ध्यान हटा कर टाली जा सकती है आत्महत्या : मानसी
आत्महत्या एक बहुत बड़ा कदम होता है, जो व्यक्ति तब लेता है, जब वह पूरी तरह से हताश-निराश हो जाता है. उसे कहीं से कोई भी आशा की किरण नजर नहीं आती है. आत्महत्या की भावना किसी भी उम्र, लिंग या पृष्ठभूमि के किसी भी व्यक्ति को कभी भी प्रभावित कर सकती है.
सासाराम ऑफिस. आत्महत्या एक बहुत बड़ा कदम होता है, जो व्यक्ति तब लेता है, जब वह पूरी तरह से हताश-निराश हो जाता है. उसे कहीं से कोई भी आशा की किरण नजर नहीं आती है. आत्महत्या की भावना किसी भी उम्र, लिंग या पृष्ठभूमि के किसी भी व्यक्ति को कभी भी प्रभावित कर सकती है. आत्महत्या का प्रयास अक्सर आवेश में लिया गया एक त्वरित निर्णय होता है, जिसे तत्काल बातचीत और ध्यान हटा कर टाला जा सकता है. उक्त बातें सदर अस्पताल में कार्यरत मनोवैज्ञानिक मानसी ने बुधवार को रोहतास महिला कॉलेज में स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस व विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम के दौरान छात्राओं व शिक्षक-शिक्षिकाओं को संबोधित करते हुए कहीं. उन्होंने कहा कि अगर आप आत्महत्या करने का मन बना रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप पिछले कुछ समय से खुद को निराश और बेकार महसूस कर रहे हैं. हो सकता है कि आपको पता न हो कि आपको ऐसा क्यों महसूस हो रहा है, लेकिन अक्सर इसके कई कारण होते हैं. उन्होंने कारणों के संबंध में बताते हुए कहा कि कारणों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं पहले आती हैं. धमकाना, पूर्वाग्रह या कलंक जैसे कि आपकी जाति, लिंग, विकलांगता या यौन पहचान से संबंधित, विभिन्न प्रकार के दुर्व्यवहार जिनमें घरेलू, यौन या शारीरिक दुर्व्यवहार आत्महत्या के कारण में शामिल हैं. साथ ही शोक, जिसमें आत्महत्या के कारण किसी प्रियजन को खोना भी शामिल है. एक रिश्ते का अंत, दीर्घकालिक शारीरिक दर्द या बीमारी, किसी बड़े परिवर्तन जैसे सेवानिवृत्ति या छंटनी के लिए समायोजन करना, पैसों की परेशानी, आवास संबंधी समस्याएं, जिनमें बेघर होना भी शामिल है. एकांत या अकेलापन, जेल में रहना, अपर्याप्त या असफल महसूस करना, व्यसन या मादक द्रव्यों का दुरुपयोग, गर्भावस्था, प्रसव या प्रसवोत्तर अवसाद, आपकी यौन या लिंग पहचान के बारे में संदेह, सांस्कृतिक दबाव जैसे कि जबरन विवाह, समाज की अपेक्षाएं उदाहरण के लिए एक निश्चित तरीके से कार्य करना या कुछ निश्चित चीजें हासिल करना, आघात के अन्य रूप भी कारणों में हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह की भावना वाले किसी व्यक्ति को देखें तो उनसे बातचीत करें और उनका ध्यान कहीं और हटाएं. साथ ही अगर कोई आपका अपना शराब आदि जैसे मादक द्रव्यों का प्रयोग कर रहा हो तो उसे छोड़ने के लिए प्रेरित करें. दिनचर्या में सकारात्मक बदलाव और मेडिटेशन जैसी गतिविधियां मानसिक तनाव को कम करने में सहायक हो सकती हैं. वहीं आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना अत्यधिक आवश्यक है. हम सभी को मानसिक स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने के लिए खानपान व दैनिक दिनचर्या, योग, व्यायाम पर ध्यान देने की जरूरत है. मौके पर कॉलेज के प्राचार्य सुधीर कुमार, आइक्यूएसी के को-ऑडिनेटर डॉ अमरजीत कुमार, मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अमन मुर्मू, प्रो गिरिजा उरांव, डॉ कुमारी रेखा, डॉ शशिवाला, डॉ प्रिया, कॉलेज के शिक्षक प्रो विष्णु बिहारी श्रीवास्तव, प्रो प्रदीप कुमार रॉय, डॉ ज्योति कुमारी, डॉ स्वाति, डॉ पम्मी, डॉ कल्याणी, डॉ रीता, डॉ छाया, डॉ कुमारी मासूमा, शिक्षकेतर कर्मचारी शशि रंजन, राजेश कुमार, कुमुद रंजन, मनीष कुमार सहित कॉलेज की छात्राएं उपस्थित रहीं.
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