निगम के पास अपनी वेबसाइट नहीं, कार्यालय आकर जमा करते हैं टैक्स

नगर निगम की पहचान रोहतास जिले की वेबसाइट पर चार लाइनों में समाप्त हो जाती है. जिले की वेबसाइट पर चार लाइन में सासाराम म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन, पहली लाइन में इ-मेल एड्रेस, दूसरी लाइन में केवल नगर आयुक्त का मोबाइल नंबर, जिसे कार्यालय के नंबर के रूप में दर्शाया गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 9, 2024 10:55 PM

सासाराम नगर. सासाराम को नगर निगम बने तीन साल से अधिक समय हो गया है. 16 महीने से निगम में सरकार कार्य कर रही है. करीब नौ माह पहले निगम की सरकार ने नगर निगम की वेबसाइट बनाने का निर्णय लिया था, ताकि शहरवासी अपने घर बैठे निगम से संबंधित कार्यों को निबटा सकें. लेकिन, उनके निर्णयों को नौ माह बाद भी निगम के अधिकारी धरातल पर नहीं उतार सके. आज भी नगर निगम की पहचान रोहतास जिले की वेबसाइट पर चार लाइनों में समाप्त हो जाती है. जिले की वेबसाइट पर चार लाइन में सासाराम म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन, पहली लाइन में इ-मेल एड्रेस, दूसरी लाइन में केवल नगर आयुक्त का मोबाइल नंबर, जिसे कार्यालय के नंबर के रूप में दर्शाया गया है. उसके नीचे नगर आवास एवं विकास विभाग की वेबसाइट का एड्रेस और सबसे नीचे में पिन कोड दिया गया है. न तो इस पर नगर आयुक्त का नाम और तस्वीर है और न ही मेयर से संबंधित कोई भी जानकारी दी गयी है. ऐसे में बाहर रहनेवाले लोगों को पता भी नहीं चलता है कि सासाराम नगर निगम बन गया है, जहां शहरवासियों को पहले की अपेक्षा बेहतर सुविधा मिलेगी. लेकिन, पिछले तीन वर्षों में यह केवल भ्रम साबित हुआ है. लोगों को नगर पर्षद जैसी भी सुविधा नहीं मिल रही है. आज भी कई मुहल्लों में बजबजाती नालियां और सडकों पर कचरे का अंबार दिख जायेगा. इन्हीं व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए विभाग ने नगर आयुक्त के रूप में आइएएस अधिकारी को नगर आयुक्त बनाकर भेजा था. लेकिन, उनकी कार्यशैली से विकास के कार्य ठप हो गये हैं, ऐसा मेयर और पार्षदों का मानना है.

विकास की दौड़ में पिछड़ा निगम

सासाराम का शहरीकरण आजादी से 88 वर्ष पहले हो गया था. अब भी निगम के बोर्ड पर स्थापना की तिथि 1859 लिखी हुई है. इसके महज चार वर्ष पहले 1854 में पटना को नगरपालिका बनाया गया था. लेकिन, विकास की रफ्तार में सासाराम नगरपालिका बहुत पिछड़ गयी. इन दोनों नगरपालिकाओं के कार्यों में 100 से अधिक वर्षों का अंतर दिखता है. इसकी बड़ी वजह नगर प्रशासन की कार्यशैली मानी जा सकती है. आज भी शहर के विकास को रफ्तार देने से ज्यादा कार्यों को ठप करने पर ध्यान केंद्रित है, जबकि पटना नगर निगम क्षेत्र में रहनेवाले लोग अपने टैक्स जमा करने के लिए कार्यालय नहीं जाते हैं. पटना नगर निगम की वेबसाइट पर बस क्यूआर कोड स्कैन कर अपने विभिन्न टैक्स भरने के साथ-साथ म्यूटेशन से संबंधित कार्य भी घर बैठे कर रहे हैं. लेकिन, सासाराम नगर निगम में ऐसा नहीं हो रहा है. आज भी लोग अपने टैक्स जमा करने निगम कार्यालय आकर काउंटर पर लाइन में खड़े रहते हैं. व्यापारी ट्रेड लाइसेंस के लिए फॉर्म लेने आता है. अमूमन निगम के सभी कार्य अब भी मैनुअल किये जा रहे हैं.

बिना तालमेल के विकास संभव नहीं

इस संबंध में मेयर काजल कुमारी ने कहा कि चीजें तब बदलती हैं, जब सबका सहयोग मिले. पिछले करीब 16 महीनों से नगर की सरकार ने विकास को गति देने के लिए कई निर्णय लिये हैं. लेकिन, नगर आयुक्त ने उन निर्णयों पर कोई कार्य नहीं किया है, जिसका खामियाजा सभी शहरी भुगत रहे हैं. वेबसाइट बनाने का बोर्ड में करीब नौ माह पहले निर्णय लिया गया था, ताकि लोगों को घर बैठे सुविधा मिले. लेकिन, उस पर नगर आयुक्त ने अब तक कोई कार्य नहीं किया. ऐसे और भी कई निर्णय हैं, जो फाइलों में बंद हैं. पूछने पर बताया जाता है कि विभाग से मार्गदर्शन मांगा गया है.

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