रोहतास के 9 बाल मजदूर ठेकेदार के चंगुल से हुए मुक्त, तमिलनाडु की एक फैक्ट्री में कर रहे थे काम

काराकाट के नौ बाल मजदूरों को ठेकेदार के चंगुल से मुक्त कराया गया है. ठेकेदार बच्चों को आरा स्टेशन पर छोड़कर भाग गया. काराकाट के चिकसिल बाल गांव पहुंचे बच्चों ने बताया कि उन्हें तमिलनाडु की एक कागज फैक्ट्री में रखा गया था और उनसे 12 घंटे काम कराया जाता था

By Anand Shekhar | June 2, 2024 6:55 PM

रोहतास जिले के काराकाट थाना क्षेत्र के चिकसिल बाल गांव के एक मुसहर परिवार के नौ बच्चे करीब एक साल बाद ठेकेदार के चंगुल से मुक्त होकर रविवार को अपने गांव पहुंचे. रविवार की सुबह करीब साढ़े आठ बजे ठेकेदार बच्चों को आरा स्टेशन पर छोड़कर भाग गया. परिजन जब अपने बच्चों को गांव लाए तो उन्हें देखने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा. इस संबंध में एसआई दया शंकर साह ने बताया कि बच्चों का बयान दर्ज कर लिया गया है. सभी बच्चे सकुशल घर पहुंच गए हैं. आगे की कार्रवाई की जाएगी.

गांव पहुंचे सभी बच्चे

इस मामले में पुलिस ने भोजपुर जिले के आयर थाना क्षेत्र के बरनावा गांव निवासी विमल राम मुसहर और अगिआंव थाना क्षेत्र के जमुआंव गांव निवासी दिनेश यादव पर दबाव बनाकर रविवार को बच्चों को मुक्त कराया.

सभी नौ बच्चे सरोज कुमार उम्र करीब 16 वर्ष पिता जयराम, बुला मुसहर उम्र करीब 22 वर्ष पिता भरथ राम, शंकर राम उम्र करीब 22 वर्ष पिता भरथ राम, धनजी राम उम्र करीब 12 वर्ष पिता चवनी राम, दशई राम उम्र करीब 11 वर्ष पिता गांधी मुसहर, सन्नी मुसहर उम्र करीब 12 वर्ष पिता त्रिभुवन मुसहर, किशोरी मुसहर उम्र करीब 12 वर्ष पिता दिनेश मुसहर, मोटक मुसहर उम्र करीब 12 वर्ष पिता दिनेश मुसहर व सुनर मुसहर उम्र करीब 11 वर्ष पिता स्व. अदल मुसहर अपने गांव पहुंचे.

बताते चलें कि 21 मई 2024 को चिकसील बाल गांव निवासी जयराम पिता सुसु राम ने थाना में आवेदन देकर प्राथमिकी दर्ज करने की गुहार लगाई थी. तब मामले का खुलासा हुआ था. उस समय जयाराम ने बताया थी कि दोनों ठेकेदार करीब एक वर्ष पहले नौ बच्चों को अपने साथ ले गए थे. करीब छह माह तक बच्चे परिजनों के संपर्क में रहे. लेकिन इधर तीन माह से उनका संपर्क टूट गया. चिंतित परिजन थाना पहुंचे तो बच्चे आज मुक्त हुए.

तमिलनाडु के किसी फैक्ट्री में काम कर रहे थे बच्चे

नौ बच्चों में सबसे बड़े करीब 22 वर्षीय बुला मुसहर और शंकर राम ने बताया कि हम लोगों को तमिलनाडु के किसी पेपर फैक्ट्री में रखा गया था. छह माह तक सब ठीक चल रहा था. हर रोज 12 घंटे काम लिया जाता था. रविवार को हम लोग 16 घंटे काम करते थे. इधर तीन माह से हमलोगों का मोबाइल छीन लिया गया था. हमलोग किसी से संपर्क नहीं कर पा रहे थे. दो दिन पहले हम लोगों को ट्रेन से लेकर ठेकेदार चले थे. आज आरा स्टेशन पर हमें छोड़ा और अपने ही मोबाइल से गांव में सूचना देकर ठेकेदार न जाने कहां चला गया. हम लोग घर आकर बहुत खुश हैं.

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