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Sati-Satyavan Mandir: अनोखे मेले के लिए प्रसिद्ध है पटना का सती-सत्यवान मंदिर…

Sati-Satyavan Mandir: बिहार की राजधानी पटना के रानीपुर बभनगामा में स्थित सती सावित्री-सत्यवान मंदिर का इतिहास दिलचस्प है. स्थानीय लोगों के अनुसार यह मंदिर अखंड सुहाग के लिए प्रसिद्ध है. साल में एक बार 'हैरतंगेज पंजर भोकवा मेले' का आयोजन किया जाता है.

Sati-Satyavan Mandir: बिहार की राजधानी पटना के रानीपुर बभनगामा में स्थित सती सावित्री-सत्यवान मंदिर का इतिहास दिलचस्प है. स्थानीय लोगों के अनुसार यह मंदिर अखंड सुहाग के लिए प्रसिद्ध है साथ हीं इस मंदिर से सती सत्यवान की भी कई मान्यताएं जुड़ी हुई है.

बता दें कि यहां पहले जंगल हुआ करता था. साल में एक बार ‘हैरतंगेज पंजर भोकवा मेले’ का आयोजन किया जाता है. जिसमें लोग शरीर में लोहे के पंजर को भोंक कर चलते हैं लेकिन उनके शरीर से एक बूंद भी खून नहीं निकलता है.

यम के दूत हैं पंजर भोकवा

रानीपुर के सती-सत्यवान मंदिर से संबंधित यह प्रथा 500 साल पुरानी है. कई स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने अपनी आंख से ऐसा देखा है कि कुछ लोग भरी हुई बैलगाड़ी के पहिए को अपने गले के ऊपर से पार करवा लेते थे और उनका बाल तक बांका नहीं होता था. इस मेला में लोग जलती हुई खप्पर को धवलपुरा से रानीपुर तक हाथों में लेकर चलते हैं.

ऐसा खतरनाक काम करने के बाद भी लोगों को कुछ नहीं होता है. इसलिए लोग इसे भगवान का चमत्कार समझते हैं. उनके अनुसार मेले में पंजर भोकवा यम के दूत होते हैं, इसलिए वे लोहे के सरिए को भी शरीर से आर-पार करने में सोचते नहीं हैं.

क्या है इतिहास

स्थानीय लोगों के मुताबिक जब यमराज सत्यवान के प्राण निकालकर अपने साथ यमलोक ले जाने लगे तो सावित्री भी उनका पीछा करने लगीं. यमराज ने सावित्री को समझाया, लेकिन वो मानने को तैयार नहीं थी. यह देखकर यमराज ने सावित्री से कहा कि ‘तुम मुझसे कोई भी वरदान मांगो और यहां से वापस लौट जाओ. इसपर सावित्री ने कहा कि ‘मेरे सास-ससुर अंधे हैं, इसलिए आप उनकी आंखों की रौशनी लौटा दो. यमराज ने सावित्री का वरदान पूरा कर दिया.

वरदान पाने के बाद भी सावित्री यमराज का पीछा नहीं छोड़ी इसलिए यमराज ने उसे दूसरा वर मांगने को कहा. बता दें कि दूसरा वरदान पाकर भी सावित्री यमराज के पीछे चलते हुए यमलोक के द्वार तक पहुंच गई. ये देख यमराज ने सावित्री को तीसरा वरदान मांगने को कहा. इस बार सावित्री ने यमराज से 100 संतान और अखंड सौभाग्यवती का वरदान मांग दिया. यमराज ने सावित्री का इस वरदान को भी पूरा कर दिया.

तब सावित्री ने यमराज से कहा कि ‘प्रभु मैं एक पतिव्रता स्त्री हूं और आपने मुझे पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिया है. लेकिन मेरे पति के प्राण आपके पास हैं, ऐसे में आपका ये वरदान कैसे पूरा होगा. सावित्री की यह बात सुनकर यमराज ने सत्यवान के प्राण को मुक्त कर दिए, जिससे वह पुन: जीवित हो गया.

लोक आस्था के इस पर्व यानी मेले में स्थानीय लोगों द्वारा “लोग सत नारी के सत्यवान हैं, जिनसे हार गए भगवान” गीत गाया जाता है. इस मन्दिर में प्रत्येक साल सतुवानी के समय तीन दिवसीय मेले का आयोजन होता है. पौराणिक कथानुसार सती की कठोर तप से हार मान यमराज ने सत्यवान के प्राण वापस किए थे. उस समय से लेकर आज तक सती और सत्यवान को याद किया जाता है.

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