करगहर में बीएओ व बीइओ सहित कई पद प्रभार में, विकास ठप

20 पंचायत वाले करगहर प्रखंड में अधिकतर विभाग अधिकारी और कर्मी विहीन हैं. अधिकारियों के अभाव में अधिकतर विभाग प्रभार में चल रहे हैं. इसके कारण क्षेत्र का विकास कार्य प्रभावित हो रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 22, 2024 10:21 PM
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करगहर. 20 पंचायत वाले करगहर प्रखंड में अधिकतर विभाग अधिकारी और कर्मी विहीन हैं. अधिकारियों के अभाव में अधिकतर विभाग प्रभार में चल रहे हैं. इसके कारण क्षेत्र का विकास कार्य प्रभावित हो रहा है. वहीं, आम जनता का भी काम समय पर नहीं हो पा रहा है. जानकारी के मुताबिक, लंबे समय से प्रखंड कृषि पदाधिकारी (बीएओ) का पद रिक्त है. इसके चलते प्रखंड कृषि कार्यालय कृषि समन्वयक और किसान सलाहकार की बदौलत संचालित हो रहा है, जबकि करगहर प्रखंड को कृषि के क्षेत्र में रोहतास का कटोरा माना जाता है. वहीं, प्रखंड में कुल 200 सौ विद्यालय हैं. लेकिन यहां बीइओ की पदस्थापन नहीं होने के चलते इन विद्यालयों में शैक्षणिक कार्यों की देखरेख और गतिविधियों पर बीआरसी में कार्यरत बीआरपी और कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा किया जाता है, जो शिक्षा के क्षेत्र में सरकार की दावे को खोखला साबित करता है.

बीपीआरओ का प्रभार बीडीओ को : सरकार द्वारा पंचायत में संचालित योजनाओं कोे क्रियान्वयन कराने के लिए बीपीआरओ का पद सृजित किया गया है. लेकिन प्रखंड में गत एक साल से बीपीआरओ का पदस्थापन नही होने के चलते एक वर्ष से बीपीआरओ का प्रभार बीडीओ के जिम्मे है. इससे पंचायतों में विकास कार्य व्यापक स्तर पर प्रभावित है. वहीं, प्रखंड में गत कई वर्षो से श्रम परिवर्तन पदाधिकारी का पदस्थापन नही है. इससे यह पद भी प्रभार में चल रहा है. इसके चलते मनरेगा में कार्यरत 20 हजार जाॅब कार्डधारियों में से अधिकतर का अब तक श्रम कार्ड नही बन पाया है. इधर, प्रखंड में वर्षों जेएसएस का पदस्थापन नही है. इससे यह भी प्रभार में चल रहा है. इसके चलते जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने के साथ इस विभाग का कोई भी काम नही हो पाता है.

राजस्व पदाधिकारी का पद भी हुआ रिक्त :

राजस्व पदाधिकारी तान्या कुमारी के स्थानांतरण हो जाने के बाद अब राजस्व पदाधिकारी का पद भी रिक्त हो गया है. जिसके चलते अंचल में पहले से लचर गति से चल रहे जमीन से जुडे कार्यों का निष्पादन कराने में आमजनों को और अधिक मुश्किलों का सामना करना पडेगा. वहीं, प्रखंड में कल्याण पदाधिकारी का पदस्थापन तो है, लेकिन वह कभी भी करगहर स्थित अपने कार्यालय में नहीं बैठती हैं. यहां तक की प्रमुख बैठकों में भी उनकी उपस्थिति दिखाई नहीं पड़ती है. इसके अलावा दो वर्षों से चकबंदी पदाधिकारी का पद प्रभार में चल रहा है. इससे चकबंदी कार्यालय का कार्य व्यापक स्तर पर प्रभावित है. जमीन से जुड़ी समस्याओं को लेकर आये दिन लोग चकबंदी कार्यालय का चक्कर लगाते हैं, लेकिन उन्हें परेशान होकर वापस लौटना पड़ता है. यू कहे तो प्रखंड में बीडीओ, सीडीपीओ, एमओ, पीओ मनरेगा और बीसीओ को छोड़कर सभी पदाधिकारी और पर्यवेक्षकों का पद वर्षो से रिक्त है. लेकिन सरकार द्वारा इस गंभीर समस्या का निदान करने पर ध्यान नही दिया जा रहा है.

करगहर में नहीं आना चाहते हैं अधिकारी

करगहर प्रखंड में वर्षों से प्रखंड और अंचल में सरकार की ओर से सृजित किये विभागों के अधिकारियों के पद रिक्त पड़े हैं. लेकिन इस गंभीर समस्या पर संबंधित विभाग गंभीर नही है. इससे यहां के आमजनों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. लोगों की मानें, तो जिस विभाग में अधिकारियों का पदस्थापन नहीं है, उन्हें यहां भेजने के लिए संबंधित विभाग के बड़े अधिकारियों की ओर से काफी पैसों की मांग की जाती है. इससे कई भी अधिकारी यहां आने को तैयार नही होता है. यही नही, करगहर के अधिकारियों को राजनीतिक और प्रभावशाली व्यक्तियों से भी परेशानी होती है. इससे वे अपने आपको असुरक्षित महसूस कर करगहर में नहीं आना चाहते. या ये सब बातें एक सिर्फ बहाना हैं. अगर बहाना है, तो करगहर जैसे ब्लॉक में इतने बड़े पैमाने पर अधिकारियों का पद खाली करना सरकार के गुड गवर्नेंस के दावे को खोखला साबित करता है.
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