जलप्रपात की पहली धारा ने बिखेरी प्राकृतिक सुंदरता
कैमूर पहाड़ी की कोख में बसे मां तुतला भवानी धाम में शुक्रवार की शाम आये घनघोर घटा के कारण मां तुतला भवानी के जलप्रपात की पहली धारा की शुरुआत हुई. जैसे ही पहला दिन जलप्रपात शुरू हुआ, वैसे ही सैलानियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है.
तिलौथू. कैमूर पहाड़ी की कोख में बसे मां तुतला भवानी धाम में शुक्रवार की शाम आये घनघोर घटा के कारण मां तुतला भवानी के जलप्रपात की पहली धारा की शुरुआत हुई. जैसे ही पहला दिन जलप्रपात शुरू हुआ, वैसे ही सैलानियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है. वन परिसर पदाधिकारी अमित कुमार ने बताया कि शुक्रवार की शाम आयी बारिश के कारण मां तुतला भवानी धाम में अवस्थित जलप्रपात के पहली धारा की शुरुआत हुई. जैसे ही झरने की पहली धारा गिरी, वैसे ही मां तुतला भवानी धाम में जुटे श्रद्धालुओं के द्वारा मां तुतला भवानी के जयघोष से कैमूर पहाड़ी गूंज उठा. इतना ही नहीं जिले के सैलानियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है. गौरतलब है कि जैसे ही मॉनसून आता है और मां तुतला भवानी धाम में जलप्रपात शुरू हो जाता है, वैसे ही सैलानियों की अपार भीड़ यहां जुटनी शुरू हो जाती है. जून के मध्य से लेकर अक्टूबर माह तक लोग मां तुतला भवानी धाम में झरने का आनंद उठाते हैं और इसी टाइम यहां पर सैलानियों की अपार भीड़ भी जुटती है. पिछले साल मॉनसून काल में एक दिन में एक लाख श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने का रिकॉर्ड कायम हुआ था. इस बार भी लाखों की संख्या में लोगों के जुटने की उम्मीद जतायी जा रही है. आपको बता दें कि मॉनसून की शुरुआत होने से पहले वन विभाग यहां जुटने वाले सैलानियों के लिए पर्याप्त सुविधा मुहैया कराता है और सभी सुविधाओं का प्रबंधन व इंतजाम करता है. वन विभाग व मां तुतला भवानी कमेटी की ओर से सैलानियों के लिए शुद्ध पेयजल, इ-रिक्शा, जंगल सफारी, पार्किंग इत्यादि की व्यवस्था की जाती है. जुटने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के लिए झूला पुल पर सभी वनकर्मी तैनात किये जाते हैं. वन परिसर पदाधिकारी के अनुसार, इस बार भी लाखों की भीड़ इस बरसात के मौसम में जुटेगी. जैसे ही बारिश प्रारंभ होती है मां तुतला भवानी धाम प्राकृतिक छटाओं से ओत-प्रोत हो जाता है. यहां की प्राकृतिक छटा अद्भुत रंग बिखेरती है. यहां पर आये सैलानी एक बार आने के बाद मां पुतला भवानी धाम में बार-बार आने के लिए मजबूर हो जाते हैं. प्राकृतिक छटा की सुंदरता इस प्रकार होती है कि लोग यहां से आने के बाद जाने का नाम नहीं लेते हैं. प्रकृति अपने परवान पर होती है. पूरा पहाड़ मानो हरे रंग की चादर से ढक जाता है. बरसात के दिनों में मां तुतला भवानी धाम व कैमूर पर्वत रानी जैसे हरे रंग की साड़ी में मुस्कुराती है. सैकड़ों फुट ऊपर से गिरने वाला झरना लोगों को आकर्षित करता है. वहीं, कुंड में झरने की कल-कल, छल-छल धारा मन को पुलकित करती है. बरसात के दिनों में बहुत सारे लोग मन्नतें पूरी होने पर बकरे की बलि यहां देते हैं और मां के दर्शन पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. वहीं लोग मां तुतला भवानी धाम के जलकुंड में स्नान कर भरपूर आनंद उठाते हैं. धाम परिसर में हैंगिग ब्रिज (झूला पुल) आकर्षण का केंद्र होता है. यह झूला पुल तत्कालीन डीएफओ प्रद्युम्न गौरव के अथक प्रयास से बनाया गया था. मॉनसून की शुरुआत होते ही श्रद्धालुओं व सैलानियों का रेला मां तुतला भवानी धाम में टूट पड़ता है. वन विभाग इस बार भी सैलानियों के लिए मुकम्मल इंतजाम किया है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है