अब देनी होगी ब्याज के साथ बीमा राशि
उपभोक्ता फोरम फोरम का फैसला, कहा- दुर्घटना बीमा के लिए जरूरी नहीं है एफआइआर व पोस्टमार्टम रिपोर्ट
उपभोक्ता फोरम फोरम का फैसला, कहा- दुर्घटना बीमा के लिए जरूरी नहीं है एफआइआर व पोस्टमार्टम रिपोर्ट सासाराम कोर्ट. किसी दुर्घटना बीमा का क्लेम पाने के लिए एफआइआर और पोस्टमार्टम रिपोर्ट होनी चाहिए, लेकिन इतना भी जरूरी नहीं कि इसके अभाव में पीड़ित पक्ष को बीमा की राशि नहीं दी जा सके. परिवाद संख्या 15/2022 में इस तरह की टिप्पणी करते हुए शुक्रवार को जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष वेद प्रकाश सिंह ने एसबीआइ जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को बीमा की राशि 20 लाख रुपये, शारीरिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए 10 हजार रुपये और पूरी राशि पर 7% वार्षिक ब्याज के साथ परिवादिनी को 60 दिनों के अंदर देने का आदेश दिया है. गौरतलब है कि 11 जून 2021 की सुबह सात बजे शिवसागर थाना क्षेत्र के सिलारी गांव निवासी अजय कुमार सिंह की सड़क दुर्घटना हुई थी, जिनकी इलाज के दौरान मौत हो गयी थी. अजय कुमार सिंह ने 10 फरवरी 2021 को एक वर्ष की अवधि के लिए एसबीआइ जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से अपना बीमा कराया था. बीमा के करीब चार माह बाद 11 जून 2021 को उनकी दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी. उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी रिंकू देवी ने बीमा की राशि के लिए क्लेम किया था. कंपनी ने दुर्घटना की प्राथमिकी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का दस्तावेज नहीं होने से बीमा की रकम देने से इन्कार कर दिया था. इसके बाद रिंकू देवी ने अपने वकील चंद्र प्रकाश के माध्यम से 24 मार्च 2022 को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में परिवाद दायर किया था. इस संबंध में अधिवक्ता चंद्र प्रकाश ने बताया कि फोरम में परिवादिनी की ओर से मैंने राज्य उपभोक्ता आयोग पंजाब, चंडीगढ़ द्वारा प्रथम अपील संख्या 199/2014, 171/ 2018 एवं 345/2016 में पारित आदेश का हवाला देते हुए पक्ष रखा था. उक्त आदेश में कोर्ट ने कहा था कि मात्र प्राथमिकी दर्ज नहीं कराने अथवा पोस्टमार्टम नहीं कराने के कारण दुर्घटना के दावे को अस्वीकार नहीं किया जा सकता. इसके साथ ही परिवादिनी की ओर से मौखिक एवं मृत्यु प्रमाणपत्र साथ अन्य दस्तावेजी साक्ष्यों पर विचार करते हुए फोरम ने स्व. स्व. अजय कुमार सिंह की मृत्यु को दुर्घटना जनित मृत्यु मानते हुए उन्हें परिवादिनी को बीमा प्रमाण पत्र में अंकित बीमा राशि को प्राप्त करने का पूर्णतया हकदार माना और 60 दिनों के अंदर बीमित राशि 20 लाख रुपये, शारीरिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए 10 हजार रुपये एवं पूरी रकम पर 7% वार्षिक साधारण ब्याज के साथ मुआवजा देने का आदेश एसबीआइ जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को जारी किया.