14 जुलाई दिन गुरुवार से सावन मास की शुरुआत हो गई है और सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को है हिंदू धर्म में सावन मास का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि सावन मास भगवान शिव का सबसे प्रिय है. इस पूरे महीने हर तरफ हरियाली खिल उठती है. इस मास में भगवान शिव की आराधना करने पर मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. सावन मास की शुरुआत ही विष्कुंभ और प्रीति जैसे शुभ योग के साथ हो गई है. सावन मास में भगवान शिव की पूजा करने के लिए योग काफी खास माने गए हैं. सावन मास में शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने का भी विशेष महत्व है.
आषाढ मास की गुरु पूर्णिमा के अगले दिन से सावन मास की शुरुआत हो गई है.सावन मास शुरुआत 14 जुलाई से हो गई और समापन 12 अगस्त को होगी .सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई, दूसरा सोमवार 25 जुलाई ,तीसरा सोमवार 01 अगस्त और चौथा सोमवार 08 अगस्त को होगा और सावन मास की शिवरात्रि 26 जुलाई को है.
सावन मास का पहला सोमवारी 18 जुलाई को है और इस दिन रवि नामक योग पड़ रहा है. वेदों मे बताया गया है कि रवि योग मे किसी मंत्र की साधना अधिक फलदायी होती है.इस योग में मनोकामना सिद्धि के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप और शिव पुराण का पाठ करना लाभकारी रहता है. रवि योग में शिव परिवार की पूजा करने से सभी दुख दूर होते हैं. इस दिन पंचमी तिथि होने की वजह से कुछ जगहों पर नाग पंचमी का पर्व भी मनाया जाएगा .यानी इस दिन भगवान शिव के साथ उनके सेवक नाग की भी पूजा होगी. इस दिन भगवान शिव को कच्चा दूध, गंगाजल, बेलपत्र, काले तिल,धतूरा,मिठाई आदि अर्पित करना चाहिए और विधिवत पूजा करनी चाहिए.
शिव पुराण के अनुसार, सावन के सभी सोमवार का व्रत करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी कष्ट व परेशानी दूर होती हैं. सावन मास में अकाल मृत्यु दूर कर दीर्घायु की प्राप्ति के लिए तथा सभी दुखो को दूर करने के लिए विशेष पूजा की जाती है. शास्त्रों के अनुसार सावन मास में भगवान शिव की पूजा, महामृत्युंजय मंत्र, शिव पुराण का पाठ, रुद्राभिषेक आदि करने से कर्ज, रोग, बाधा व परेशानी और शोक से मुक्ति मिलती है.