धान का बिचड़ा डालने के लिए रोहिणी नक्षत्र शुभ

धान के बीजों को अंकुरित होने के बाद ही करें बुआई : कृषि वैज्ञानिक

By Prabhat Khabar News Desk | May 30, 2024 10:15 PM
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धान के बीजों को अंकुरित होने के बाद ही करें बुआई : कृषि वैज्ञानिक सासाराम ऑफिस. खरीफ फसल की खेती को लेकर किसान तैयारी में जुट गये हैं. अच्छी खेती के लिए रोहिणी नक्षत्र को वरदान और रोहिणी नक्षत्र में खेतों में धान का बीज डालना शुभ माना गया है. किसानों का भी मानना है कि इस नक्षत्र में बीज डालने से खेती आगे होती है. रोहिणी नक्षत्र में बीज डालने वाले किसानों की फसल नवंबर माह में तैयार हो जाती है. इससे रबी फसल की बुआई भी समय से हो जाती है. रोहिणी नक्षत्र में धान का बीज डालने से धान का पौधा ज्यादा तेजी से विकास करता है. इस संबंध में गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय जमुहार के अंतर्गत संचालित नारायण कृषि विज्ञान संस्थान के शस्य विज्ञान विभाग में कार्यरत सहायक प्राध्यापक सह प्रभारी फसल प्रक्षेत्र डॉ धनंजय तिवारी ने बताया कि रोहिणी नक्षत्र में लगाये गये धान के बीज से अधिक उत्पादन भी प्राप्त होता है. कृषि वैज्ञानिक भी मानते हैं कि इस दौरान सूर्य की रोशनी तेजी से सीधे धरती पर पड़ती है, जिससे बीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. वहीं तेज धूप से मिट्टी भी रोगमुक्त होती है. क्योंकि, इस समय खेत को तैयार करने से उसके अंदर तक धूप जाती है. किसान भाइयों को चाहिए कि धान के बीजों को अंकुरित होने के बाद ही बुआई करें. बीज को पहले पानी में भिगो दें. इसके बाद बीजों को पानी से छानकर जूट के बोरे से 15 से 20 घंटे के लिए ढंक दें और अंकुरित होने के बाद ही बुआई करें. बुआई के समय खेत की सतह पर पानी होना आवश्यक है और उसके बाद भी तापमान अधिक होने के कारण खेतों में पर्याप्त नमी बनाये रखें. एक बीघा में दो से 2.5 किलोग्राम बीज रोपने के लिए होता है पर्याप्त विज्ञान विभाग में कार्यरत सहायक प्राध्यापक सह प्रभारी फसल प्रक्षेत्र ने बताया कि अगर बीज की मात्रा की बात करें, तो दो से 2.5 किलोग्राम बीज एक बीघा में रोपने के लिए पर्याप्त होता है. हालांकि, बीज में जमाव प्रतिशत कम है, तो किसान भाई तीन से चार किलो बीज प्रति बीघा की दर से बिचड़ा के लिए प्रयोग कर सकते हैं. हमें इसके साथ ही उन्नत प्रजातियों का चयन भी किसान भाइयों को अपने-अपने क्षेत्र के हिसाब से करना चाहिए, जिससे अधिक लाभ प्राप्त हो. साथ ही कुछ प्रमुख प्रजातियां विभिन्न क्षेत्रों के हिसाब से उपयुक्त हैं. जैसे सुगंधित धान के प्रभेद में- राजेंद्र भगवती, राजेंद्र कस्तूरी, राजेंद्र सुवासिनी, निचली भूमियों के लिए: सबौर हीरा, स्वर्णा सब 1, राजेंद्र मसूरी तथा सूखा वाले क्षेत्रों के लिए-सबौर हर्षित धान, राजेंद्र श्वेता, सबौर सम्पन्न धान, सबौर श्री बहुत ही उत्तम किस्म की प्रजाति है. अगर, किसान भाई इन सब बातों का ध्यान रखें, तो निश्चित तौर पर बेहतर उत्पादन प्राप्त होगा. अंत में एक और आवश्यक बात किसान भाइयों के लिए जरूरी है कि बीज किसी प्रमाणित संस्था, कृषि विश्वविद्यालय से या कृषि विज्ञान केंद्र से ही लेकर बुवाई के लिए प्रयोग करें.

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