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बारिश से सोन नदी के जलस्तर में तेजी से वृद्धि, अलर्ट

सोन नदी में अचानक हुई जलस्तर में वृद्धि को लेकर सोन टीले पर रह रहे किसानों के समक्ष मुसीबत खड़ी हो गयी है. सोन टीला पर अरहर व सब्जी के साथ धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है.

तिलौथू. सोन नदी में अचानक हुई जलस्तर में वृद्धि को लेकर सोन टीले पर रह रहे किसानों के समक्ष मुसीबत खड़ी हो गयी है. सोन टीला पर अरहर व सब्जी के साथ धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. किसान सैकड़ों की संख्या में जानवरों को भी सोन टीले पर रखते हैं. ऐसे में किसानों के समक्ष बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है कि सोन नदी में हुई जलस्तर वृद्धि के कारण आखिर वे सोन टीले से अपने मवेशियों के साथ कहां जायें. हालांकि, प्रशासन द्वारा किसानों को चेतावनी दी गयी है कि सोन नदी के जलस्तर में और वृद्धि होगी. लिहाजा, सभी किसान अपने-अपने मवेशियों के साथ सुरक्षित जगह पर चले जाएं. ऐसे में बहुत सारे किसान सोन टीले को छोड़कर वापस घर आ चुके हैं, लेकिन अब भी सैकड़ों की संख्या में तिलौथू व सरैया के किसान सोन टीले पर मौजूद हैं. सबसे ज्यादातर तिलौथू व सरैया के किसान सोन टीले पर रहकर खेती-बाड़ी किया करते हैं. किसानों के समक्ष समस्या आ जाती है कि उनके साथ मवेशी भी काफी संख्या में होते हैं. मवेशियों के साथ सोन टीला छोड़कर वह आ नहीं सकते हैं. ऐसे में सोन नदी में हुई जलस्तर में वृद्धि के बाद सभी किसान सबसे ऊंचा सोन टीला पर चले जाते हैं. जहां पर बाढ़ का पानी पहुंचाना आसान नहीं होता है. ऐसे में प्रशासन भी हर स्थिति से निबटने के लिए तैयार है. प्रशासन द्वारा पूर्व में ही किसानों को चेतावनी दी जा चुकी है कि सोन नदी के जलस्तर में वृद्धि होना तय है और अभी भी पानी का बहाव काफी तेज है. सोन के जलस्तर में वृद्धि काफी तेजी से हो रही है. सोन टीले पर खेती कर रहे किसान रवि चौधरी ने बताया कि बहुत सारे किसान सोन टीले को छोड़कर घर वापस चले गये हैं, लेकिन अब भी सैकड़ों की संख्या में हम लोग सोन टीले पर जमे हुए हैं. फिलहाल हमलोग अभी सुरक्षित हैं. लेकिन, जलस्तर में काफी तेजी से वृद्धि हो रही है और जहां हमलोग रह रहे हैं, वहां भी जलस्तर में वृद्धि होने के कारण पानी चढ़ रहा है. ऐसे में हम सभी अपने-अपने सामान व मवेशियों को लेकर सुरक्षित स्थान तक जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब बाढ़ में हमलोग घिर जाते हैं, तब नाव पर खाना-पीना होता है. सारे सामान को भी नाव पर ही रखा जाता है.

डूबे गये हैं खेत, फसलों को भारी क्षति

सोन टीले पर किसानों द्वारा परवल, नेनुआ, करैली, लौकी, धान, अरहर आदि की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. सोन टीले पर रह रहे किसान कृत चौधरी, शंभू चौधरी, बाघा चौधरी, रवि चौधरी, अशोक चौधरी,सत्येंद्र चौधरी, सुग्रीम चौधरी, रामेश्वर चौधरी, श्री चौधरी इत्यादि ने बताया कि हम लोगों का खेत भी डूब गया है. बड़ा नुकसान हुआ है. बहुत फसलों की क्षति हुई है. अरहर, परवल, धान पूरी तरह से डूब चुका है. इस बार कई सालों के बाद सोन के जलस्तर में इतनी ज्यादा वृद्धि हुई है. इससे हम लोगों की फसल डूब चुकी है. इसे लेकर आर्थिक क्षति भी हुई. अब चिंता सता रही है कि मवेशियों को लेकर हम लोग किसी सुरक्षित स्थान पर जाएं, ताकि उन्हें को बचाया जा सके.

सोन टीले पर कैसे रहते हैं लोग

सोन टीले पर किसानों का आशियाना बहुत लंबे दिनों से है. यहां उपजाऊ भूमि मिल जाने के कारण उपज अच्छी होती है. किसानों को कोई लगान वगैरह भी नहीं देना पड़ता है. खेती करने के लिए ये किसान मोटर पंप का इस्तेमाल करते हैं. मोटर पंप से खेती की जाती है और इनके द्वारा खेती को जंगली जानवरों से बचाने लिए कई तरह के कृषि यंत्रों का प्रयोग किया जाता है. सोन टीले पर इनके आशियाने के रूप में काशी (मूंज) की मड़ई होती है. इसमें ये किसान पूरे परिवार के साथ सभी मौसम में रहा करते हैं. इसी मड़ई में इनका रहना, खाना-पीना व सोना होता है. मवेशियों में इनके द्वारा बकरी व गाय और भैंस पालन किया जाता हैं. खेती करने के लिए ये लोग सोन टीले पर ट्रैक्टर का भी प्रयोग किया करते हैं. इतने सारे सामान, खेती-बाड़ी व मवेशियों को लेकर सोन टीला छोड़ना इनके लिए मुश्किल हो जाता है. लकड़ी की बनी नाव के द्वारा ये लोग सोन टीले से तिलौथू आकर राशन सामग्री की खरीदारी करते हैं और खेती के लिए आवश्यक बीज इत्यादि भी. हालांकि इनका घर तिलौथू व सरैया में तट पर ही है, लेकिन इनका और इनके परिवार का अधिकांश समय सोन टीले पर ही बीतता है, क्योंकि इनके जीविकोपार्जन का साधन पूरी तरह से सोन टीले पर ही है.

प्रशासन की क्या है तैयारी

सोन नदी के जलस्तर में हुई वृद्धि को लेकर सीओ हर्ष हरि का कहना है कि सोन के जलस्तर में काफी तेजी से वृद्धि हो रही है. इसकी सूचना पूर्व में भी सभी किसानों को दी गयी थी. जो भी किसान सोन टीला पर हैं, वे सभी समय रहते सोन टीले को छोड़कर घर वापस आ जाएं. अगर उन्हें कहीं अन्य सुविधा हो, तो अपनी जान-माल की सुरक्षा की दृष्टि से मवेशियों के साथ सुरक्षित अपना ठिकाना बना लें. जलस्तर में वृद्धि के दौरान जो किसान सोन टीला पर रह जाते हैं या फिर बाढ़ में घिर जाते हैं, उनके लिए स्थानीय नाविकों से भी बात की गयी है. इसके लिए 10 नावों को तैयार रखा गया है. आपातस्थिति में स्थानीय नाविकों का भी सहयोग लिया जायेगा. विशेष परिस्थिति में एसडीआरएफ की टीम को भी बुलाया जायेगा. अगर ज्यादा स्थिति भयावह होती है, तो एसडीआरएफ की टीम तिलौथू पहुंच जायेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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