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केको आईकोवा बनीं पायलट बाबा की उतराधिकारी

पायलट बाबा के निधन के बाद अब उनकी संस्था की उतराधिकारी साध्वी कैवल्या देवी (केको आईकोवा) हो गयी हैं. हरिद्वार में उनके उतराधिकारी के नाम की घोषणा हुई है.

सासाराम ग्रामीण. पायलट बाबा के निधन के बाद अब उनकी संस्था की उतराधिकारी साध्वी कैवल्या देवी (केको आईकोवा) हो गयी हैं. हरिद्वार में उनके उतराधिकारी के नाम की घोषणा हुई है. जूना अखाड़े के महंत और संतों ने नाम की घोषणा करते हुए बाबा की जापान की रहने वाली शिष्या योग माता साध्वी कैवल्या देवी को उनका उतराधिकारी नियुक्त किया. साध्वी कैवल्या देवी को पायलट बाबा आश्रम ट्रस्ट का अध्यक्ष और दो अन्य शिष्याओं महामंडलेश्वर साध्वी चेतनानंद गिरि और साध्वी श्रद्धा गिरि को ट्रस्ट का महामंत्री बनाया गया है. इसकी जानकारी श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि गत मंगलवार को बाबा का देहावसान हो गया. गुरुवार को श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि के दिशा-निर्देशन एवं अभिजीत मुहूर्त में 11 बजकर 55 मिनट पर ब्रह्मलीन संत पायलट बाबा को उनके कनखल स्थित आश्रम में भू-समाधि दी गयी. यही उनकी अंतिम इच्छा थी. जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर पायलट बाबा अकूत संपत्ति के मालिक थे. उनके सबसे ज्यादा अनुयायी जापान, रूस और यूक्रेन में हैं. हरिद्वार, नैनीताल, बिहार, उत्तरकाशी, गंगोत्री समेत कई स्थानों पर पायलट बाबा के आश्रम हैं. पायलट बाबा कुंभ और विशेष अवसरों पर शाही स्नान में शामिल हुआ करते थे. पायलट बाबा के हरिद्वार स्थित आश्रम में जापान, यूक्रेन, रूस, जर्मनी समेत कई देशों के अनुयायी सेवा के लिए आते हैं.

कौन हैं साध्वी कैवल्या देवी?

जानकारी के अनुसार, योग माता साध्वी कैवल्या देवी (केको आईकोवा) जापान की जानी-मानी भू समाधि विशेषज्ञ हैं. वह हिमालय में ध्यान और योग की अंतिम अवस्था प्राप्त करके सिद्ध गुरू बनने वालीं पहली और एकमात्र महिला के साथ ही एकमात्र विदेशी मूल की महिला भी हैं. 40 साल से ज्यादा से ध्यान और योग पर एक विशेषज्ञ के रूप में उन्होंने जापान में इन प्रथाओं को पोषित करने में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया. 1985 में उन्होंने जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक हरि गिरि महाराज से मुलाकात कर उनके मार्गदर्शन में हिमालय क्षेत्र में करीब पांच हजार मीटर की ऊंचाई पर कठिन प्रशिक्षण प्राप्त किया था. इसके बाद उन्होंने परम समाधि प्राप्त की, जिसका अर्थ अपने मन और शरीर पर पूरी तरह नियंत्रण रखने से है. कैवल्या देवी ने 1991 से 2007 तक सत्य को प्रमाणित करने और विश्व शांति को बढ़ावा देने के लिए पूरे भारत में समाधि के 18 सार्वजनिक दर्शन किए. 2007 में उन्हें भारत के सबसे बड़े आध्यात्मिक तप संघ जूना अखाड़ा से महामंडलेश्वर की उपाधि मिली.

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