काराकाट में जाति-जाति, तो सासाराम में राष्ट्रवाद व मुद्दों पर हो रही बात
रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम का दो लोकसभा क्षेत्रों के लिए अहम स्थान है. वैसे यहां के कलेक्ट्रेट में काराकाट लोकसभा क्षेत्र के चुनाव का कार्य हो रहा है, जहां काराकाट के उम्मीदवारों व समर्थकों का आना-जाना लगा है. तो लाजमी है कि चुनावी चर्चा होगी ही.
अनुराग शरण, सासाराम कार्यालय. रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम का दो लोकसभा क्षेत्रों के लिए अहम स्थान है. वैसे यहां के कलेक्ट्रेट में काराकाट लोकसभा क्षेत्र के चुनाव का कार्य हो रहा है, जहां काराकाट के उम्मीदवारों व समर्थकों का आना-जाना लगा है. तो लाजमी है कि चुनावी चर्चा होगी ही. वहीं, सासाराम लोकसभा क्षेत्र के लिए सासाराम इसलिए अहम है कि पूरे संसदीय क्षेत्र में सबसे बड़ा नगर है, जहां बड़ी संख्या में सासाराम लोकसभा क्षेत्र के वोटर हैं. हालांकि, सासाराम लोकसभा क्षेत्र अपने स्थापना काल से सुरक्षित सीट है. यहां जाति गौण हो जाती है. इस चुनाव में भी कमोबेश हाल पुराना ही है. इस बार लगभग प्रमुख दलों भाजपा, कांग्रेस व बसपा की ओर से नये उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. इंडी गठबंधन के नेता महंगाई, बेरोजगारी व धार्मिक उन्माद को मुद्दा बना रहे हैं, तो भाजपा के नेता और समर्थक देश की सुरक्षा, समृद्धि व राम मंदिर को मुद्दा बना रहे हैं. इंडी गठबंधन के समर्थक उमेश चंद्रवंशी, राजेश्वर प्रसाद ने कहा कि रोटी व पान की तरह देश की सत्ता को पलटते रहना चाहिए. नहीं तो रोटी व पान सड़ जाते हैं और सत्ता निरंकुश हो जाती है. वहीं, भाजपा के समर्थक दिलीप सिंह और जितेंद्र कुमार ने कहा कि देश के लिए कुछ बेहतर कार्य अभी बाकी है. इसके लिए भाजपा को एक बार फिर सत्ता में आना जरूरी है. उधर, काराकाट की फिजा कुछ और ही है. इंडी गठबंधन हो या फिर एनडीए या फिर निर्दलीय, सभी के लिए जातीय गोलबंदी हो रही है. इंडी गठबंधन माई समीकरण के साथ कुशवाहा को साधने की कोशिश कर रहा है, तो एनडीए कुशवाहा को साधने के साथ राजपूतों को मनाने में लगा है, जो वर्तमान में भोजपुरी स्टार पवन सिंह की ओर झुकते दिखाई दे रहे हैं. पवन सिंह अलग रहा पकड़े हुए हैं. चह युवाओं पर ज्यादा फोकस करते हुए उनके घर के अंदर प्रवेश कर वोट बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. एक अनुमान के अनुसार, काराकाट लोकसभा क्षेत्र में यादव करीब 18 प्रतिशत, राजपूत करीब 11 प्रतिशत, मुस्लिम करीब 11 प्रतिशत, कुशवाहा करीब नौ प्रतिशत, ब्राह्मण करीब पांच प्रतिशत और भूमिहार जाति के करीब तीन प्रतिशत मतदाता हैं.
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