सासाराम लोकसभा सीट पर नोटा का भी कायम रहा है दबदबा

सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद चुनाव आयोग ने वर्ष 2013 में इवीएम में एक बटन नोटा का प्रावधान किया था. इसका पहली बार वर्ष 2014 के चुनाव में मतदाताओं ने उपयोग किया था.

By Prabhat Khabar News Desk | May 22, 2024 3:57 PM
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पीके जायसवाल, चेनारी. सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद चुनाव आयोग ने वर्ष 2013 में इवीएम में एक बटन नोटा का प्रावधान किया था. इसका पहली बार वर्ष 2014 के चुनाव में मतदाताओं ने उपयोग किया था. उस समय सासाराम (अजा सुरक्षित) लोकसभा क्षेत्र के 13377 मतदाताओं ने ‘इनमें से कोई नहीं’ यानी नोटा के विकल्प को मतदान किया था, जबकि वर्ष 2019 के आम चुनाव में 2014 की अपेक्षा 5538 अधिक वोटरों का रुझान नोटा की ओर गया और 18915 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था. सासाराम सीट के लिए इस बार एक जून 2024 को मतदान होगा. इस चुनाव में कितने लोग नोटा बटन दबायेंगे, इसका पता चार जून को होने वाली मतगणना के बाद चल पायेगा. वर्ष 2014 के चुनाव में कुल 14 प्रत्याशी थे, जिसमें नोटा को पांचवां स्थान मिला था. यानी नौ उम्मीदवारों से अधिक वोट नोटा को गया था. वहीं, वर्ष 2019 के आम चुनाव में नोटा एक कदम और आगे बढ़ा और चौथे स्थान पर पहुंच गया. 2019 में कुल 13 प्रत्याशी मैदान में थे. यानी 2019 में भी नोटा ने नौ प्रत्याशियों से अधिक वोट बटोरा था. चेनारी शहर के संजय सिंह कहते हैं कि अभी नोटा के इतने समर्थक नहीं हैं कि वह तीसरे स्थान पर पहुंच सके, क्योंकि यहां से भाजपा, कांग्रेस व बसपा सहित 10 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. नोटा को तीसरा स्थान प्राप्त करने का अवसर शायद ही मिले. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में 16,07,747 मतदाता थे. सासाराम संसदीय क्षेत्र के 847608 मतदाताओं ने मतदान किया था. यानी 52.72 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. इनमें 53.45 प्रतिशत पुरुष मतदाता और 46.54 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने वोट दिया था. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सासाराम संसदीय क्षेत्र में कुल 9,74,749 वोट पोल हुए थे, जिनमें 50.72 प्रतिशत पुरुष व 33.73 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया था. इस बार जिला प्रशासन मतदान प्रतिशत बढ़ाने की दिशा में अधिक मेहनत कर रहा है, तो नोटा की स्थिति कैसी रहती है? यह देखना दिलचस्प होगा. असहमति जताने का तरीका है नोटा चेनारी नगरवासी विक्की गुप्ता कहते हैं कि नोटा डेमोक्रेसी में एक आम नागरिक की असहमति दिखाता है. यह बताता है कि मतदाता मौजूदा विकल्पों से खुश नहीं हैं. भले ही नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिले, फिर भी जो उम्मीदवार या विकल्प दूसरा सबसे ज्यादा वोट पायेगा, वह जीतेगा. आखिरी विकल्प के तौर पर होता है नोटा बटन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में सबसे आखिरी विकल्प के तौर पर नोटा का बटन होता है. लोगों का मानना है कि जहां तक चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की बात है, तो नोटा उसमें बहुत प्रभावी भूमिका में नहीं रहा है. नोटा का अर्थ है-नन ऑफ द एबव यानी इनमें से कोई नहीं. अब चुनाव में आपके पास एक विकल्प होता है कि आप ‘इनमें से कोई नहीं’ का बटन दबा सकते हैं. 2014 में कहां कितने ने नोटा को दिया था वोट विस क्षेत्र नोटा चेनारी 2676 सासाराम 2304 करगहर 2156 मोहनिया 2020 भभुआ 2095 चैनपुर 2126 कुल 13377 2019 में कहां कितने ने नोटा को दिया वोट विस क्षेत्र नोटा चेनारी 4295 सासाराम 2869 करगहर 2993 मोहनिया 2575 भभुआ 2376 चैनपुर 3807 कुल 18915

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