नगर आयुक्त को कोर्ट में हाजिर कराने के लिए थानाध्यक्ष को 15 दिनों की मोहलत

आयोग ने थानाध्यक्ष को 18 जून 2024 को न्यायालय में भौतिक रूप से उपस्थित होकर कारणपृच्छा समर्पित करने का आदेश दिया था. इसी आदेश में आयोग के समक्ष मंगलवार को उपस्थित होकर थानाध्यक्ष ने अपनी बात रखी, जिस पर आयोग ने उन्हें 15 दिनों की मोहलत दी.

By Prabhat Khabar Print | June 18, 2024 10:40 PM

सासाराम कार्यालय. जमानतीय और अजमानतीय अधिपत्र निर्गत करने के बाद भी नगर निगम के नगर आयुक्त को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के न्यायालय में उपस्थित नहीं कराने पर आयोग के सदस्य न्यायपीठ प्रथम बिटेश्वर नाथ पांडेय ने पुलिस निरीक्षक सह थानाध्यक्ष नगर थाना सासाराम का एक माह का वेतन स्थगित कर दिया था. इसी मामले में आयोग ने थानाध्यक्ष को 18 जून 2024 को न्यायालय में भौतिक रूप से उपस्थित होकर कारणपृच्छा समर्पित करने का आदेश दिया था. इसी आदेश में आयोग के समक्ष मंगलवार को उपस्थित होकर थानाध्यक्ष ने अपनी बात रखी, जिस पर आयोग ने उन्हें 15 दिनों की मोहलत दी. इस संबंध में आयोग के सदस्य न्यायपीठ प्रथम बिटेश्वर नाथ पांडेय ने बताया कि थानाध्यक्ष को आगामी 15 दिनों में प्रतिवेदन समर्पित करने का आदेश दिया गया है. इसके बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी. गौरतलब है कि 27 मई 2024 को इजराय केस नं.-21/2015 में संज्ञान लेते हुए आयोग ने कहा था कि 18 जून 2024 को न्यायालय में भौतिक रूप से उपस्थित होकर कारणपृच्छा समर्पित करें कि क्यों नहीं आपके विरुद्ध न्यायालय के आदेश की अवमानना किये जाने के कारण कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट एक्ट 1971 के तहत संज्ञान लिये जाने और आपको दंडित कराये जाने के लिए पटना उच्च न्यायालय को प्रेषित कर दिया जाये? यह आदेश आयोग ने कालिका सिंह बनाम कार्यपालक पदाधिकारी/नगर आयुक्त नगर निगम सासाराम के इजराय केस नं.-21/2015 में दिया था. आयोग ने कहा था कि आवश्यक ध्यातव्य हो कि निर्णीत ऋणी नगर आयुक्त सासाराम की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए पत्रांक 139 दिनांक 12 अगस्त 2023 को जमानतीय एवं पत्रांक 177 दिनांक 20 सितंबर 2023 को अजमानतीय अधिपत्र निर्गत कर इसके निष्पादन के लिए आपको प्रेषित किया गया था. लेकिन, आपके द्वारा वारंट का निष्पादन अति पर्याप्त समय के बावजूद कदापि नहीं किया गया. इसके बाद 15 मार्च 2024 को कारणपृच्छा समर्पण के लिए पत्र भी प्रेषित किया गया है, जो पुलिस कर्तव्य के प्रति पूर्णत: निष्क्रियता, अति महत्वपूर्ण दायित्व में लापरवाही, शिथिलता एवं स्पष्ट अवज्ञाकारी तरीके का परिचायक होने के साथ-साथ न्यायालय आदेश की स्पष्ट अवमानना की परिधि में आता है. इसलिए 18 जून 2024 को न्यायालय में भौतिक रूप से उपस्थित होकर कारणपृच्छा समर्पित करें.

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