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कोचस में डायरिया का प्रकोप बढ़ा, स्वास्थ्य विभाग की टीम नदारद

कोरोना महामारी के बाद यह पहली बीमारी है, जिसकी चपेट में एक साथ गांव की आधी आबादी आ गयी है. प्रखंड के चमरहां गांव में अचानक सोमवार को डायरिया की चपेट में 40 लोगों के आने की सूचना आते ही चिकित्सकों की टीम ने गांव में ही कैंप किया था

कोचस. कोरोना महामारी के बाद यह पहली बीमारी है, जिसकी चपेट में एक साथ गांव की आधी आबादी आ गयी है. प्रखंड के चमरहां गांव में अचानक सोमवार को डायरिया की चपेट में 40 लोगों के आने की सूचना आते ही चिकित्सकों की टीम ने गांव में ही कैंप किया था. लेकिन, देर रात आंकड़ा बढ़कर 50 तक पहुंच गया है. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ तुषार कुमार ने कहा कि सीएचसी में पहुंचे मरीजों को भर्ती कर उपचार किया जा रहा है. इलाजरत सभी मरीज खतरे से बाहर हैं. लेकिन, इतने लोगों के एक साथ डायरिया की चपेट में आने के बाद कारणों का पता लगाया जा रहा है. हालांकि, चिकित्सक इसकी बड़ी वजह दूषित पानी और गंदगी को मान रहे हैं. लेकिन, अब तक गांव के चापाकलों के पानी की जांच नहीं हुई है, जिससे केवल अंदाजा लगाया जा रहा है, क्योंकि इस गांव की 90 प्रतिशत आबादी अब भी खुले में शौच करती है. इसकी जानकारी यहां के वार्ड सदस्य ने दी है.

लोहिया स्वच्छता मिशन व ओडीएफ फाइलों में

लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान व हर घर नल जल योजना को शत प्रतिशत पूरा कर लिये जाने को लेकर प्रशासन भले ही अपनी पीठ थपथपा रहा हो. लेकिन, प्रखंड की नौवां पंचायत स्थित चमरहां गांव में फैले डायरिया के बाद यहां सारे दावों की पोल खुल रही है. सोमवार को मेडिकल टीम के साथ गांव पहुंचे सीएचसी के चिकित्सकों ने डायरिया फैलने की मुख्य वजह खुले में शौच व दूषित पेयजल बताया था. हालांकि, इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है. इधर, चिकित्सकों की मानें, तो इससे स्पष्ट है कि अधिकतर लोगों के घरों में न तो शौचालय बन पाया और न ही वहां नल जल की कोई व्यवस्था हो सकी है. इसकी वजह से गांव के अधिकतर लोग खुले में शौच करने को विवश हैं. वहीं, दूसरी तरफ गांव में नल-जल की हालत ठीक नहीं होने के कारण लोग घर या आसपास के हैंडपंप का पानी पी रहे हैं. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी की मानें, तो वहां पानी का लेयर काफी ऊंचा है. इसके कारण हैंडपंप भी 30 से 40 फुट पर ही अच्छा पानी देने लगता है. बताया जाता है कि बरसात के दिनों में खुले में शौच व चारों तरफ फैली गंदगी से निकले कीटाणुओं, जो पानी की निचली सतह के संपर्क में आ जाते हैं, इसकी वजह से हैंडपंप का पानी भी दूषित हो जाता है, जिसे पीने के बाद डायरिया जैसे घातक रोग फैलने लगता है.

क्या कहते हैं वार्ड सदस्य

वार्ड आठ के वार्ड सदस्य मदन चौधरी के अनुसार, इस गांव में करीब 125 घरों की आबादी है. प्रशासन की लापरवाही की वजह से एक चौथाई घरों को अभी तक शौचालय नहीं मिल पाया है. इसके अलावा गांव में जो शौचालय बने हैं, वे अधिकतर ध्वस्त हो चुके हैं. इसके कारण गांव की 90 प्रतिशत आबादी अब भी खुले में शौच के लिए जाती है.

ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग पर लगाया आरोप

वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि गांव में फैले महामारी के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है. इसका नतीजा है कि सोमवार की रात से लेकर मंगलवार की सुबह तक पुनः आधा दर्जन नये लोग डायरिया की चपेट में आ गये हैं. जिन मरीजों का इलाज सीएचसी में चल रहा है, उनके परिजनों का कहना है कि महामारी के दौरान चिकित्सीय टीम तो गांव में गयी, लेकिन दवा देने के बाद मरीजों को पानी चढ़ा कर बैरंग वापस लौट गयी. यहां तक कि आशा के अलावा कोई भी स्वास्थ्यकर्मी वहां थोडी़ देर भी नहीं रुक पाया कि पानी (स्लाइन) के सिरिंज को निकाला जा सके. फिलहाल जो भी हो, लेकिन यहां जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को इस मामले को संज्ञान में लेना चाहिए. नहीं तो गांव में स्थिति भयावह हो सकती है.

क्या कहते हैं अधिकारी

बीडीओ दीपचंद्र जोशी ने बताया कि चमरहां गांव में डायरिया से आक्रांत मरीजों का लगातार अपडेट लिया जा रहा है. गांव की स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होने लगी है. फिर भी स्थिति पर नजर रखी जा रही है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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