सासाराम में आग का तांडव, अगलगी में पूरा परिवार खाक, 5 लोगों के बीच अकेला बचा दिनेश

सासाराम जिले में आग का तांडव, अब तक 13 लोगों की जा चुकी हैं मौतनासरीगंज में सात, दिनारा के लिलवछ में दो और नोखा के रोपहता में चार की गयी जान

By Anand Shekhar | April 28, 2024 5:30 AM
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Sasaram News : शनिवार को नोखा प्रखंड के रोपहता गांव में चार लोग आग की चपेट में आने से जिंदा जल गये, जिनकी मौके पर ही मौत हो गयी. वहीं, दो अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हैं. दोनों घायलों को इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. जानकारी के अनुसार, दोपहर में दिनेश डोम के घर सब सो रहे थे. अचानक उनकी झोंपड़ी में आग लग गयी. देखते ही देखते आग की लपटे खपैड़ल को चपेट में ले लिया. घर में फंसे लोग चिल्लाने लगे. जैसे-तैसे घर से दिनेश की पत्नी शिवरत देवी (उम्र 35 वर्ष) और पुत्र मंटू डोम (उम्र 18 वर्ष) निकलने में कामयाब हुए. हालांकि, आग ने उन्हें इतना झुलसा दिया है कि हालत नाजुक है.

वहीं, दिनेश डोम की बहू सचिना खातून (उम्र 26 वर्ष), बेटी किरण कुमारी (उम्र छह वर्ष), बेटी ममता कुमारी (उम्र 13 वर्ष) और सरीता कुमारी (उम्र दो वर्ष) की आग के चपेट में आने से मौके पर ही मौत हो गयी. लोगों की चिख-पुकार सुनकर जुटे गांव वाले बचाने का प्रयास करते, उसके पहले ही आग ने सबको चपेट में ले लिया था.

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सुबह का खाना बनाकर चूल्हे को बुझाया नहीं था, जिससे दोपहर में चल रहे तेज लू से आग झोंपड़ी पर डाले प्लास्टिक के त्रिपाल पर उड़कर चली गयी और पूरे घर को जला दी. सब जलने के बाद मौके पर दमकल की गाड़ी पहुंची और साथ ही जायजा लेने अधिकारी भी पहुंचे.

पांच लोगों के परिवार में अकेले बचे दिनेश

जिले में अगलगी की अलग-अलग घटनाओं में अब तक 13 लोगों की जानें जा चुकी हैं. लेकिन, चार लाख रुपये के मुआवजा देने से आगे प्रशासन फिलहाल कुछ नहीं कर रहा है. नोखा के रोपहता में यह जिले की तीसरी घटना हैं, जहां दोपहर में सोये चार लोग जिंदा जल गये. इस घटना से महज दो दिन पहले दिनारा के लिलवछ में झोपड़ी में लगी आग से दादी और पोते जिंदा जल गये थे.

वहीं, नासरीगंज में एक ही साथ सात लोगों की जलने से मौत महज 10 दिन पहले हुई थीं. हालांकि, आग की इन घटनाओं से प्रशासन ने सबक नहीं लिया और आगे कोई घटना न हो इसके लिए कोई पहल नहीं की गयी. इससे यह आग अब लोगों के घरों तक पहुंच गयी है. इसके पहले जिले के सैकड़ों एकड़ गेहूं की फसल जलकर राख हो गयी. इसका ठीकरा प्रशासनिक अधिकारियों ने किसानों पर फोड़ा. पर घरों में लग रही आगें उनकी कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रही हैं.

इन गांवों के लोगों का कहना है कि अगर इनको आवास योजना का लाभ मिला होता, तो शायद इनकी जान नहीं जाती. रोपहता में हुई घटना की सूचना पाकर सासाराम अनुमंडल के एसडीएम आशुतोष रंजन, एसडीपीओ-2 कुमार वैभव, नोखा के बीडीओ अतुल कुमार गुप्ता, संझौली सीओ किशोर पासवान, नोखा सर्किल इंस्पेक्टर सुरेश दास, नोखा थानाध्यक्ष दिनेश कुमार मालाकार, हथनी पंचायत के मुखिया दयानंद सिंह व अन्य अधिकारी पहुंचकर जानमाल की क्षति का आकलन किया. साथ ही परिजनों को ढांढ़स बंधाया.

पांच लोगों के परिवार में अकेले बचे दिनेश

नोखा के रोपहता की घटना में एक ही परिवार चार लोग जिंदा जल गये. इस परिवार में अब केवल दिनेश डोम बचे हैं, जिनकी उम्र करीब 40 वर्ष है. परिवार के साथ-साथ इनके अरमान भी घर में जल गये. जीवन की सारी पूंजी, तो गयी हीं अब आगे का जीवन कैसे कटेगा? इसको लेकर भी चिंता है. हालांकि सरकार 24 घंटे के अंदर मृतक के परिजनों को चार लाख रुपये देता है. इसकी जानकारी नोखा अंचलाधिकारी मधुसूदन चौरसिया ने दी. उन्होंने बताया कि अंत्येष्टि के लिए 12000 रुपये दिये गये हैं.

गरीबों के घरों में लग रहे आग

नासरीगंज से लेकर नोखा तक हुई घटनाओं में एक बात आम थी. सभी मरनेवाले गरीबी रेखा से निचेवाले हैं, जिनके सर पर फूंस की झोपड़ी थी. इनके स्थान पर अगर पक्के मकान होता, तो शायद आज यह जीवित होते. इन गरीबों को जिला प्रशासन न तो अपनी जमीन उपलब्ध करायी पायी थी और न ही पक्का मकान. आगे ऐसी घटना न हो इसको लेकर भी कोई कदम फिलहाल नहीं उठाये गये हैं. अपने-अपने प्रखंडों में स्थिति दलित बस्तियों तक अंचलाधिकारी पहुंचने में नाकाम हैं, जिसकी वजह से घरों में अगलगी की घटनाएं बढ़ रही हैं. ऐसा लोगों का मानना है कि अगर इन बस्तियों में रहनेवाले लोगों को आग को लेकर जागरूक नहीं किया गया, तो आगे इससे भी भीषण घटनाएं हो सकती हैं.

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