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सोन नदी में पशु-पक्षियों के पीने लायक पानी नहीं

इंद्रपुरी बराज से सोन नदी के निचले हिस्से में पिछले कई दिनों से पानी नहीं छोड़े जाने से जहां उस पर निर्भर रहने वाले आम जनजीवन व पशु पक्षियों का जीना मुहाल हो गया है, वहीं दूसरी तरफ बालू कारोबारियों की बल्ले-बल्ले हो गयी है.

डेहरी. इंद्रपुरी बराज से सोन नदी के निचले हिस्से में पिछले कई दिनों से पानी नहीं छोड़े जाने से जहां उस पर निर्भर रहने वाले आम जनजीवन व पशु पक्षियों का जीना मुहाल हो गया है, वहीं दूसरी तरफ बालू कारोबारियों की बल्ले-बल्ले हो गयी है. पानी के अभाव में सोन टीला पर रह कर खेती व पशुपालन करने वाले लोगों द्वारा टीला छोड़कर अन्यत्र जाना मजबूरी हो गया है. वहीं, पशु-पक्षियों को भी पानी के अभाव में इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. सोन नदी में नाली के समान बहता पानी शहर की नालियों से निकला हुआ पानी है, जिसे पशु-पक्षी पीना पसंद नहीं करते. लोगों का कहना है कि सोन नदी के निचले हिस्से की यह स्थिति पहले कभी देखने को नहीं मिली थी. इंद्रपुरी बराज से जब नहरों को देने के लिए समुचित मात्रा में पानी नहीं है, तो फिर निचले हिस्से में पानी छोड़े जाने का सवाल ही कहां पैदा होता है. ऐसी स्थिति में जब तक बरसात नहीं होती या रिहंद व बाणसागर से प्रचुर मात्रा में इंद्रपुरी बराज को पानी नहीं मिलता, तब तक यह स्थिति सोन नदी में बनी रहेगी. इसे लेकर लोगों की चिंता बढ़ना स्वभाविक है.

उधर, सोन नदी के निचले हिस्से में बराज से पानी नहीं छोड़े जाने से बालू कारोबारियों की बल्ले बल्ले हो गयी है. सोन नदी में पानी रहने पर बालू कारोबारियों को पाइप डालकर नदी में ट्रकों के आने-जाने के लिए रास्ता बनाना पड़ता था. यही नहीं, कई बालू घाटों व उनके रास्तों को सुरक्षित रखने के लिए घाट से कुछ दूर पहले ही लाखों रुपये खर्च कर उन्हें बालू का बांध बनाना पड़ता था. ऐसी स्थिति में बालू कारोबारियों को काफी खर्च करना पड़ता था, जो पानी के अभाव में उन्हें नहीं करना पड़ रहा है. इसका फायदा बालू कारोबारियों को सोन नदी में घुसने के लिए कई रास्तों के बन जाने से भी हो रहा है. इंद्रपुरी बराज से सटे निचले हिस्से में सोन नदी में काफी अंदर तक ट्रकों को घुसा कर उस पर बालू लादने का कार्य कानून सम्मत है या नहीं, यह तो अधिकारी जानें, लेकिन उतने अंदर घुसकर ट्रैकों पर बालू लदता देख लोगों के बीच तरह-तरह की चर्चा हो रही है. इंद्रपुरी बराज पर लगातार घट रहे जलस्तर को लेकर अधिकारी भी काफी चिंतित हैं. उनके द्वारा लगातार रिहंद व बाणसागर जलाशयों के अधिकारियों को पत्र लिखकर पानी छोड़ने का आग्रह भी किया जा रहा है. अधिकारी यह उम्मीद जताते हैं कि दो-चार दिनों के अंदर रिहंद व बाणसागर से इंद्रपुरी बराज को पानी मिलने पर स्थिति में कुछ सुधार होगा.

इंद्रपुरी बराज पर उपलब्ध पानी की स्थिति

इंद्रपुरी बराज पर गुरुवार को कुल 347.80 फुट जल उपलब्ध था. इससे विभिन्न नहरों के लिए 2066 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था. सोन नदी के निचले हिस्से में जलस्राव नील था. अधिकारियों के अनुसार, रिहंद जलाशय से 346.14 व बाणसागर जलाशय से इंद्रपुरी बराज को 1059.30 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जो दो-चार दिनों के अंदर इंद्रपुरी बराज पर पहुंच जायेगा. उक्त पानी के इंद्रपुरी बराज पर पहुंचने से यहां बराज की स्थिति कुछ सुधरेगी. वर्तमान में चिंता का विषय यह है कि बुधवार को जहां इंद्रपुरी बराज का जलस्तर 348 क्यूसेक था, जो गुरुवार को घटकर 347.80 फुट रह गया है. ऐसी स्थिति तब है, जब पूर्वी संयोजक नहर में कोई पानी नहीं छोड़ा जा रहा है. वहीं, पश्चिमी संयोजक नहर में मात्र 1310 व पश्चिमी समानांतर संयोजक नहर में 756 घनसेक पानी छोड़ा जा रहा है. उक्त दोनों नहरों में यह पानी मात्र 10.12 किलोमीटर की दूरी ही तय कर पा रहा है. इस संबंध में आयोजन एवं मॉनीटरिंग प्रमंडल डेहरी की कार्यपालक अभियंता भारती रानी का कहना है कि रिहंद व बाणसागर जलाशयों से इंद्रपुरी बराज के लिए पानी छोड़ा गया है. उक्त पानी के इंद्रपुरी बराज पर पहुंच जाने के बाद अगले दो से तीन दिनों में सभी नहरों में मांग के अनुसार पानी छोड़ा जा सकेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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