Bihar Land Survey: दस्तावेज की नकल लेने में लोगों के छूट रहे पसीने, भूमि सर्वे में कर्मचारियों का गड़बड़झाला बना मुसीबत
Bihar Land Survey: बिहार में 20 अगस्त से भूमि सर्वेक्षण का काम चल रहा है. इसके लिए दस्तावेज खोजे जा रहे हैं, लेकिन कई ऐसे भी लोग हैं, जिनका जमीन का पूरा का पूरा दस्तावेज ही गुम हो चुका है. उस पुराने दस्तावेजों की खोज में लोग जुटे हुए हैं.
Bihar Land Survey, सासाराम ग्रामीण. जिले में भूमि सर्वेक्षण (Land Survey) का कार्य चल रहा है. इसके लिए दस्तावेज खोजे जा रहे हैं, लेकिन कई ऐसे भी लोग हैं, जिनका जमीन का पूरा का पूरा दस्तावेज ही गुम हो चुका है. उस पुराने दस्तावेजों की खोज में लोग जुटे हुए हैं. रजिस्ट्री से खरीदी हुई जमीन के गुम हुए दस्तावेजों को ढूंढ़ने के लिए लोग निबंधन कार्यालय पहुंच रहे व जिनका पुश्तैनी जमीन का कागजात गुम हो गया है, वह अंचल कार्यालय व अभिलेखागार का चक्कर काट रहे हैं. जिले में कई ऐसे भी मामले हैं. करीब 20 वर्ष पूर्व जमीन की रजिस्ट्री तो हो गयी. लेकिन, उस जमीन का म्यूटेशन अब तक नहीं हुआ है. इसको लेकर लोग निबंधन कार्यालय में अपनी जमीन का रजिस्ट्री डीडी को खोजने के लिए पहुंच रहे हैं. लेकिन, लोगों को तब पसीना छूट रहा है, जब उनकी रजिस्ट्री डीड की संख्या व जमीन के क्रेता व विक्रेता का विवरण निबंधन कार्यालय के इंडेक्स में अंकित है. लेकिन, जिल्द से जमीन का पूरा दस्तावेज ही गायब मिल रहा है.
जमीन का केवाला ही गायब
ऐसे में जिले में सैकड़ों उदाहरण सामने आने लगे हैं. शिवसागर अंचल क्षेत्र के थाना नंबर 421 में मीरा देवी ने वर्ष 1997 में करीब 1.5 डिसमिल जमीन की रजिस्ट्री करायी थी. उनके द्वारा खरीद की गयी जमीन की रजिस्ट्री का डीड गुम हो गया है. जब वह निबंधन कार्यालय पहुंची, तो इंडेक्स में जब उनकी जमीन का विवरण देखा गया, तो वहां जमीन का विवरण भी अंकित है. लेकिन, जब वह अपनी जमीन के दस्तावेज का रजिस्टर्ड नकल के लिए आवेदन किया, तो उस जमीन का केवाला ही गायब है. वहीं, सासाराम के दरिगांव मौजा के नवल किशोर सिंह ने वर्ष 1996 में करीब 10 डिसमिल जमीन रजिस्ट्री करायी थी. लेकिन, वहीं बातें उनके साथ भी हुआ. इंडेक्स में जमीन का विवरण अंकित है. लेकिन, जिल्द में दस्तावेज ही गायब है. इसके कारण निबंधन कार्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं.
कर्मचारियों का गड़बड़झाला लोगों के लिए मुसीबत
जब जिल्द से दस्तावेज ही गायब हो जायेंगे, तो लोगों के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है. इसके कारण लोग अपनी जमीन की वास्तविक जानकारी नहीं ले सकेंगे. इससे विवाद भी उत्पन्न होगा. लोग अब सवाल करने लगे हैं कि इंडेक्स में जमीन का पूरा विवरण अंकित है. उसके बाद दस्तावेजों का गायब होना कहीं कर्मचारियों का गड़बड़झाला तो नहीं है? चंद रुपये के चक्कर में पूरा दस्तावेज के साथ छेड़छाड़ तो नहीं की गयी है, जो परेशानी का सबब बन चुका है.
क्या बोले अधिकारी
सासाराम के जिला अवर निबंधन पदाधिकारी ऋषिकेश शाहपुरी ने कहा कि किसी व्यक्ति के साथ जमीन दस्तावेज की समस्या उत्पन्न हो रही है, तो उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है. इस तरह के कई मामले सामने आने लगे हैं. पूर्व के कर्मचारियों के द्वारा ऐसा भी किया गया है कि इंडेक्स में कुछ है और जिल्द में कुछ और दस्तावेज का विवरण चढ़ा दिया गया है. जिस वर्ष का दस्तावेज नहीं मिल पा रहा है, उसके एक वर्ष आगे का या पहले जिल्द की खोज होगी. तो दस्तावेज जरूर मिल जायेगा.
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