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मरीज बढ़ने से नहीं हो पाता बीपी चेक भी

सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था बढ़ने के साथ-साथ मरीजों की भीड़ भी बढ़ गयी है. एक-एक डॉक्टर 100 से अधिक मरीजों को प्रतिदिन देखते हैं.

सदर अस्पताल. छह दिनों में विभिन्न ओपीडी में पहुंचे 7350 मरीज

ओपीडी में 100 से अधिक मरीजों को देख रहे एक-एक डॉक्टर

फोटो-2-सदर अस्पताल के पर्ची काउंटर पर लगी मरीजों की भीड़

ए- डॉक्टर को दिखाने के लिए ओपीडी में लगी मरीजों की कतार.

बी- दवा काउंटर पर अपनी बारी का इंतजार करते मरीज.

प्रतिनिधि, सासाराम नगर

सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था बढ़ने के साथ-साथ मरीजों की भीड़ भी बढ़ गयी है. एक-एक डॉक्टर 100 से अधिक मरीजों को प्रतिदिन देखते हैं. अगर जनरल मेडिसिन व आर्थो की बात करें, तो यहां पर प्रतिदिन 300 के करीब मरीज पहुंचते, जिन्हें देखने के लिए महज एक डॉक्टर रहते हैं. ऐसे में पर्ची कटाने से लेकर दवा लेने तक मरीजों को एक घंटे से अधिक समय तक कतार में खड़े होकर इंतजार करना पड़ रहा है. सदर अस्पताल में पिछले छह दिनों में 7350 से अधिक मरीज ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचे. इन मरीजों ने डॉक्टर से अपनी समस्या बतायी, जिस पर डॉक्टर ने दवाएं लिखकर उन्हें दवा लेने के लिए दवा काउंटर पर भेज दिया. अगर कुछ गंभीर बीमारी है, तो फिर उसकी जांच लिख देते हैं. ओपीडी के दौरान मरीजों की न तो बीपी चेक किया जाता है और न ही डॉक्टर उन्हें आला लगाते हैं. कई ओपीडी के आगे दरवाजा रस्सियों से बांधकर रखा जाता है, ताकि धक्कामुक्की कर मरीज सीधे कमरे में प्रवेश न कर जाये. ऐसी स्थिति सदर अस्पताल में प्रत्येक दिन रहती है. लंबी कतारों को देख मरीज व उनके परिजन घबराकर प्राइवेट अस्पतालों में भी चले जाते हैं.

जरूरत से कम हैं डॉक्टर

सदर अस्पताल में जरूरत के अनुसार डॉक्टरों की कमी है. सदर अस्पताल में अधीक्षक सहित कुल 58 पद सृजित हैं. लेकिन, इसके अनुपात में कार्यकारी अधीक्षक सहित महज 35 डॉक्टर कार्यरत हैं. इन डॉक्टरों को ओपीडी के साथ-साथ अस्पताल प्रशासन से जुड़े अन्य कार्यों में भी लगाया जाता है. इसको लेकर आये दिन डॉक्टरों पर कार्य का दबाव बढ़ता जा रहा है. सदर अस्पताल के कार्यकारी अधीक्षक डॉ पीके कनौजिया ने बताया कि एक डॉक्टर से अगर आप बेहतर ओपीडी चाहते हैं, तो वह दिन में 40 से 50 मरीज देखेगा. लेकिन, सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं हो रही है. ऐसे में एक-एक डॉक्टर 300 से अधिक मरीज देख रहे हैं, जिससे यह तय है कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में कमी आयेगी. हमलोगों ने राज्य स्वास्थ्य विभाग से डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने को लेकर पत्र लिखा है.

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