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वन माफियाओं की नजर सेंचुरी के केंदु पत्तों पर

रोहतास रेंज अंतर्गत कैमूर पहाड़ी के जंगलों में केंदु पत्ता इस वर्ष मौसम अनुकूल होने के कारण काफी मात्रा में निकला है और जंगलों में अपने फल के साथ खूबसूरती बिखेर रहा है.

नौहट्टा.

रोहतास रेंज अंतर्गत कैमूर पहाड़ी के जंगलों में केंदु पत्ता इस वर्ष मौसम अनुकूल होने के कारण काफी मात्रा में निकला है और जंगलों में अपने फल के साथ खूबसूरती बिखेर रहा है. सेंचुरी एरिया में लगे 50 करोड़ रुपये से अधिक के केंदु पत्तों पर वन माफियाओं की नजर गड़ चुकी है. उन्होंने अपने और कुछ अन्य लोगों से जंगल का निरीक्षण भी कराना शुरू कर दिया हैं. संभव है कि एक सप्ताह बाद से पत्तियों की तोड़ाई शुरू भी होगी. सूत्रों की मानें, तो सेंचुरी के बाहर पेड़ कम हैं, लेकिन सेंचुरी के अंदर के पत्तों की तोड़ाई संभव है. इसके लिए जुगाड़ की व्यवस्था की जा रही है. बताया जाता है कि कुछ ऐसे भी मजदूर हैं, जो पत्तों को तोड़कर सोन पार कर झारखंड व उत्तर प्रदेश में पार कर देते हैं और वहां के व्यापारियों से बेंच देते हैं. गौरतलब है कि प्रत्येक वर्ष प्रखंड क्षेत्र से केंदु पत्ते का व्यवसाय करोड़ों में होता है. मई के महीने में पत्तियों की तोड़ाई की जाती है. जंगल में करीब 50 करोड़ से अधिक का केंदु पत्ता रहता है, लेकिन अधिकांश स्थान सेंचुरी एरिया में आता है. इसके कारण राजस्व की क्षति होती है.

सौ वर्ग किमी में होता है केंदु पत्तों का उत्पादन

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रेहल यात्रा के दौरान वर्ष 2018 में जंगली फल-फूल व पत्तियों पर वनवासियों का अधिकार बताया था. बावजूद इसके जंगली वस्तुओं पर रोक नहीं हटी. जब भी वनवासी जंगली फल-फूलों को पहाड़ के नीचे लाते हैं, गिरफ्तार कर लिये जाते हैं. रोहतास रेंज अंतर्गत करीब सौ वर्ग किलोमीटर में केंदु पत्ते का उत्पादन होता है. रोहतास रेंज मे कोड़ियारी व तारडीह सेंचुरी से बाहर है, इसका टेंडर किया जाता है. वहीं, रोहतास रेंज के ही नौहट्टा प्रखंड अंतर्गत अमहुआ के जंगलों का टेंडर किया जाता है. परंतु एक दर्जन से अधिक स्थानों पर फड़ी (खलिहान) बना कर जंगलों में भी सैकड़ों स्थानों पर पत्तों को सुखाया जाता है. सूत्रों की मानें, तो टेंडर सेंचुरी के बाहर का होता है, लेकिन टेंडर की आड़ में तोड़ाई सेंचुरी के अंदर की भी होती है. क्षमता से अधिक पत्तों को झारखंड व उत्तर प्रदेश आदि जगहों पर पहाड़ के रास्ते भेजा जाता है. रेंजर हेमचंद्र मिश्रा ने बताया कि विभाग के निर्देशानुसार ही पत्तियों की तोड़ाई होती है. इस वर्ष टेंडर हो गया है. एकाध सप्ताह बाद सेंचुरी के बाहर के पत्तों की तोड़ाई संवेदकों द्वारा करायेगा.

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