Sawan 2023: बिहार में पूरे राज्य में शिव मंदिर विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं. यह मंदिर लोगों की अपार आस्था का केंद्र हैं. यहां खासकर सावन के महीने में भक्तों का विशेष उत्साह देखने को मिलता है. बिहार एक ऐसे क्षेत्र है जहां भक्तों में भगवान महादेव के लिए असीम आस्था देखने को मिलती है. सावन के महीने में हर शिव मंदिर में भारी भीड़ रहती है. वहीं, आज सावन की दूसरी सोमवारी है. इस मौके पर मंदिरों में शिवभक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है. बता दें कि राज्य में कई भव्य शिव मंदिर स्थित है. इनके बारे में कई लोगों को जानकारी भी नहीं है. वहीं, सीवान के बाबा महेंद्र नाथ मंदिर से लेकर सीतामढ़ी के बाबा हलेश्वर स्थान मंदिर का अपना महत्व है.
मुजफ्फरपुर के बाबा गरीबनाथ मंदिर का इतिहास गजब का है. दूसरी सोमवारी पर बाबा गरीबनाथ मंदिर में जलाभिषेक करने के लिये कांवरियों की भीड़ उमड़ पड़ी है. यहां कई कावरियां रात्रि 12 बजे के बाद जलाभिषेक करना चाहते है. इस कारण रामदयालु से शहर में प्रवेश करने वाले कांवरिये विभिन्न सेवा शिविरों में विश्राम करते है. रात्रि 11.30 के बाद से कांवरिये शिविरों से निकल कर पंक्तिबद्घ होने लगे. आरडीएस कॉलेज की टेंट सिटी में कांवरियों की भीड़ सबसे अधिक रही. यहां से कांवरिये हरिसभा रोड होते हुये पानी टंकी चौक पहुंचे. इसके बाद बैरिकेडिंग से होकर जिला स्कूल के जिग-जैग से होते हुये छोटी कल्याणी, साहू रोड और पुरानी बाजार होते हुये गरीबनाथ मंदिर की ओर बढ़े.
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यहां रास्ते में विभिन्न सेवा दल के सदस्य कांवरियों को पंक्तिबद्ध कर आगे बढ़ा रहे थे. चलने से लाचार कांवरियों को सेवा दल के सदस्य कंधे का सहारा देकर आगे बढ़ा रहे थे. डाक कांवर को बिना रुके मंदिर तक पहुंचाने में भी सेवा दल के सदस्य जुटे थे. कांवरियों ने गरीबनाथ मंदिर के समीप लगे अरघे से जलाभिषेक किया. जलाभिषेक का यह सिलसिला रात भर चला. आज सोमवार को भी यह सिलसिला जारी है. यहां भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन और मंदिर कमेटी की ओर से पूरी व्यवस्था की जाती है. रास्ते में कावड़ियों के लिए कई इंतजाम किए जाते है. मंदिर के पुजारी महंत अभिषेक पाठक बताते है कि यह मंदिर नौ सौ साल से भी अधिक पुराना है.
बाबा गरीबनाथ मंदिर के बारे में लोगों की मान्यता है कि यहां एक बरगद का पेड़ हुआ करता था. पेड़ की कटाई के दौरान बाबा स्वयं प्रकट हुए थे. इसके बाद ही यहां भगवान भोलेनाथ की पूजा शुरू की गई. आज लाखों लोग यहां भगवान की पूजा करने के लिए आते है. लोगों की मान्यता है कि यहां उनकी इच्छा पूरी हो जाती है. सावन की महीने में सीवान के बाबा महेंद्र नाथ मंदिर में लोगों पूजा करने के लिए आते है. कहते है कि इस मंदिर का निर्माण नेपाल के राजा महेंद्र ने करवाया था. बाबा महेंद्रनाथ के बारे में कहा जाता है कि यहां कोई भी सच्चे मन से आकर प्रार्थना करे तो उसकी सभी इच्छा पूरी जरूर होती है.
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सीतामढ़ी के बाबा हलेश्वर स्थान मंदिर के बारे में कहते है कि यह रामेश्वरम से भी पुराना मंदिर है. इसका इतिहास राजा जनक से जुड़ा हुआ बताया जाता है. कहते है कि राजा जनक ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. इस मंदिर को हलेश्वर स्थान के नाम से भी जाना जाता है. बताया जाता है कि राजा जनक की पूजा से खुश होकर भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ प्रकट होकर उन्हें आर्शीवाद दिया था.
गया का बाबा कोटेश्वर नाथ धाम मंदिर काफी प्राचिन है. इस कारण यह काफी प्रसिद्ध है. इस धाम का गर्भ गृह लाल पत्थर के टुकड़े से बना हुआ है. कथा के अनुसार वाणासुर की बेटी उषा को श्री कृष्ष के पोते से प्रेम था. लेकिन वाणासुर श्री कृष्ण को दुश्मन मानता था. फिर उषा ने भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध को पाने के लिए इस मंदिर को बनवाया था. इस मंदिर के निर्माण के बाद उसकी शादी उनसे हो गई जिनसे वह चाहती थी. इसके बाद ही इस मंदिर में पूजा करने की परंपरा की शुरूआत हुई.
Published By: Sakshi Shiva