इसी वजह से एमएचआरडी ने यह घोषणा की थी और आज सुप्रीम कोर्ट भी यह कह रही है.
Posted by Ashish Jha